19-Jan-2015 05:18 AM
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भारत को जानो, भारत को मानो

गुजरात में प्रवासी भारतीय दिवस इस बार महात्मा गांधी की अफ्रीका से वापसी की वर्षगांठ के कारण उत्सव में तब्दील हो गया। प्रवासी भारतीय दिवस से लगा-लगाया गुजरात वाइबें्रट समिट भी था। दोनों कार्यक्रम कुछ इस तरह घुल-मिल गए कि जनता को लगा कि सब एक ही हैं। लेकिन प्रवासी भारतीयों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकरीबन वे ही बातें दोहराईं जो वे लंबे अरसे से करते आ रहे हैं कि वीजा को आसान बनाया जाएगा। भारतीय मूल के ढाई करोड़ लोग विदेशों में हैं जिन्होंने वहां भारत को जीवंत बना रखा है। बहुत से लोग अवसरों की तलाश में विदेश जाते हैं लेकिन आज वे अवसर भारत में ही हैं।
ब दलाव बहुत तेजी से हुआ है, दुनिया भारत को अत्यधिक आशाभरी नजरों से देख रही है। महात्मा गांधी को जितना अधिक दुनिया जानेगी उतना ही श्रेष्ठ होगा, उनकी शिक्षाएं सभी के लिए समान रूप से पथ-प्रदर्शक हैं। इसीलिए सारी दुनिया में भारतीय समुदाय को पैसों के लिए नहीं बल्कि उनके मूल्यों और परंपराओं के लिए सम्मान मिलता है। विदेश में जब भी कोई अपने पड़ोसी के रूप में किसी भारतीय को पाता है तो उसे हार्दिक प्रसन्नता होती है, क्योंकि उसे लगता है कि उसके बच्चे भी पारिवारिक मूल्यों को आत्मसात करेंगे। प्रधानमंत्री ने अपनी विदेश यात्राओं का भी जिक्र किया और कहा कि वे पद संभालने के बाद विश्व के 50 नेताओं से मिले और सभी ने भारत के साथ काम करने की आकांक्षा प्रकट की। ऐसे अवसर किसी राष्ट्र के जीवन में बार-बार नहीं आते हैं। दुनिया भारत को गले लगाने के लिए तैयार है, वे हमेंं बहुत कुछ देना चाहते हैं किंतु इसके लिए हमें अपने आप में आत्मविश्वास पैदा करना होगा। जब संयुक्त राष्ट्र संघ में योग दिवस मनाने का सुझाव दिया गया तो संयुक्त राष्ट्र संघ सहित दुनिया के 177 देशों ने इसे प्रायोजित करने पर सहमति जताई। नरेंद्र मोदी प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान हुई अव्यवस्थाओं पर भी थोड़े चिंतित दिखाई दिए, लेकिन उन्होंने अपनी वाक क्षमता से इस चिंता को अलग करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि किस तरह कई देशों के भारतवंशियों और नागरिकों को भारत आने पर तत्काल वीजा दिया जा रहा है। प्रवासी भारतीय दिवस में 58 देशों के 4 हजार प्रवासी भारतीय अपनी जड़ों को तलाशने भारत आए हुए थे। पहली बार गुजरात में यह आयोजन हुआ और कुछ अव्यवस्थाओं को छोड़ दिया जाए तो इसे लगभग सफल ही कहा जाएगा। प्रधानमंत्री ने भारत की आतिथ्य परंपरा को दोहराते हुए कहा कि आज की दुनिया में हर बात को डॉलर और पाउंड में नहीं तोला जा सकता। भारतवंशियों से भारत का रिश्ता इससे कही ऊपर है। गुजरात में महात्मा गांधी के आगमन की 100वीं वर्षगांठ को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाकर मोदी ने एक नई शुरुआत की है। उनके इस कदम को बहुत सराहना मिली। लेकिन कुछ आलोचना भी हुई। भारी-भरकम खर्च पर भी सवाल उठाए गए। गुजरात के हालातों पर भी कुछ राजनीतिक दलों ने टिप्पणी की। जहां तक भारत को जानने का प्रश्न है, भारत के विषय में जानकारी अभी दुनिया में थोड़ी ही है। भारत को एक पिछड़ा हुआ देश समझा जाता है और जिस तरह धर्मांधता के