18-Jan-2020 07:42 AM
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जं गलों से खुशखबरी आई है। देश में वन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। इसका खुलासा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की 2019 की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार दो साल में पांच हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक वन क्षेत्र फैल गया है। इसमें वन क्षेत्र और वन से इतर पेड़ों को भी हरित क्षेत्र में शुमार किया गया है। देश के कुल वन क्षेत्र का दायरा 21.67 फीसदी हो गया है। वर्ष 2014 से 2019 की पांच साल की अवधि में देश के वन क्षेत्र में 13 हजार वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ है। इस दौरान सघन वन क्षेत्र और विरल वन क्षेत्र समेत सामान्य वन क्षेत्र की श्रेणियों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है जो अकेले भारत में संभव हो सका है।
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रदेश के 50 जिलों में से 25 में वनक्षेत्र दो साल में कम हुआ और 25 में बढ़ा है। बताने की जरूरत नहीं कि इन जिलों में वन माफिया और वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की गई है। वहीं मध्य प्रदेश के 25 जिले ऐसे भी हैं जहां वन क्षेत्र बढ़ा है। कहने की जरूरत नहीं कि यहां का जंगल वन विभाग के अच्छे अधिकारियों के हाथ में रहा।
सबसे ज्यादा जंगल सीहोर जिले में कटे हैं। जंगल कटने की सूची में वनमंत्री उमंग सिंघार का गृहजिला धार भी शामिल है। वहीं पन्ना में सबसे ज्यादा वनक्षेत्र बढ़ा है। उज्जैन ऐसा जिला है जहां कुल क्षेत्रफल का एक प्रतिशत भी जंगल नहीं है। यहां जंगल सिर्फ 0.59 प्रतिशत जमीन पर है। उज्जैन ऐसा जिला है जहां कुल क्षेत्रफल का एक प्रतिशत भी जंगल नहीं है। यहां जंगल सिर्फ 0.59 प्रतिशत जमीन पर है। 10 जिलों में वनक्षेत्र 10 प्रतिशत से कम है और 17 में 20 प्रतिशत से कम। सिर्फ 2 जिलों में 50 प्रतिशत से ज्यादा। ये दो जिले बालाघाट और श्योपुर हैं। 10 जिलों में वनक्षेत्र 10 प्रतिशत से कम है और 17 में 20 प्रतिशत से कम। सिर्फ 2 जिलों में 50 प्रतिशत से ज्यादा। ये दो जिले बालाघाट और श्योपुर हैं। 10 प्रतिशत से कम वन वाले जिलों में झाबुआ भी शामिल है। 35 प्रतिशत से ज्यादा जंगल वाले जिले मात्र 10 हैं। इसरो के सेटेलाइट से मिले आंकड़ों से ये रिपोर्ट जारी की गई है। इसके पहले साल 2017 में रिपोर्ट आई थी। दो सालों में प्रदेश में 68.49 वर्ग किलोमीटर जंगल बढ़े हैं। प्रदेश में 25.14 प्रतिशत जंगल है। 2017 में ये 25.11 प्रतिशत थे। 17 जिलों में वेरी डेंस फॉरेस्ट (अधिक घनत्व वाले जंगल) नहीं है। आलीराजपुर और झाबुआ भी इस श्रेणी में रखे गए हैं।
इसरो के सेटेलाइट से मिले आंकड़ों से ये रिपोर्ट जारी की गई है। इसके पहले साल 2017 में रिपोर्ट आई थी। दो सालों में प्रदेश में 68.49 वर्ग किलोमीटर जंगल बढ़े हैं। प्रदेश में 25.14 प्रतिशत जंगल है। 2017 में ये 25.11 प्रतिशत थे। 17 जिलों में वेरी डेंस फॉरेस्ट (अधिक घनत्व वाले जंगल) नहीं है। आलीराजपुर और झाबुआ भी इस श्रेणी में रखे गए हैं। दमोह जिले में हर साल लाखों की संख्या में पौधरोपण किया जा रहा है, इसके बावजूद भी वन क्षेत्र बढऩे की बजाय घट रहा है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में दमोह जिले में 2606 वर्ग किलोमीटर के जंगल थे, जो वर्ष 2017 में 2594 वर्ग किलोमीटर के बचे हैं। वर्ष 2019 में 2587 वर्ग किलोमीटर का जंगल बचा हुआ है। दो साल में 7 वर्ग किमी जंगल कम हो गया है। दमोह जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 730600.00 हेक्टेयर है, जिनमें कुल 248981.81 हेक्टेयर क्षेत्र में अर्थात 35.41 प्रतिशत वनक्षेत्र है। वन विभाग के पास एक बड़ा मैदानी अमला भी पदस्थ है, जिस पर जंगलों को बचाने की पूर्ण जिम्मेदारी है, इसके बावजूद भी जिले में वन क्षेत्र घटना चिंता का विषय है। हैरानी की बात है कि वन विभाग द्वारा हर साल जिलेभर में 10 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया जाता है, लेकिन यदि इतनी अधिक संख्या में पौधे लगाए जा रहे हैं तो फिर वन क्षेत्र में कमी क्यों आ रही है। जबकि पड़ोसी जिले पन्ना एवं छतरपुर में वन क्षेत्र में इजाफा हुआ है।
एक समय था जब प्रदेश की हर सड़क किनारे बड़े-बड़े पेड़ हुआ करते थे, जिससे बाहर से आने वाले लोग पेड़ों की छांव में खड़े होकर तेज धूप से राहत महसूस करते थे, लेकिन सड़कों के चौड़ीकरण एवं शहरीकरण के विस्तार के चलते अधिकांश पेड़ गायब हो गए हैं। स्थिति यह है कि अब अधिकांश सड़क पर पेड़ नहीं बचे हैं। हालांकि मिशन ग्रीन एवं वन विभाग की ओर से पौधे लगाए गए हैं, लेकिन अभी वह विकसित हो रहे हैं।
हर 50 मीटर की दूरी पर एक पेड़ जरूरी
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. प्रभात सोनी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार पर्यावरण संतुलन के लिए प्रति व्यक्ति 4 पेड़ होना आवश्यक है। एक स्वस्थ पेड़ से सात लोगों को प्राण वायु मिल पाती है। यदि हम इसके आसपास कचरा जलाते हैं तो इसकी ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता आधी हो जाती है। इस तरह हम तीन लोगों से उनकी जिंदगी छीन लेते हैं। इसके अलावा किसी भी स्थान पर 50 मीटर की दूरी पर एक पेड़ जरूर होना चाहिए। इससे वहां के रहवासियों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध हवा मिलेगी और लोग स्वस्थ रहेंगे।
- धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया