वर्ष 2019 में अतिवृष्टि के कारण महीनों जलमग्न रहने वाले मप्र में अभी से जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। दरअसल, केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूबी) ने मप्र के 18 जिलों सहित देश के 256 जिलों की पहचान की है जहां भू-जल का अतिदोहन हुआ है। मप्र में भू-जल का अतिदोहन होने वाले 18 जिलों के करीब 4000 से अधिक गांवों में अभी से जलसंकट गहराने लगा है। सीजीडब्ल्यूबी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अभी से नहीं चेती तो स्थिति भयानक हो जाएगी। इस रिपोर्ट के बाद जब प्रदेश में नलजल योजनाओं की स्थिति का आंकलन किया गया तो यह तथ्य सामने आया कि कमलनाथ सरकार ने अपने 13 माह के शासनकाल में पेयजल की समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यही नहीं पिछले 15 सालों में लगभग 35,000 करोड़ रुपए खर्च हुए लेकिन पानी सिर्फ छह फीसदी ग्रामीण आबादी को ही मिल रहा है।
इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण खराब पड़ी नलजल योजनाओं का संधारण भी नहीं हो पाया है। वहीं पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में नलजल योजनाओं पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में सरकार ने 10,009 बसाहटों में हैंडपंप लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन इस दौरान केवल 6,810 ही हैंडपंप लगाए जा सके। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का दावा है कि प्रदेश में जलसंकट की स्थिति से निपटने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। विभाग के अनुसार, प्रदेश में कुल 16105 नलजल योजनाएं स्थापित की गई हैं, जिनमें से 15037 चालू हैं और 1068 बंद हैं। वहीं जल निगम द्वारा 36 नलजल योजनाएं संचालित हैं और उसका दावा है कि सभी चालू हैं। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि कागजों पर तो नलजल योजनाएं दुरुस्त हैं लेकिन स्थिति इसके विपरीत है। प्रदेशभर में करीब पांच हजार नलजल योजनाओं की स्थिति इतनी खराब है कि वे केवल शोभा की वस्तु बनी हुई हैं।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर हर ग्रामीण घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए हर घर नल, हर नल जल की योजना बनाई है। जल जीवन मिशन के तहत साल 2024 तक देश के सभी ग्रामीण परिवारों को हर घर जल सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। लेकिन विगत छह माह से प्रदेश की किसी भी पंचायत में 14वें वित्त आयोग की राशि नहीं डालने से मूलभूत काम ठप पड़े हैं। पंचायतों में पैसा नहीं होने की वजह से कई ग्राम पंचायतों में स्थानीय स्तर के काम रुके हुए हैं। खासकर नलजल योजनाओं का काम अधर में हैं। गर्मी का मौसम आने को है और ऐसे में पेयजल वितरण में भी परेशानी होगी। ग्राम पंचायतों में जर्जर पानी की टंकियों तथा टैंकरों की रिपेयरिंग के लिए भी राशि नहीं है। अधिकांश ग्राम पंचायतों में नलजल योजना के तहत लगाई मोटर व पाइपलाइन खराब है, उनके रखरखाव के लिए भी राशि चाहिए। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि दिसंबर माह तक यह राशि मिल जाती है। इस वर्ष मार्च माह आधा बीत गया, लेकिन राशि नहीं आई है। अगर राशि मार्च में भी नहीं मिली तो इसके लैप्स होने की संभावना है।
कागजों पर देखा जाए तो प्रदेश में नलजल योजनाओं की भरमार है। लेकिन हकीकत यह है कि कई योजनाएं बंद पड़ी हैं। उदाहरणार्थ सीहार जिले की आष्टा ब्लॉक में कहने को तो 55 से अधिक नलजल योजना और 2200 हैंडपंप हैं, लेकिन वर्तमान में कई की स्थिति खराब है। कई गांवों में नलजल योजना तो कहीं हैंडपंप बंद पड़े हैं। ऐसे में लोगों को पानी के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अभी की स्थिति में करीब 40 से अधिक गांवों में सबसे ज्यादा पानी की समस्या बनी हुई है। इसी तरह दमोह जिले के जनपद जबेरा के ग्राम बीजाडोंगरी में नल जल योजना की विद्युत मोटरें दो माह से खराब पड़ी हैं। जिससे पेयजल की आपूर्ति ठप है। ऐसे में ग्रामीणों को डेढ़ किमी का सफर तय करके पानी लाना पड़ रहा है। ग्रामीण हैंडपंप, कुंआ, बावड़ियों पर लोगों की हर समय भीड़ लगी रहती है। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, युवा सभी सुबह से शाम तक गांव के बाहर पानी भरने जाते हैं। जहां पर लोगों की भीड़ होने के कारण सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं हो पा रहा है। वहीं दूसरी कई बार शिकायत के बावजूद भी नलजल योजना की मोटरें अब तक नहीं सुधारी गई हैं। बीजाडोंगरी ग्राम में नलजल योजना के द्वारा सभी वार्ड में करीब 100 नल कनेक्शन से पेयजल आपूर्ति की जाती है। गांव के बबलू सिंह, बसोरी सिंह, हरि सिंह, हल्ले भाई ने बताया बीते दो माह से ग्रामीणों को एक बंूद भी पानी नहीं मिला है। जिससे गांव की 3 हजार आबादी पानी के लिए परेशान हैं।
जल के दोहरे संकट से निपटने का समय
नीति आयोग के अनुसार, देश के सामने पानी की दोहरी समस्या है-एक तरफ पानी की कमी है, दूसरी तरफ स्वच्छ जल की अनुपलब्धता है। वर्ष 2030 तक करीब 40 फीसदी भारतीयों के पास पीने का पानी नहीं होगा। इस संकट का मुकाबला करने के लिए सरकार पहले से ही रणनीति बना रही है। प्रधानमंत्री ने जहां लोगों से जल संरक्षण में योगदान करने का आग्रह किया है, वहीं जल शक्ति मंत्रालय को 2024 तक देश के सभी घरों में नलों के जरिए स्वच्छ पानी पहुंचाने का काम सौंपा गया है। पर देश दूसरी जिस बड़ी समस्या का सामना कर रहा है, वह है स्वच्छ पेयजल तक पहुंच में कमी। मप्र में ग्रामीण आबादी को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में सरकार ने 10,009 बसाहटों में हैंडपंप लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन इस दौरान केवल 6,810 ही हैंडपंप लगाए जा सके। ऐसे में इस गर्मी में भी लोगों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ेगा।
- कुमार विनोद