03-Oct-2014 10:41 AM
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मध्यप्रदेश में होने वालेे ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले सरकार ने अपने कार्यकलापों का आत्मनिरीक्षण करने के लिए 27 और 28 सितम्बर को मंथन किया। मंथन से अमृत भी निकलता है और विष

भी। विषपान करने के लिए तो शिव हैं ही लेकिन प्रदेश के विकास को अमृत्व प्रदान करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रशासन की सहभागिता और समन्वय बना रहे। इसीलिए इंदौर में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से लगभग 10 दिन पूर्व मंथन करके आत्मनिरीक्षण किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मध्यप्रदेश यात्रा सुनिश्चित होने और इंवेस्टर्स समिट में उनके भाग लेने के कारण नौकरशाही से लेकर प्रशासन की लगाम कसना सरकार को उचित लगा। देखना यह है कि 10 दिन के थोड़े से समय में इस मंथन की अनुशंसाओं पर कैसे काम होता है। सरकार का कहना था कि शासन-प्रशासन की प्रक्रियाओं को अधिक लोकोन्मुखी बनाने और लोक सेवाओं के प्रदाय को प्रभावी बनाने के लिये शुरू की गई विचार-विमर्श की प्रक्रिया मंथन - 2014 में विभिन्न मुद्दों पर करीब 450 अनुशंसाएं और सुझाव प्राप्त हुए। स्थानीय प्रशासन अकादमी में आयोजित मंथन - 2014 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बदलती परिस्थितियों के अनुरूप लोकहित में शासन-प्रशासन की प्रक्रियाओं में बदलाव जरूरी है। चौहान ने कहा कि हितग्राहीमूलक योजनाओं के संबंध में समग्र व्यवस्था, अधोसंरचना निर्माण, स्वास्थ्य-शिक्षा-सार्वजनिक वितरण प्रणाली, नियामक सेवाएँ, प्रशासनिक सुधार, वित्तीय संसाधनों को बढ़ावा-संसाधनों का अधिकतम उपयोग तथा आधुनिक तकनीक का उपयोग जैसे विषयों पर प्राप्त अनुशंसाओं पर संबंधित विभागों से एक माह के अंदर टिप्पणियाँ आमंत्रित की जायेंगी। विभागों से कहा गया है कि वे एक बार पुन: अनुशंसाओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करें। मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा इस कार्य का समन्वय करेंगे। इसके बाद वित्त एवं संबंधित विभागों की आपसी सहमति और मंत्रिमंडलीय समिति के अनुमोदन के बाद उन्हें निर्णय के रूप में लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रक्रियाओं और कानूनों में भी लोकहित की दृष्टि से बदलाव किया जायेगा।
चौहान ने कहा कि संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श के लिये गठित समूहों की ऐसी अनुशंसाएँ जो अत्यंत व्यवहारिक और लागू करने योग्य हैं उन्हें तत्काल प्रभाव से निर्णय के रूप में लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग आवश्यकतानुसार विषय-विशेषज्ञों की सेवाएँ भी ले सकते हैं। उल्लेखनीय है कि शासन-प्रशासन को लगातार सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के लिये शुरू की गई विचार-विमर्श की श्रंखला में यह तीसरा मंथन कार्यक्रम था। हितग्राहीमूलक योजनाओं के संबंध में गठित समूह का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा, वित्तीय संसाधनों को बढ़ावा-संसाधनों का अधिकतम उपयोग पर गठित समूह का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव अजय नाथ, स्वास्थ्य-शिक्षा-सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर गठित समूह का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिवएस.आर. मोहंती, अधोसंरचना निर्माण के लिये गठित समूह का प्रस्तुतीकरण प्रमुख सचिव जल संसाधन आर.एस जुलानिया, नियामक सेवाओं पर गठित समूह का प्रस्तुतीकरण प्रमुख सचिव गृह बी.पी. सिंह, प्रशासनिक सुधार पर गठित समूह का प्रस्तुतीकरण प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन के. सुरेश और आधुनिक तकनीक का उपयोग पर गठित समूह का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव एम.एम. उपाध्याय ने दिया। समूह द्वारा दिये गये प्रस्तुतीकरण के बाद उपस्थित विभागीय मंत्रियों तथा अधिकारियों ने सुझाव दिये।
क्या कहा मंत्रियों ने
उमाशंकर गुप्ता ने नीतियों के सरलीकरण और लीज आदि के कम करने की बात की। उनका विश्वास था कि सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार का लाभ अधिक लोगों को मिलना चाहिए। विजय शाह ने आदिवासियों के लिए बैंकिंग लोकप्रिय बनाने की बात कही और सुझाव दिया कि चलित बैंक एटीएम बनाए जाएं और जो लोग बीपीएल में दो जगह नाम दर्ज कराते हैं उन्हें सजा दी जाए। अंतर सिंह आर्य ने कहा कि प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षितों को रोजगार मिलना चाहिए तथा लोन देने से पहले प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। दीपक जोशी ने शिक्षा के क्षेत्र में नए इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया।
-Kumar Rajendra