मप्र में 20 अगस्त तक पार्टी को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष चुनना है। जो भी अध्यक्ष बनेगा, पार्टी उसके नेतृत्व में ही 2023 के विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इस वजह से हर गुट अपना प्रदेश अध्यक्ष देखना चाहता है। ऐसे में, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया कमलनाथ को चुनौती देने के लिए नेताओं की लामबंदी शुरू हो गई है। विरोधियों के चेहरे के तौर पर दिग्विजय सिंह और अरुण यादव साथ आ सकते हैं। बीते दिनों के समीकरण इस ओर इशारे भी कर रहे हैं।
पिछले साल मार्च में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया 19 विधायकों को साथ लेकर भाजपा में शामिल हुए थे, तब गुटबाजी सतह पर आ गई थी। पार्टी ने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की। हर उपचुनाव में एक जैसे मुखौटे लगाकर सामने आए, पर कोई लाभ नहीं हुआ। कांग्रेस पार्टी के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ के खिलाफ अन्य नेताओं की लामबंदी तेज हो गई है। एक व्यक्ति एक पद के मुद्दे पर कमलनाथ का विरोध बढ़ रहा है। कमलनाथ इस समय दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की। मुख्यमंत्री रहते हुए भी कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद अपने पास रखा था। इसे लेकर विरोध के सुर तेज होते रहे हैं। यह बात अलग है कि हर बार आलाकमान के दबाव में विरोध को दरकिनार कर दिया गया।
पिछले कुछ समय से दिग्विजय सिंह की सक्रियता देखते ही बनती है। पिछले 6 महीने से उनके पैर किसी एक जगह ठहरे नहीं हैं। कभी खंडवा, खरगौन तो कभी रतलाम तो कभी ग्वालियर। वे प्रदेश में जितना सक्रिय दिख रहे हैं, उतना तो कोई है ही नहीं। जाहिर है कि वे इसके जरिए कमलनाथ के खिलाफ लामबंदी भी कर रहे हैं। पिछले दिनों वे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के गृह ग्राम में थे। उन्होंने कार्यक्रमों में भी साथ में भाग लिया। उसी दिन भोपाल में कमलनाथ जिला अध्यक्षों की महत्वपूर्ण बैठक ले रहे थे। मीडिया में भी बैठक से यादव-सिंह की दूरी ने ही सुर्खियां बटोरीं। उनके नाम लिखी खाली कुर्सियों के फोटो और वीडियो हर जगह दिखाई दिए। भाजपा ने भी इसे लेकर कांग्रेस की खिंचाई करने में कोई कोताही नहीं बरती।
यादव की कमलनाथ से नाराजगी नई नहीं है। बाबूलाल चौरसिया को पार्टी में शामिल करने से लेकर खंडवा लोकसभा उपचुनावों में उनकी निष्क्रियता पर टकराव साफ दिखा है। दिग्विजय सिंह ने बुरहानपुर में कह दिया कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कोई युवा होना चाहिए। बगल में अरुण यादव खड़े थे। साफ है कि उनके निशाने पर कमलनाथ थे। आखिर, किसानों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास के बाहर धरने पर बैठे दिग्विजय सिंह व कमलनाथ की बहस का वीडियो भी वायरल हुआ था। साफ है कि दोनों में संबंध उतने अच्छे नहीं हैं, जितने दिखाने की कोशिश हो रही है।
दिग्विजय सिंह की सक्रियता देखकर लग रहा है कि वे अपने किसी करीबी को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बिठाना चाहते हैं। कमलनाथ से नाराज नेताओं को लामबंद कर रहे हैं। सरकार गिरने के बाद के उपचुनावों में पार्टी के स्टार प्रचारक रहे कमलनाथ कांग्रेस कैडर में नया जोश भरने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं। इसी का लाभ दिग्विजय सिंह उठाना चाहते हैं। युवा मुख्यमंत्री की बात कहकर उन्होंने एक तरफ से युवाओं को भी अपनी ओर मोड़ लिया है। वहीं, कमलनाथ खेमा भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपने करीबी को बिठाना चाहता है। आने वाले समय में पता चलेगा कि कौन खेमा किसे आगे बढ़ाता है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अगले अध्यक्ष का फैसला आलाकमान ही करेगा। अब तक ऐसा ही होता आया है। राहुल गांधी की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहने वाली है। अरुण यादव पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं। कमलनाथ खेमे से सज्जन सिंह वर्मा का नाम आगे चलाया जा सकता है। दूसरी ओर, प्रदेश के मंत्री रहे जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, पार्टी के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा समेत कुछ अन्य नाम भी चर्चा में सामने आ रहे हैं।
उधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष लगातार बैठकें करके पदाधिकारियों को चुनावी मोड में ला रहे हैं। इसी कड़ी में गत दिनों मप्र कांग्रेस के अंतर्गत कार्यरत समस्त विभागों एवं प्रकोष्ठों के अध्यक्षों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभागों, प्रकोष्ठों के कार्यों की समीक्षा की गई। कमलनाथ ने कहा कि प्रकोष्ठों से सभी अध्यक्ष अपने-अपने कार्यों की रूपरेखा प्रत्येक माह की तैयार कर प्रदेश कांग्रेस को प्रस्तुत करें। कार्यों का संचालन करने के बाद प्रत्येक माह अपना प्रतिवेदन प्रदेश कांग्रेस को प्रस्तुत करें, ताकि उनके कार्यों का मूल्यांकन हो सके। जो अध्यक्ष संगठनात्मक गतिविधियों को सुदृढ और मजबूती प्रदान करने में अपने आप को सक्रिय महसूस नहीं करते हों, वे सूचित करें, ताकि उनके विकल्प के रूप में कार्य संचालित किया जा सके। प्रकोष्ठों का काम उन लोगों को जोड़ना है, जो सामने नहीं आते।
मिशन मोड में कांग्रेस
भाजपा की देखा-देखी अब कांग्रेस भी पूरी तरह मिशन 2023 की तैयारी में जुट गई है। पार्टी अब मिशन मोड में काम करेगी, ताकि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत सके। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ निरंतर बैठकें कर रहे हैं, जिलों का दौरा कर रहे हैं। गत दिनों उन्होंने पदाधिकारियों को साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि आने वाले 19 महीने हमारे लिए परीक्षा की घड़ी हैं। हमें लेटर हेड, रबर स्टांप तक सीमित न रहते हुए जमीन पर काम दिखाने की जरूरत है। कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से नहीं, बल्कि एक ऐसे भाजपा संगठन से है, जो गुमराह और भ्रमित करने, ध्यान मोड़ने की राजनीति और कलाकारी करने वाला संगठन है। हमारी लड़ाई झूठ और दुष्प्रचार से है। वर्तमान में कांग्रेस पार्टी द्वारा सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है जो 31 मार्च तक चलेगा, इसलिए जैसा कि मुझे बताया गया है कि प्रत्येक विभाग, प्रकोष्ठों द्वारा पांच-पांच हजार नए सदस्य बनाए जाएंगे। इसका कार्य चल रहा है, लेकिन गतिशीलता लाने के लिए आवश्यक रूप से शीघ्रता से यह कार्य पूर्ण किया जाए। नाथ को सभी विभागों एवं प्रकोष्ठों के अध्यक्षों द्वारा अपने-अपने कार्यों की गतिविधियों से अवगत कराते हुए जिला स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में विशेष स्थान दिलाने का आग्रह किया, जिसके लिए उन्होंने आश्वस्त किया कि विभाग, प्रकोष्ठ जितनी गतिशीलता से काम करेगा, उनको उतना सम्मान मिलेगा।
- अरविंद नारद