राहत पर भेदभाव
18-Jan-2020 07:42 AM 1235067
सीजन 2019 में देश के कई राज्यों में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने से खेती के साथ ही जानमाल की हुए भारी नुकसान की भरपाई में भी केंद्र सरकार मप्र से भेदभाव कर रही है। प्रदेश में 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर खरीफ की फसल खराब हुई थी। अतिवृष्टि की भरपाई के लिए मप्र सरकार ने केंद्र को 6621.28 करोड़ रुपए का मेमोरेंडम भेजा था। लेकिन केंद्र ने अभी तक मप्र को दो किस्तों में 2,749 करोड़ रुपए ही दिया है। गत दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) की नई दिल्ली में बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) से सात राज्यों के लिए 5908.56 करोड़ के अतिरिक्त बजट को मंजूरी दी। इस राशि में असम के लिए 616.13 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी, जबकि हिमाचल प्रदेश के लिए 284.93 करोड़ रुपए, कर्नाटक के लिए 1,869.85 करोड़ रुपए, मध्य प्रदेश के लिए 1,749.73 करोड़ रुपए, महाराष्ट्र के लिए 956.93 करोड़ रुपए और त्रिपुरा के लिए 63.32 करोड़ रुपए तथा उत्तर प्रदेश के लिए 367.17 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। इससे पहले भी केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत चार राज्यों को 3200 करोड़ रुपए की अंतरिम वित्तीय सहायता जारी की थी। इसमें महाराष्ट्र को 600 करोड़ और मध्यप्रदेश को 1000 करोड़ रुपए जारी किए थे। बेमौसम बारिश और बाढ़ से मानसूनी सीजन में देश के कई राज्यों में खरीफ फसलों के साथ-साथ जानमाल को भारी नुकसान हुआ था। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बाढ़ से खरीफ फसलों खासकर के सोयाबीन, कपास, मक्का के साथ ही बागवानी फसलों अंगूर और अनार आदि के साथ ही प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ था जिस कारण प्रभावित किसानों को आर्थिक कठिनाईयों का सामाना करना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि की वजह से खरीफ फसलें प्रभावित हुई हैं। इससे प्रदेश में 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर में फसलें बर्बाद हुई हैं। फसलों की क्षतिपूर्ति, जान-माल और अधोसंरचना के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से 6621.28 करोड़ रुपए की राहत राशि मांगी थी। इसके एवज में केंद्र सरकार ने नवंबर 2019 को सिर्फ एक हजार करोड़ रुपए की राहत राशि ही भेजी थी। इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के किसानों की दुर्दशा व नुकसान का हवाला देकर कहा कि केंद्र से मदद की जरूरत है। केंद्र सरकार उदारता दिखाएं। उसके बाद गत दिनों फिर 1,749.73 करोड़ रुपए दिए। मध्यप्रदेश में मानसून सामान्य से 46 फीसदी अधिक बारिश हुई है जिस वजह से धान को छोड़कर हर फसल पर अतिवर्षा का असर हुआ है। मध्यप्रदेश में अतिवर्षा और इस वजह से होने वाले जलजमाव और बाढ़ ने किसानों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। आधी से अधिक खरीफ की फसल चौपट होने के बाद प्रदेश के किसान अब बीमा कंपनी और सरकार की तरफ से मिलने वाले मुआवजे की राह देख रहे हैं। अगस्त महीने में खेतों में जल जमाव के बाद सोयाबीन और मक्के की फसल खराब होने की सूचना आने लगी थी, जिसके बाद मध्यप्रदेश सरकार ने फसलों के सर्वे के आदेश दिए थे। मध्यप्रदेश सरकार के आधिकारिक आंकड़ों की माने तो प्रदेश में खरीफ की 149.35 लाख हेक्टेयर फसल में से 60.52 लाख हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है। इससे लगभग 55.36 लाख किसान प्रभावित हुए हैं। हरदा के किसान सेठी पटेल कहते हैं कि उनकी सोयाबीन, मूंग, उड़द, अरहर और मक्के की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई। धान की फसल से कुछ उम्मीद है। पटेल ने बताया कि सोयाबीन की फसल काटने के बाद उससे आमदनी होती थी जिससे वे गेंहू और चने की फसल लगाते थे, लेकिन इस बार खराब सोयाबीन की फसल हटाने के लिए पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। कई किसानों के पास पैसे न होने की वजह से सोयाबीन की खराब फसल खेतों में अभी भी लगी हुई है और कुछ किसान खेत साफ करने के लिए कर्ज ले रहे हैं। मंडियों में इस समय सोयाबीन की आवक हो जाती थी और ट्रक के ट्रक सोयाबीन मंडियों में खड़े रहते थे, लेकिन इस साल स्थिति बदली हुई है। फसल बीमा का 2301 करोड़ का भुगतान रोका खरीफ वर्ष-2019 के लिए फसल बीमा का राज्यांश अग्रिम राशि 509.60 करोड़ रुपए का भुगतान बीमा कंपनियों को कर दिया है लेकिन केंद्र सरकार ने इस मद में भी राज्यांश की राशि 231 करोड़ रुपए का भुगतान अब तक नहीं किया है। कृषि मंत्री ने कहा पिछली भाजपा सरकार ने बीमा कंपनियों को रबी सीजन 2017-18 में 165 करोड़, खरीफ-2018 में 1772 करोड़ तथा रबी सीजन 2018-19 में राशि 424 करोड़ रुपए यानी कुल 2301 करोड़ रुपए का राज्यांश राशि का भुगतान नहीं किया है। इसलिए इस साल हमें फसल बीमा का खरीफ-2019 का केंद्र का हिस्सा केंद्र सरकार नहीं दे रही है। कृषि मंत्री ने बताया राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के समय का खरीफ 2018 के फ्लैट भावांतर योजना में मक्का फसल के लिए 2 लाख 60 हजार किसानों को 514 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। खरीफ 2017 के भावांतर के 576 करोड़, खरीफ 2018 के 321 करोड़ और अतिरिक्त 6 लाख मीट्रिक टन के 120 करोड़ अर्थात कुल 1017 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने मप्र को अब तक नहीं दिए हैं। - श्याम सिंह सिकरवार
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