पूरे देश में स्वच्छता का डंका पीटने के बाद अब इंदौर जल संरक्षण पर तेजी से काम कर रहा है और इसके लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कई विशेषज्ञों को साथ लेकर एक सेल बनाया गया है, जो कुएं-बावड़ियों की सफाई से लेकर उन्हें पुनर्जीवित करने के साथ-साथ नए स्थानों पर सरोवर बनाने में जुटा है। शहर में 25 बावड़ियां हैं, जिनमें से कई की हालत बेहद अच्छी है। वहां साफ-सफाई के बाद उन्हें नया रंग-रूप दिया जा रहा है, वहीं कई कुओं की सफाई की तो उनमें गर्मियों के दौरान भी अच्छी खासी पानी की आव मिली। गर्मियों में कई बोरिंग सूख गए, लेकिन कुओं से पानी आता देख निगम के अफसर भी हैरान थे।
पिछले दो माह से इस नई कवायद की शुरुआत हुई थी और सबसे पहले तालाबों की स्थिति सुधारने के साथ-साथ उनके गहरीकरण और बारिश का पानी चैनलों के माध्यम से तालाब तक पहुंचने के मामले में ध्यान दिया गया। अभी करीब 40 से ज्यादा स्थानों पर चैनलों के गहरीकरण का काम तेजी से चल रहा है। इसके साथ-साथ अब निगम ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार की योजना जल शक्ति मिशन के तहत अमृत सरोवर योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए शहर के 5 से 7 जल विशेषज्ञों की तैनाती कर सेल गठित कर दिया गया है, जिसमें स्मार्ट सिटी के अफसरों के साथ-साथ कई आला अधिकारी भी शामिल हैं। पिछले दिनों कई स्थानों का दौरा सेल में शामिल अधिकारियों ने किया था और उसके बाद फिर शहरभर के कुएं-बावड़ियों के उत्थान के लिए काम शुरू हुए।
कुएं-बावड़ियों की सफाई अभियान के साथ-साथ इस बात का भी रिकार्ड रखा जा रहा है कि किन कुएं-बावड़ियों से कितना कचरा और गाद निकाली गई। इसके साथ ही प्रत्येक कुएं और बावड़ी की गहराई नापकर उसका भी रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। कुएं-बावड़ियों के आसपास इसकी गहराई से लेकर उन्हें पुनर्जीवित करने से लेकर कई जानकारी वाले सूचना बोर्ड भी लगाए जाएंगे। अप्रैल से जून की अवधि में शहर के जलस्रोत सूखने लगते हैं और इसी अवधि में वहां सफाई अभियान से लेकर कई कार्य कराए जा सकते हैं। स्मार्ट सिटी ने दो माह पहले जो अभियान शुरू कराया था। वह जून अंत तक या जुलाई के प्रथम सप्ताह तक जारी रह सकता है। अधिकारियों का कहना है कि कई स्थानों पर भीषण गर्मी के दौरान सफाई के बाद कुओं और बावड़ियों की स्थिति काफी अच्छी निकली। अफसरों का कहना है कि शहर में 563 कुओं और 25 बावड़ियों की सफाई के बाद क्षेत्र के उन रहवासियों का समूह बनाया जाएगा, जो इन जलस्रोतों का उपयोग करते हैं। उनके जिम्मे कुएं-बावड़ियों की सुरक्षा का काम रहेगा और इसके लिए चेतावनी बोर्ड भी लगाए जाएंगे।
केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के पोर्टल पर दो दिन पहले शहर के तालाबों की सफाई गहरीकरण और चैनलों को ड्रोन से ढूंढकर उनका गहरीकरण करने के मामले की रपट प्रकाशित हुई थी। इस रपट को निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने जल शक्ति मंत्रालय के पोर्टल पर अपलोड कराया। कई अधिकारियों ने इस कार्य को बेहतर बताते हुए निगम के कार्यों की प्रशंसा की। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अफसरों का कहना है कि शहर में कुल 629 कुएं हैं, जिनमें से 563 कुओं से पानी आ रहा है और इसके लिए अब वहां बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर कुओं की न केवल साफ-सफाई की जा रही है, बल्कि वहां तमाम इंतजाम कर रहवासियों को भी इस अभियान से जोड़ने की कवायद चल रही है। पुराने इंदौर के कई हिस्सों में वर्षों पुराने कुओं में लोगों ने कूड़ा-करकट डालकर उन्हें बंद कर दिया था। जब कुओं की साफ-सफाई की गई तो 25 फीट की गहराई वाले कुओं में पानी की आव फिर से होने लगी और उनमें पानी जमा हो रहा है।
संभागायुक्त पवन कुमार शर्मा ने बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर संभाग के ही बुरहानपुर को शत-प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंचाने वाला जिला घोषित किया था। बुरहानपुर जिला शत-प्रतिशत ग्रामों में नल से जल उपलब्ध कराने वाला प्रदेश का पहला जिला घोषित हो चुका है। प्रदेश में संचालित जल-प्रदाय योजनाओं के कार्यों से अब तक चार हजार 258 ग्रामों के शत-प्रतिशत घरों में जलापूर्ति की जा चुकी है। मिशन में इंदौर संभाग 905 गांवों के हर घर में नल से पानी मुहैया करवाकर प्रदेश में अग्रणी है। वहीं सीहोर जिला भी 258 ग्रामों के हर घर में जल पहुंचाकर पहले स्थान पर है। प्रदेश में मिशन के कार्य जून 2020 से प्रारंभ किए गए थे। बीते वर्ष 2020-21 और 2021-22 (22 महीनों) में 48 लाख 69 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों तक जल की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। प्रदेश के 4 हजार 258 गांव ऐसे हैं, जिनके हर परिवार तक नल कनेक्शन से जल की पूर्ति की जा चुकी है। मिशन में शत-प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक जल पहुंचाने वाले ग्रामों की संभागवार प्रगति में इंदौर संभाग के 905, उज्जैन के 754, भोपाल के 668, जबलपुर के 497, होशंगाबाद के 362, ग्वालियर के 327, सागर के 295, शहडोल के 159, मुरैना (चंबल) 151 और रीवा संभाग के 140 ग्राम शामिल हैं।
इंजीनियरिंग की मिसाल... विश्रामबाग की बावड़ी
जब अधिकारियों की टीम ने विश्रामबाग में 150 साल पुरानी एक बावड़ी का निरीक्षण किया तो वहां लोगों द्वारा फेंके गए कचरे के कारण बावड़ी का काफी हिस्सा ढंका हुआ था और जब वहां निगम की टीम और संसाधन लगाकर सफाई अभियान शुरू किया गया तो बावड़ी में काफी पानी जमा होने लगा। कुछ ही दिनों में बावड़ी पानी से भर गई। अधिकारियों का कहना है कि उक्त बावड़ी का निर्माण करीब डेढ़ सौ साल पहले हुआ था और इसकी बेहतरीन इंजीनियरिंग वहां देखने को मिलती है, क्योंकि इस अवधि में बावड़ी का एक भी चढ़ाव या हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ और उसमें पानी की आव आज भी बनी हुई है। इसके अलावा लालबाग की चंपा बावड़ी, बाणेश्वर कुंड की बावड़ी, पंचकुइया और कुछ अन्य स्थानों की बावड़ियों की सफाई का काम न केवल तेजी से चल रहा है, बल्कि वहां इस प्रकार से रंग-रोगन किया जा रहा है कि वहां लोगों का आवागमन भी हो सके। शहर में ऐसी 25 बावड़ियां हैं।
- विकास दुबे