करीब 62 साल पहले 1 जून 1960 को गठित सीपीए यानी राजधानी परियोजना प्रशासन 1 अप्रैल से इतिहास बन जाएगा। राजधानी भोपाल के विकास में इस विभाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शहर की कई योजनाओं को इस विभाग ने सजाया संवारा है, लेकिन खराब सड़कों की वजह से यह विभाग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्रोध का इस कदर शिकार हुआ कि अब यह पूरी तरह बंद हो गया है। इस विभाग का काम अब कई विभागों में बांट दिया गया है। यानी एक अप्रैल से सीपीए जिन कामों को किया करता था, अब उसे लोक निर्माण विभाग, नगर निगम भोपाल आदि करेंगे। राजधानी की 92 किमी सड़कें और एनेक्सी जैसी बिल्डिंगें तो लोक निर्माण विभाग संभालेगा ही, लेकिन गैस राहत के काम भी वही देखेगा। 1 अप्रैल को वह सीपीए के काम और संपत्ति हैंडओवर कर लेगा। वहीं सभी 7 पार्क वन विहार के हवाले होंगे।
शिवराज कैबिनेट में 3 मार्च को सीपीए को समाप्त करने की फाइल पर मुहर लगने के बाद 17 मार्च को नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए थे। सड़कें और बिल्डिंगें पीडब्ल्यूडी के हवाले किए गए तो 7 बड़े पार्क वन विभाग को सौंपे गए हैं। पहले गैस राहत के काम गैस राहत एवं पुर्नवास विभाग को सौंपने की चर्चा थी, लेकिन अब यह काम पीडब्ल्यूडी ही देखेगा। गैस राहत के हॉस्पिटल समेत बिल्डिंगों की रिपेयरिंग पीडब्ल्यूडी के हवाले की गई है। बिल्डिंग, सड़कों या निर्माण से जुड़े अन्य कामों को पीडब्ल्यूडी के हवाले सौंपा गया है। अभी 147 करोड़ रुपए के 100 से अधिक निर्माण चल रहे हैं। ये काम अब पीडब्ल्यूडी करेगा। इन शाखाओं से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी, इंजीनियर पीडब्ल्यूडी के अधीन काम करेंगे। बिट्टन मार्केट स्थित सीपीए का तीन मंजिला भवन भी पीडब्ल्यूडी को सौंपा जाएगा। इसके साथ पीडब्ल्यूडी गैस राहत के काम भी करेगा।
वर्ष 1986 से अब तक सीपीए ने साढ़े 35 लाख से अधिक पौधे-पेड़ लगाए थे। वहीं, 132 एकड़ में फैले एकांत, प्रियदर्शनी, चिनार, मयूर, प्रकाश तरण पुष्कर समेत 7 बड़े पार्कों की देखरेख भी करता था। पहले इनका जिम्मा नगर निगम को देने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। वहीं, निगम में नई विंग बनाने की बात भी सामने आई थी, लेकिन अब पार्क समेत इससे जुड़े सारे काम वन विभाग को सौंपा गया है। कुल 223 कर्मचारी वन विभाग में मर्ज किए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी ने सीपीए को नई विंग की तरह संभालने के लिए इंजीनियर-कर्मचारियों की पोस्टिंग कर दी है। बताया जाता है कि सीपीए की जिन शाखाओं में कर्मचारी पदस्थ हैं, वे वहीं पर काम करते रहेंगे। उन्हें इधर से उधर नहीं किया जा रहा है।
उधर, सीपीए के बंद होने के बाद मास्टर प्लान की सड़कें बनाने को लेकर सरकारी एजेंसियों में कॉम्पिटिशन शुरू हो गया है। नगर निगम, बीडीए और पीडब्ल्यूडी तीनों एजेंसियों ने अपने-अपने स्तर पर सड़कें बनाने की प्लानिंग शुरू कर दी है। मौजूदा मास्टर प्लान में 241 किमी सड़कें बनाने की बात थी, लेकिन केवल 53 किमी सड़कें ही बन पाईं, यानी अब भी 188 किमी सड़कें बनना है। मास्टर प्लान की सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी सीपीए के पास थी, लेकिन जमीन अधिग्रहण के लिए कलेक्टर गाइडलाइन से दोगुना मुआवजा देने की पॉलिसी आई तो सड़कों का निर्माण बहुत महंगा हो गया। टीडीआर पॉलिसी आने से पहले 188 किमी सड़कों के लिए सीपीए ने प्लानिंग की थी तो उसमें लगभग 4000 करोड़ रुपए खर्च होने की बात सामने आते ही सड़कों का निर्माण रुक गया। इसके बाद ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) की पॉलिसी आई, जिसे मास्टर प्लान में शामिल कर लिया गया। सीपीए ने शहर की 6 सड़कों को टीडीआर के आधार पर बनाने की प्लानिंग की, जब तक इसकी मंजूरी मिलती सीपीए ही भंग हो गया।
सड़क बनाने में एजेंसियों की ऐसी रूचि की असल वजह बजट का खेल है। एक किमी सिंगल लेन डामर सड़क एक करोड़ में बनती है और सीमेंट-कांक्रीट की डेढ़ करोड़ में। 4 से 5 किमी फोरलेन सड़क और उसके साथ टाउन प्लानिंग स्कीम जोड़ने पर प्रोजेक्ट की लागत कई गुना बढ़ जाती है। सीपीए ने जिन 6 सड़कों के टीडीआर से निर्माण की प्लानिंग की थी, अब उस पर निगम एक्शन में आया है। निगम ने उस पूरी प्लानिंग को जस का तस आगे बढ़ा दिया है। लेकिन, दूसरी तरफ बीडीए ने भी इनमें से दो सड़कों के निर्माण पर दावा कर दिया है। अब इनका निर्माण कौन करेगा, यह देखने वाली बात होगी।
इस तरह समाप्त हुआ सीपीए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 20 अगस्त 2021 को सीपीए को समाप्त करने की घोषणा की थी। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में भेजा। जिसे 3 मार्च को हुई शिवराज कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी। मंजूरी के साथ ही सीपीए को 3 टुकड़ों में बांट दिया गया है, जिसके तहत सीपीए का सड़क और भवनों के रखरखाव का काम लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), पार्कों के रखरखाव का काम वन विभाग और अन्य काम भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग को सौंपे गए हैं। बता दें कि सीपीए भोपाल में सड़कों, मंत्रालय, विधानसभा भवन, विधायक विश्राम गृह, गैस राहत एवं पुनर्वास, चिकित्सालय, सरकारी आवास और यूनियन कार्बाइड कचरे के निष्पादन का काम कर रहा था। अब 7 मार्च की बैठक में इन कामों का बंटवारा अन्य विभागों को किया जाएगा। एनेक्सी (मंत्रालय) की देखरेख की जिम्मेदारी भी किस विभाग को सौंपी जाएगी, यह भी देखने वाली बात रहेगी। वहीं शहर के पार्कों की जिम्मेदारी वन विभाग को दी जाएगी। वन विभाग ने 132 एकड़ में फैले शहर के 7 बड़े पार्कों, एकांत, प्रियदर्शिनी, चिनार, मयूर, प्रकाश तरण, पुष्कर की देखरेख का प्लान भी तैयार करना शुरू कर दिया है। पहले सीपीए के पार्क निगम को मिलने वाले थे लेकिन बाद में इन्हें वन विभाग को देने का फैसला किया गया।
राजेश बोरकर