कारण पिछले दिनों तोड़-फोड़ की घटनाएं हुई हैं, उसके चलते भारत की छवि एक उग्र दक्षिणपंथी देश की बनती जा रही है। इस छवि से लडऩा भी एक चुनौती ही है। मोदी की दुविधा यह है कि उन्हें विकास भी करना है और साथ ही हिंदुत्ववादियों को संतुष्ट भी रखना है, जिन्होंने उन्हें गद्दी पर बिठाया है। लेकिन जिस तरह हिंदुत्व के पैरोकारों ने उग्र तेवर अख्तियार किए हैं, उससे मोदी के किए कराए पर पानी फिर सकता है। मोदी को इस विषय में भी सोचना होगा। क्योंकि प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भारत के आंतरिक हालातों पर भी चिंता प्रकट की गई है।एक तरफ प्रवासी भारतीय दिवस के बाद गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल गुजरात में निवेश को आयोजित करने के लिए निवेशकों से रूबरू हो रहीं थीं, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने वाइबें्रट गुजरात समिट के दरम्यान विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस का कहना है कि किसानों को फसलों का उचित समर्थन मूल्य नहीं दिया जा रहा है और राज्य में कानून व्यवस्था भी चरमराई हुई है, ऐसे में वाइबें्रट गुजरात की बात करना तर्कसंगत और न्यायसंगत नहीं है। कांग्रेस ने संपूर्ण गुजरात बंद का एलान भी किया इस बहाने कांग्रेस के उभरते नेता गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोधवदिया ने कहा कि वे प्रवासियों और वाइब्रेंट गुजरात के भागीदरों को गुजरात की असल स्थिति बताना चाहते हैं। लेकिन इसके बाद भी गुजरात में वाइबें्रट समिट और प्रवासी भारतीय दिवस सफल रहा। निवेशक तो बहुत आए लेकिन निवेश कितना आएगा, यह पता आगामी 6-7 माह के दौरान चल सकेगा। नरेंद्र मोदी ने वाइब्रंट गुजरात समिट का संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून और अमेरिका के सेके्रटरी ऑफ स्टेट जॉन कैरी की मौजूदगी में सुभारंभ किया। इससे पहले 6 ऐसे समिट हो चुके हैं। मुकेश अंबानी ने 1 लाख करोड़ रुपए के निवेश का आश्वासन दिया है। बिड़ला समूह ने भी कुछ ऐसा ही आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री ने फ्रांस के लोगों के साथ सहानुभूति प्रकट करते हुए इस बात पर खुशी जाहिर की कि वाइब्रेंट गुजरात धरती पर सबसे बड़ी गेदरिंग है जहां उद्यमियों को विश्व बैंक के अध्यक्ष से मिलने का मौका मिला है। जहां संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के खाद्य सुरक्षा संबंधी विचारों को एक साधारण किसान भी सुन सकता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि किसी का स्वप्न किसी के निर्देशन पर भी निर्भर रहता है। निवेश का अंतिम उद्देश्य सभी को सुखी बनाना होना चाहिए। मोदी वाइबें्रट गुजरात समिट में कुछ ज्यादा ही आध्यात्मिकता से प्रेरित दिखाई दिए जब उन्होंने कहा कि हम सब को ऐसी दुनिया बनाना चाहिए जो रहने के योग्य हो। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की जनता ग्लोबल इकोनॉमी के बारे में बहुत चिंतित है। आर्थिक स्थायित्व और विश्वसनीयता बहुत जरूरी है। हमें समस्याओं का समाधान तलाशने का तरीका बदलना होगा। मोदी ने सभी सहभागियों से दांडी कुटीर और प्रदर्शनियों का अवलोकन करने का भी कहा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 7 माह के भीतर ही अनिश्चितता का वातावरण हटा दिया है।