भले ही मप्र में विधानसभा के चुनाव अगले साल होने हैं, लेकिन वर्ष 2022-23 का बजट चुनावी ही रहेगा। इसमें अधोसंरचना विकास पर खासा जोर दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में अधोसंरचना विकास के कार्यों को गति दी जाएगी, क्योंकि सत्तारूढ़ दल के विधायक लगातार इसकी मांग उठा रहे हैं। सड़क, पुल-पुलिया के साथ मेडिकल कॉलेज, स्कूल सहित अन्य भवनों का निर्माण होगा। औद्योगिक विकास को गति देने के लिए निवेशकों को सभी सुविधाएं एक स्थान पर उपलब्ध कराने औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। भोपाल-इंदौर के बीच मेगा इंडस्ट्रियल हब बनाने की योजना है तो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए 14 क्लस्टर प्रस्तावित हैं। प्रदेश में अधोसंरचना विकास की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। इसकी गति और बढ़ाने के लिए बजट में प्रविधान किए जाएंगे।
दरअसल, इसके माध्यम से सरकार का लक्ष्य एक तीर से दो निशाने साधने का है। रोजगार के अवसर ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध कराना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता है। अधोसंरचना विकास का क्षेत्र ऐसा है, जो सर्वाधिक रोजगार देता है। इससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं और अर्थव्यवस्था में गति आती है। इसके मद्देनजर सड़क परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। अटल एक्सप्रेस-वे को भारत माला परियोजना के प्रथम चरण में शामिल किया जा चुका है। 105 ओवर ब्रिज स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से 36 के टेंडर की प्रक्रिया इसी वित्तीय वर्ष में प्रारंभ करने का लक्ष्य रखा गया है।
हाल ही में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और सागर में रिंग रोड बनाने और 56 शहरों में आंतरिक सड़कों को सुदृढ़ करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार से सैद्घांतिक सहमति मिली है। नर्मदा एक्सप्रेस-वे को सरकार ने स्वीकृति दे दी है। अब इसे भारत माला परियोजना में शामिल कराने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके साथ ही बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में अधोसंरचना के कामों को गति दी जाएगी। दरअसल, सत्तारूढ़ दल भाजपा के विधायकों ने इसकी मांग की है। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में 15 करोड़ रुपए के कामों के जो प्रस्ताव दिए हैं, उनमें 90 प्रतिशत अधोसंरचना विकास से जुड़े हैं।
आगामी 3 वर्षों में 3 लाख 75 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपए विभिन्न बैंकों के माध्यम से सरकार की गारंटी पर जुटाए जाएंगे। नर्मदा नदी से जुड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति देने के साथ काम प्रारंभ करने का लक्ष्य तय किया गया है। दरअसल, वर्ष 2024 में नर्मदा जल बंटवारे को लेकर नए सिरे से कवायद होगी। नर्मदा घाटी विकास और जल संसाधन विभाग को सिंचाई परियोजना को पूरा करने के लिए बजट में अधिक राशि दी जाएगी।
सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पेयजल नल के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बजट में पिछली बार 79 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। इस बार भी विभाग को अधिक राशि दी जाएगी। मई 2023 तक पूरी होने वाली समूह नलजल योजना को फास्ट ट्रेक पर क्रियान्वित किया जाएगा। वहीं, आगामी समय में बिजली की मांग को देखते हुए नए ताप विद्युत गृह की स्थापना, वितरण व्यवस्था में सुधार, सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार काम करेगी। इसकी कार्ययोजना बजट में प्रस्तुत की जाएगी। 2023 तक 45 हजार सोलर पंप लगाए जाएंगे। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पार्क, आगर, शाजापुर, नीमच और छतरपुर सोलर पार्क को भी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
दिसंबर 2023 तक कम आय वर्ग को तीन लाख आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इसके लिए बजट में प्रविधान होगा। प्रधानमंत्री आवास शहरी और ग्रामीण ज्यादा से ज्यादा बनाने के लिए नगरीय विकास एवं आवास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इस बार अधिक बजट देना प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री भू-अधिकारी आवासीय योजना के हितग्राहियों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ दिलाया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 400 करोड़ रुपए का प्रविधान रहेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया जाएगा। प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार भोपाल और इंदौर के बीच मेगा इंडस्ट्रियल हब बनाएगी। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट भी बनाया जाएगा। इसके अलावा अटल एक्सप्रेस-वे के आसपास औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के साथ 20 औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर बनाए जाएंगे। इसकी रूपरेखा सरकार बजट में प्रस्तुत करेगी।
रोजगार के अवसर पर फोकस जरूरी
इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोनाकाल में रोजगार के अवसर घटे हैं। पंजीयन कार्यालयों में लगभग 34 लाख बेरोजगारों के नाम दर्ज हैं। यही सबसे बड़ी चुनौती है और सरकार भी यह भली-भांति समझ रही है, इसलिए विभिन्न विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। आरक्षक के 6 हजार पदों पर भर्ती की जा रही है तो 1 हजार 955 इंजीनियरों की भर्ती संयुक्त परीक्षा के माध्यम से करने का निर्णय लिया गया है। हाल ही में विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से 5 लाख से ज्यादा व्यक्तियों को रोजगार दिलाया गया। 25 फरवरी को फिर से रोजगार दिवस मनाया जाएगा। केंद्रीय बजट में इस बार मनरेगा की राशि घटाई गई है। इसका असर मप्र पर भी पड़ेगा, क्योंकि मप्र देश के उन राज्यों में है जहां इसके माध्यम से न सिर्फ बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध होता है बल्कि स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण भी होता है। प्रदेश को राजस्व के रूप में जो राशि प्राप्त होती है उसका लगभग 52 प्रतिशत हिस्सा वेतन-भत्ते, पेंशन और ब्याज की अदायगी पर खर्च होता है। वेतन, पेंशन और भत्ते पर सालभर में 60 हजार करोड़ रुपए के आसपास खर्च होते है। वहीं, ब्याज और कर्ज की किश्त चुकाने में 20 से 22 हजार करोड़ रुपए सालाना लगते हैं। द्वितीय अनुपूरक बजट में सरकार ने ब्याज अदायगी के लिए 2 हजार 360 करोड़ रुपए का प्रविधान किया है।
- धर्मेंद्र सिंह कथूरिया