आखिर क्यों छुपाए जा रहे 45 गैंगरेप
01-Dec-2015 10:15 AM 1235025

होलकर राजाओं के दौर में बना कजलीगढ़ का किला किसी खास जंग का गवाह बना या नहीं, ये अलग बात है। लेकिन किले की दरकती दरो-दीवार और चारों ओर हरीे-भरी वादियों से घिरा ये खंडहर आज भी सैलानियों को चुंबक की तरह अपनी ओर खींचता है। किले के साथ ही बना भगवान शंकर का मंदिर और पास ही बहता झरना इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगाता है, लेकिन ये कुदरती खूबसूरती और भगवान के मंदिर की मौजूदगी के बावजूद गुनहगार अपनी गुनाहों से बाज नहीं आए और यहां सीरियल गैंगरेप को अंजाम देते रहे। अब इंदौर की पुलिस इस मामले में बेशक कोई खास शिकायत नहीं होने की वजह से इन बदमाशों को वॉक ओवर देने की तैयारी कर रही हो, लेकिन दुनिया जानती है कि कजलीगढ़ के आस-पास ऐसे जुर्म आज से नहीं, बल्कि सालों से होते रहे हैं।
गैंगरेप का गुनाह, अपने-आप में कुछ इतना घिनौना और कचोटने वाला है कि सुनते ही मन कड़वा हो जाता है। लेकिन अगर कहीं, किसी के 45 से भी ज्यादा गैंगरेप करने की बात सुनने को मिले, तो तकलीफ कितनी और कैसी होती है, ये बयान करना भी मुश्किल है। इंदौर के नजदीक कजलीगढ़ के किले से निकली हकीकत कुछ ऐसी ही है। यहां पुलिस के हाथ लुटेरों के एक ऐसे गैंग तक पहुंचे हैं, जिन्होंने तीन सालों में करीब 45 से भी ज्यादा लड़कियों से गैंगरेप किया। सुनकर यकीन नहीं होता, देख कर आंखें धोखा खा जाती हैं। मगर क्या करें? यही सच है। वो सच, वो जो इंदौर के इस मशहूर कजलीगढ़ किले से सामने आया है। सामने आया है कि किस तरह इस किले में सालों-साल सैलानी आते रहे और गैंगरेप का शिकार हो कर खामोशी से वापस लौटते रहे। सामने आया है कि किस तरह किले की दरो-दीवार के बीच छुपे इंसानियत के लुटेरे सालों-साल सैलानियों को अपना शिकार बनाते रहे और तमाम कीमती चीजों के साथ-साथ लड़कियों की अस्मत भी लूटते रहे। लेकिन इससे भी घिनौनी बात यह सामने आई है कि इस मामले की जांच कर रहे एसपी डी. कल्याण चक्रवती ने फर्जी रिपोर्ट बनाकर यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि यहां ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है।
एसपी की रिपोर्ट के मुख्य तीन गवाह लीलाधर मालवीय, रामचरण और शेखर का भी कहना है कि एसपी को उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि कजलीगढ़ में ज्यादती की कोई घटना नहीं हुई। हालांकि रिपोर्ट उजागर होने के बाद इंदौर ही नहीं भोपाल में भी हड़कंप मच गया है और डीजीपी सुरेंद्र सिंह ने इस मामले में अपने स्तर पर जांच कराने की बात कही है। उधर, एडीजी विपिन माहेश्वरी ने जांच शुरू कर दी है। साथ ही डीआईजी संतोष कुमार सिंह भी गोपनीय जांच की कार्रवाई शुरू कर चुके हैं।
इस तरह खुला मामला
उल्लेखनीय है कि इस साल जून की तपती गर्मी में कजलीगढ़ किले का काला सच सामने आया था। कजलीगढ़ की ये काली कहानी शायद कभी जमाने के सामने नहीं आती, अगर पुलिस के हाथ ये छुटभैये लुटेरे ना लगे होते। लेकिन इंदौर की सिमरोल पुलिस लूटपाट की एक शिकायत की तफ्तीश करती हुई इन बदमाशों तक क्या पहुंची, एक खौफनाक और दहलाने वाली कहानी सामने आ गई। एक ऐसी कहानी जिस पर खुद पुलिसवालों के लिए भी यकीन करना मुश्किल हो गया। इन बदमाशों ने लूटपाट की बात तो कुबूल की ही, लेकिन साथ ही कुबूल किया कि वो पिछले कुछ सालों में कजलीगढ़ के किले में लूटपाट के साथ-साथ वहां घूमने आने वाली तकरीबन 45 से भी ज्यादा लड़कियों से गैंगरेप भी कर चुके हैं। ये कोई मामूली कुबूलनामा नहीं था। लिहाजा, लूट के डिटेक्शन से राहत की सांस ले रही पुलिस ये सुन कर खुद ही सकते में आ गई। धाकड़ से धाकड़ पुलिसवालों के भी होश उड़ गए। दरअसल, ये गैंग कजलीगढ़ की सुनसान वादियों और किले के खंडहरों के पीछे छुप कर सालों से लूटपाट और गैंगरेप की इन वारदात को अंजाम दे रहा था, लेकिन ज्यादातर मामलों में गैंगरेप का शिकार होनेवाली लड़कियां, उनके दोस्त या फिर रिश्तेदार लोकलाज के डर से पुलिस के पास रिपोर्ट लिखवाने ही नहीं पहुंचे।
कपड़े उतारकर जंगल में छोड़ देते थे
