05-Apr-2021 12:00 AM
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अटल प्रोग्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम 8 महीने से बंद है। राजस्व विभाग एक्सचेंज में दोगुना जमीन देने को सहमत नहीं है। इससे किसान जमीन के बदले उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण कराने के लिए प्रशासन से अनुबंध नहीं करना चाहते। इस हाल में 489 हैक्टेयर निजी जमीन एमपीआरडीसी को कैसे मिलेगी इसे लेकर प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों की चिंता 8 महीने से बरकरार है। किसानों को उम्मीद थी कि नए हाईवे के लिए जमीन देने के एवज में उन्हें दोगुना जमीन मिल जाएगी लेकिन भू-राजस्व संहिता में ऐसा नियम न होने के कारण मुख्यमंत्री की घोषणा के पालन में व्यवधान आ रहा है। मुरैना से श्योपुर तक बनाए जाने वाले अटल प्रोग्रेस-वे के लिए मुरैना के 1358 किसानों की 489 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसके लिए गूगल मैप के अनुसार मुरैना, अंबाह, पोरसा, जौरा, कैलारस व सबलगढ़ के किसानों की निजी जमीन चिन्हित कर ली गई है। हालांकि किसान इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीनों को देने के मूड में नहीं हैं लेकिन अगस्त-2020 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर प्रवास के दौरान घोषणा की थी कि किसानों को जमीन के बदले दोगुना जमीन दी जाएगी।
मुख्यमंत्री की घोषणा भू-राजस्व संहिता के नियमों के अनुरूप न होने के कारण राजस्व अधिकारियों ने किसानों से स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि जितनी जमीन ली जाएगी उतनी ही जमीन दूसरी जगह एक्सचेंज में मिलेगी। एसडीएम व तहसीलदारों के ऐसे जवाब सुनकर अंबाह व पोरसा के किसानों ने अटल प्रोग्रेस-वे के लिए जमीन देने से साफ मना कर दिया है। पिछले दिनों एलएन मालवीय ग्रुप के कंसलटेंट अंबाह इलाके में जमीन के सर्वे नंबरों का सत्यापन करने गए तो किसानों ने उन्हें अपनी जमीनों की लोकेशन दिखाने व सर्वे नंबर बताने से इंकार कर दिया। जानकारी के अनुसार अटल प्रोग्रेस-वे की कुल लागत 6000 करोड़ रुपए आंकी गई है। इस परियोजना के तहत कोटा से श्योपुर, मुरैना होते हुए भिंड तक हाईवे बनेगा। मुरैना जिले में 1467 हैक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। राजस्व विभाग ने अगस्त में एनएचएआई को 978 हैक्टेयर सरकारी जमीन दे दी है। अभी 70 गांवों के 1358 किसानों से निजी जमीन ली जानी है। 489 हैक्टेयर निजी जमीन का अधिग्रहण करना बाकी है।
अटल प्रोग्रेस-वे के लिए मुरैना अनुभाग के गड़ौरा, गौसपुर, जखौना, नायकपुरा, गोरखा, पिपरई, विंडवा चंबल, मसूदपुर, जारह व कैंथरी गांव की जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। दो शिविर लगाने के बाद भी किसानों ने अपनी जमीन देने की सहमति नहीं दी। अंबाह के ऐसाह, जौंहा, डंडौली, खिरेंटा, गूंज व रिठौना गांव की 73.685 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है लेकिन किसान दोगुनी जमीन मिलने का लिखित अनुबंध होने के बाद ही अपनी जमीन देने की बात कह रहे हैं। उक्त गांवों से होकर ही अटल प्रोग्रेस-वे निकलेगा। इसमें मुरैना के 11, पोरसा के 15, जौरा के 18, सबलगढ़ के 21 व पोरसा के 15 गांव शामिल रहेंगे। 6 हजार करोड़ की लागत के प्रोग्रेस-वे को घड़ियाल अभयारण्य को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से चंबल नदी से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट में करीब 1467 हैक्टेयर जमीन सरकारी है। वहीं 489 हैक्टेयर किसानों की जमीन आएगी। एक्सप्रेस-वे की जद में करीब 1248.86 हैक्टेयर जमीन आ रही है। इसके बदले में किसानों को दूसरी जगह जमीन कलेक्टरों को उपलब्ध करानी होगी। जमीन देने पर काफी किसानों ने अपने सहमति भी दे दी है। औपचारिकताओं को अच्छा करने का प्रयास किया जा रहा है।
अटल प्रोग्रेस-वे की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का काम राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भोपाल की एलएन मालवीय कंपनी को दिया है। इस कंपनी को एक साल में डीपीआर बनाकर एनएचएआई को सौंपना थी। इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी और उसके अगले चरण में प्रोग्रेस-वे बनाने का काम लेकिन कंसल्टेंट अभी गूगल पर रोडमैप बनाने के लिए सरकारी जमीन से लेकर किसानों व वन विभाग की जमीन के सर्वे नंबरों पर लाइनिंग तक ही सीमित है। डीपीआर कब तक बनेगी इसका कोई जबाव कंसल्टेंट समेत एनएचएआई के अफसरों के पास नहीं है। सड़क विकास निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर पीएस राजपूत कहते हैं कि प्रोग्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जुलाई 2020 से बंद है। शासन से भी नए दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। डीपीआर तैयार कर रही कंसल्टेंसी के कारिंदे पिछले दिनों अंबाह-पोरसा आकर निजी जमीन के सर्वे नंबर पटवारियों से सत्यापित करा ले गए हैं लेकिन किसान दोगुनी जमीन की जिद पर अड़े हैं।
उप्र-राजस्थान भी बने राह में रोड़ा
चंबल प्रोग्रेस-वे योजना में उप्र और राजस्थान सरकार से भी सहयोग नहीं मिलने के चलते अटल प्रोग्रेस-वे की लंबाई अटक गई है। निर्माण के लिए एनएचएआई ने दोनों राज्यों को पत्र लिखकर भूमि अधिग्रहण के संबंध में कहा था, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया है। एनएचएआई ने डीपीआर के लिए कंपनी नियुक्त कर दी है। कंपनी रिपोर्ट 6 से 9 माह में दे देगी। दोनों राज्यों के राजी होने के बाद अब इस मार्ग की लंबाई 350 से 400 किमी होगी। पहले चरण में एक्सप्रेस-वे फोरलेन का होगा। इसकी डिजाइन और स्पेस 8 लेन तक रखा जाएगा। परियोजना उप्र के इटावा से शुरू होगी। राजस्थान के कोटा के पास दिल्ली, आगरा और दिल्ली-मुम्बई कॉरिडोर में मिलेगी। अनुमानित लंबाई 398.08 किमी है। एक्सप्रेस-वे मप्र के भिंड से एनएच-92 से शुरू होगा। मुरैना से उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर से होते हुए राजस्थान सीमा तक पहुंचेगा।
- प्रवीण कुमार