05-Aug-2015 07:55 AM
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19 जुलाई का दिन भारतीय टेनिस जगत के लिए दो खुशखबरी लेकर आया पहले लड़कों के वर्ग में सुमित नागल ने डबल्स का जूनियर खिताब जीता और उसके दो घंटे बाद ही लिएंडर पेस और उनकी

स्विस जोड़ीदार मार्टिना हिंगिस ने विंबल्डन मिक्स डबल्स का खिताब अपने नाम किया लिएंडर पेस का यह कुल मिलाकर 16वीं खिताब था, पेस आठ बार पुरुष डबल्स औऱ 8 बार मिक्स डबल्स का खिताब जीत चुके हैं।
पिछले 24 साल से टेनिस कोर्ट पर अपना जलवा बिखेर रहे पेस की जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए। इस दौरान पेस ने अपने अलग अलग कुल 100 जोड़ीदारों के साथ मैदान मे उतरकर एक और इतिहास रचा। पेस भारत के लिए ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी बने। भूपति के साथ उनकी मशहूर जोड़ी टूट गई लेकिन जीत के प्रति उनका जज्बा बरकरार रहा। विंबल्डन के मिक्स डबल्स में मार्टिना हिंगिस एक बार फिर से भारत के लिए लकी रहीं और पेस के साथ उनकी जोड़ी ने ऑस्ट्रिया के एलेक्जेंडर पेया और हंगरी की टिमेया बाओस की जोड़ी को सीधे सेटों में 6-1, 6-1 से एक घंटे से भी कम समय में हरा दिया। इस तरह पेस ने 16वीं बार ग्रैंड स्लैम ट्रॉफी हासिल की। पेस के लिए साल या यह दूसरा खिताब था। इससे पहले भी ऑस्ट्रेलियन ओपन मे भी पेस और हिंगिस की जोड़ी ने मिश्रित युगल का खिताब जीता था। 17 जून 1973 को कोलकाता मे जन्में लिएंडर पेस ने टेनिस की दुनिया में अपने हुनर के दम पर एक अलग मुकाम हासिल किया है। स्पोर्टिंग बैकग्राउंड से आए लिएंडर के पिता हॉकी के खिलाड़ी थे और मां बेसबॉल खेला करती थी। जिसका असर लिएंडर पेस के दिलोदिमाग पर भी पड़ा।लेकिन पेस ने पिता की हॉकी स्टिक की बजाए टेनिस रैकेट का दामन थामा 1985 में पेस ने मद्रास की ब्रिटानिया अमृतराज टेनिस अकादमी में दाखिला लिया। लेकिन प्रोफेशनल खिलाड़ी के तौर पर पेस 1991 में उभर कर सामने आएज्हालांकि पेस को सिगल्स मुकाबलों में खास सफलता नहीं मिली तो उन्होंने डबल्स का रुख कर लिया। बावजूद इसके 1996 के अटलांटा ओलंपिक में पेस ने फर्नांडो मेलिगेनि को हराकर कांस्य पदक जीता। पेस का यह पदक भारत का दूसरा व्यक्तिगत ओलंपिक पदक था। ओलंपिक की सफलता को भुनाते हुए पेस ने महेश भूति को अपना जोड़ीदार बनाया और एक के बाद एक सफलता की सीढिय़ा चढ़ीं। इस जोड़ी ने अपने करियर में 303 मैच जीते जबकि केवल 103 में हार मिली इसमें 6 ग्रैंड स्लैम भी शामिल हैं। हालांकि कई बार इन दोनों की जोड़ी में मतभेद होने से दरार पैदा भी हुई। लेकिन तब तक पेस-भूपति की जोड़ी टेनिस जगत में भारत को खास मुकाम दिला चुकी थी। पेस ने अपने करियर में कुल 16 ग्रैंड स्लैम जीते हैं। जिनमें से आठ ग्रैंड स्लैम डबल्स में और 8 ग्रैंड स्लैम मिक्स डबल्स में जीते हैंज्चारों प्रतिष्ठित ग्रैंड स्लैम में कोई ऐसा खिताब नहीं जिसे पेस ने अपने जोड़ीदारों के साथ न जीता हो पेस को उनकी उपलब्धि के लिए 1996 में राजीव गांधी खेल रत्न और 2001 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। भारतीय टेनिस ने काफी उतार चढ़ाव देखेज्लंदन ओलंपिक से ऐन पहले पेस-भूपति की जोड़ी टूटी भूपति बोपन्ना ने पेस के साथ जोड़ी बनाने से इनकार कर दिया। फिर भी पेस ने देश के सम्मान की खातिर विष्णु वर्धन के साथ जोड़ी बनाई साल 2013 में भारतीय टेनिस खिलाडिय़ों का ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन यानि आइटा के साथ विवाद हो गया। जिसके बाद कई खिलाडिय़ों ने डेविस कप से नाम वापस ले लियाज्भारत को लाज बचानी मुश्किल पड़ गई। ऐसे समय भी पेस ने अपना गुरूर दूर रखते हुए देश के सम्मान की खातिर डेविस कप में हिस्सा लिया और टूर्नामेंट में भारत को एकमात्र जीत दिलाई अब जब भारतीय टेनिस हाशिए पर जाता दिख रहा था। तब पेस ने अपने अनुभव से यूएस ओपन का खिताब जीतकर न सिर्फ अपने शानदार करियर में एक और रत्न जोड़ा है। बल्कि भारतीय टेनिस की उम्मीदों को कायम रखा है। एकतरफ क्रिकेट जैसे टीम गेम में खिलाडिय़ों को उम्र और थकान का हवाला देकर आराम फरमाने दिय जाता है, तो दूसरी तरफ पेस की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। खेलभावना, खेल के प्रति समर्पण और देशसेवा की भावना लिए हुए पेस लगातार एक के बाद एक मुकाम छूते जा रहे हैं। यहां एक और खास बात है कि पेस ने कभी भी अपने स्वार्थ की खातिर देश के सम्मान से समझौता नहीं होने दिया।