मप्र में एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुशासन पर जोर दे रहे हैं और अफसरों को अपनी हद में रहने की हिदायत देते रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के नौकरशाह हैं कि वे सिविल सेवा आचरण नियमों को दरकिनार कर उटपटांग बोल रहे हैं। इससे देशभर में मप्र के अफसरों की साख पर दाग लग रहा है। वर्तमान समय में आईएएस नियाज खान अपने बिगड़े बोल के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं।
द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर ट्वीट करने वाले आईएएस अधिकारी नियाज खान को मप्र सरकार ने नोटिस दिया है। उनसे 7 दिन में जवाब मांगा गया है। लोकनिर्माण विभाग में डिप्टी सक्रेटरी नियाज खान से सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 दिन में जवाब मांगा है। फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर ट्वीट करने से चर्चा में आए आईएएस अधिकारी नियाज खान का मामला प्रदेश में नया नहीं है। इससे पहले लोकेश जांगिड़, सिबि चक्रवर्ती एम, जगदीश चंद्र जटिया सहित कई आईएएस अधिकारी अपने बिगड़े बोल से सरकार को मुश्किल में डालते रहे हैं। अफसरों के बिगड़े बोल से सरकार की छवि भी खराब हो रही है। इनमें से ज्यादातर मामलों में सरकार ने नोटिस जारी किए, तबादले किए और कुछ समय में मामला शांत हो गया। किसी भी अधिकारी पर कोई ठोस कार्रवाई कभी नहीं हुई। शायद यही कारण है कि सिविल सेवा आचरण नियमों से बंधकर रहने वाले ये अधिकारी इंटरनेट मीडिया में बिगड़े बोल बोलने से नहीं चूक रहे हैं।
मुसलमानों की हत्या दिखाने के लिए भी एक फिल्म बनाने की बात ने तूल पकड़ लिया है। यह मांग आईएएस नियाज खान ने की है। करीब 7 दिन से यह मामला गर्माया हुआ है। दो मंत्री, एक विधायक और एक भाजपा नेता नियाज खान पर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय, संघ लोक सेवा आयोग, कार्मिक मंत्री को पत्र लिखा जा चुका है पर मामले का पटाक्षेप अभी नहीं हो पाया है।
एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में सुशासन की वकालत करते हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के कई नौकरशाहों ने उटपटांग बयान देकर सरकार को मुश्किल में डाला है। मंडला कलेक्टर रहते हुए जनवरी 2020 में जगदीश चंद्र जटिया ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर फिल्म छपाक का पोस्टर अपलोड किया और लिखा तुम चाहे जितनी घृणा करो, हम देखेंगे छपाक। इसके बाद उनके मित्रों ने टिप्पणी लिखी। मित्रों को जवाब देते हुए जटिया ने लिख दिया था कि उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना आता है। वे सीएए, एनआरसी का समर्थन नहीं करते। हालांकि विवाद बढ़ता देख जटिया ने अपनी पोस्ट हटा ली। वहीं नरसिंहपुर कलेक्टर रहते हुए वर्ष 2016 में सिबि चक्रवर्ती एम ने तमिलनाडु में दूसरी बार सरकार बनाने पर जयललिता की न सिर्फ तारीफ की, बल्कि फेसबुक वॉल पर उन्हें बधाई भी दे दी। नौकरशाही और मंत्रालय में इसे लेकर सरगर्मी बढ़ी, तो चक्रवर्ती ने 2 घंटे में ही पोस्ट हटा दी। जबकि बड़वानी जिले में अपर कलेक्टर रहते हुए वर्ष 2021 में लोकेश जांगिड़ सरकार और सिस्टम के खिलाफ खुलकर बोले। उन्होंने अपने ही कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए। आईएएस अधिकारियों के ऑफिशियल ग्रुप में उन्होंने लिखा कि कलेक्टर मेरी वजह से पैसा नहीं खा पा रहे थे, इसलिए मुख्यमंत्री के कान भरकर उन्हें हटवा दिया। यह चैट चंद घंटों में ग्रुप से हटा दी गई। उन्हें नोटिस दिया और बाद में जिले से हटाकर भोपाल पदस्थ किया। वहीं बड़वानी कलेक्टर रहते हुए अजय गंगवार ने वर्ष 2016 में फेसबुक वॉल पर नेहरू-गांधी परिवार की तारीफ कर दी। यह तारीफ गंगवार को भारी पड़ी। उन्हें जिले से हटा दिया और मंत्रालय में उपसचिव पदस्थ कर दिया गया। काफी समय बाद उन्हें नई पदस्थापना दी गई। गंगवार अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
पत्नी से मारपीट के मामले में स्पेशल डीजी पद से निलंबित आईपीएस पुरुषोत्तम शर्मा की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। गत दिनों गृह विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। राज्य सरकार ने उनके खिलाफ दो डीई एक साथ बिठा दी हैं। रिटायर्ड आईपीएस राजन एस. कटोज को जांच अधिकारी बनाया गया है। पहली जांच 29 सितंबर 2020 को सामने आए वीडियो में उनके द्वारा अनैतिक आचरण और पत्नी के साथ घरेलू हिंसा किए जाने की है। वहीं, दूसरी जांच 3 अक्टूबर 2019 से 29 सितंबर 2020 तक 22 जिला अभियोजन अधिकारी समेत 99 कर्मचारियों के नियम विरुद्ध अटैचमेंट के मामले में की जाएगी।
सरकार को जीरो टॉलरेंस पॉलिसी बनाना होगी
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि इंटरनेट मीडिया पर किसी भी अधिकारी का जातिगत, राजनीतिक और सामाजिक पोस्ट डालना अनुचित है। ये साफतौर पर सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन है। ऐसी पोस्ट लोगों में दूरियां बढ़ाती हैं। नई समस्याएं खड़ी करती हैं। ऐसा होना अनुशासन का उल्लंघन है और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार ढिलाई बरत रही है। नोटिस या तबादला ही इसका हल नहीं है। कई बार कार्रवाई होती भी है पर लचर तरीके से। सरकार को सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए। इसके लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी होनी चाहिए।
विकास दुबे