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो पहले गैंगरेप करते। और फिर एमएमएस बना लेते। और जब इससे भी मन नहीं भरता, तो लड़कियों के कपड़े तक उतार कर उन्हें जंगल में भटकने के लिए छोड़ देते। कि कोई कभी पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं। और बस, इसी तरीके का फायदा उठा कर वो सालों-साल लड़कियों की अस्मत से खेलते रहे। और गैंगरेप की शिकार लड़कियां चुपचाप सबकुछ सहती रहीं। 4 बदमाशों के इस गैंग के गिरफ्त में आने के बाद जब इसके सरगना श्रीराम ने मुंह खोला, तो पुलिस बस सुनती ही रह गई। उसने कहा कि वो ना सिर्फ कजलीगढ़ में घूमने आने वाले सैलानियों को अकेला पाकर उनके साथ लूटपाट करते थे, बल्कि लड़कियों के साथ गैंगरेप भी उनका पसंदीदा शगल था। इतना ही नहीं गैंगरेप और लूटपाट के साथ ही वो अपनी पकड़ में आए जोड़े के मोबाइल फोन से उनका सिम कार्ड निकाल कर भी उनके सामने ही तोड़ देते, ताकि उनके चंगुल से छूटने के बाद वो फौरन मदद के लिए किसी से बात भी ना कर सकें। और इसमें कजलीगढ़ किले के सुनसान खंडहर और यहां के घने जंगलों की ओट इन बदमाशों के लिए छिपने की जगह साबित होती।
सच सामने आने के बाद एडीजी विपिन माहेश्वरी और डीआईजी संतोष कुमार सिंह ने पूरे मामले की जांच करने का जिम्मा एसपी डी. कल्याण चक्रवर्ती को सौंपा था।  इस मामले की तफ्तीश आगे कैसे बढ़ेगी इसको लेकर शुरू से ही सवाल उठ रहे थे, क्योंकि बदमाशों का कुबूलनामा अपनी जगह है। लेकिन हकीकत यही है कि इन मामलों में अब तक पुलिस के पास ऐसी एक भी शिकायत नहीं है, जिसे वो इस गैंग की इस करतूत के साथ जोड़ सके। बस इसका का फायदा उठाते हुए एसपी डी. कल्याण चक्रवर्ती ने अपना पूरा फोकस मामले को झूठा साबित करने पर ही रखा। पहले दिन से ही टीआई सिमरोल एसडी मूले उनके निशाने पर थे। जांच के नाम पर एसपी ने टीआई की कॉल डिटेल निकाली कि उन्होंने इस दौरान किस-किस से बात की। कहते हैं टीआई का दोष यह था कि कजलीगढ़ का सच उन्होंने पहले एसपी को नहीं बताया। टीआई को इसका खामियाजा इस रूप में भुगतना पड़ रहा है कि-जांच रिपोर्ट में एसपी ने टीआई पर कार्रवाई की अनुशंसा यह कहते हुए कर दी कि उन्होंने ही मीडिया को कजलीगढ़ की घटना की जानकारी दी थी। एसपी ने जांच में बताया लूट के मामले में गिरफ्तार श्रीराम, कान्हा, संजय और नाबालिग ने पूछताछ में किसी महिला से ज्यादती नहीं करना बताया जबकि श्रीराम ने खुद 45 ज्यादती की घटनाएं कबूली थीं। श्रीराम का बयान सारे मीडिया चैनलों पर चला था और टीआई ने भी मीडिया को बाइट में बताया था। सिमरोल थाने में 2012 से अब तक हुई लूट की चार वारदातों की जानकारी का उल्लेख किया जबकि यह पहले भी खुलासा हो चुका था कि लड़कियों ने डर और बदनामी के कारण रिपोर्ट नहीं लिखाई। ऐसे में रिपोर्ट तो मिलना थी ही नहीं। गांव के चार लोगों के बयान लिए। इनमें चारों के बयान मन से लिखे गए जबकि चारों ने पुलिस को ज्यादती और छेड़छाड़ होना बताया था।
आखिर में टीआई एसडी मूले के निजी नंबर की कॉल डिटेल एसपी ने निकाल ली। इसमें मीडिया कर्मियों से बात होने का प्रमाण देते हुए यह लिखा गया कि टीआई ने ही यह सारी जानकारी सार्वजनिक की है। इस आधार पर टीआई पर कार्रवाई की अनुशंसा कर दी गई। इस आधार पर एसपी ने साफ लिखा है कि टीआई ने ही सारी घटना की जानकारी दी। इससे यह भी साफ है कि टीआई को आरोपी ने यह सब पूछताछ में बताया। इससे पूरी घटना की पुष्टि अपने आप ही हो गई।
कजलीगढ़ में पिछले दो साल में 45 से ज्यादा लड़कियों के साथ हुई ज्यादती की घटनाओं की जांच करने वाले एसपी डी. कल्याण चक्रवर्ती की रिपोर्ट को ग्रामीणों ने फर्जीÓ करार दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि एसपी ने अगर ऐसी रिपोर्ट बनाई है तो वह झूठी है। हमने तो बताया था कि ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। हमने लड़की को बदमाशों से छुड़ाया था, उसे कपड़े भी दिए थे। इस दौरान ग्रामीणों ने आरोपियों को पकडऩे का वीडियो भी उपलब्ध करवाया। इस मामले में एसपी डी कल्याण चक्रवती का कहना है कि ग्रामीण रिपोर्ट से उलट बात कर रहे हैं तो मैं उन्हें बुलाकर दोबारा बात करूंगा।
-इंदौर से विकास दुबे

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