16-Nov-2013 07:04 AM
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निर्देशक राकेश रोशन की बहुप्रतीक्षित फिल्म कृष-3Ó भारतीय सुपरहीरो के रूप में रितिक रोशन को एक बार फिर स्थापित करती हुई प्रतीत होती है। कहानी की कुछ कमियों को नजरअंदाज कर दें तो पूरे परिवार के साथ देखने योग्य इस

फिल्म को देखकर कोई निराश नहीं होगा। जो दर्शक अंग्रेजी फिल्मों में सुपरहीरो के हैरतअंगेज कारनामे और हॉलीवुड फिल्मों के स्पेशल इफेक्ट्स देखते रहते हैं उन्हें शायद यह सामान्य फिल्म लगे लेकिन आम भारतीय दर्शकों के लिए यह किसी बेहतरीन हॉलीवुड फिल्म से नहीं। फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पर कृषÓ की खत्म हुई थी। इसमें कोई मिल गयाÓ और कृषÓ की कहानी को आगे बढ़ाया गया है लेकिन कहानी को स्थापित करने में निर्देशक ने कुछ ज्यादा समय लगा दिया।
कृष के अंत में सिद्धांत आर्या (नसीरूद्दीन शाह) को हराकर कृष अपने पापा रोहित मेहरा (रितिक रोशन) को उसकी कैद से छुड़ाकर अपने घर ले आता है। कृष-3Ó में दिखाया गया है कि कृष (रितिक) अब अपनी दुनिया में लौट आया है। जहां वह अपनी पत्नी प्रिया (प्रियंका चोपड़ा) के साथ बहुत खुश है। रोहित भी अब अपने बेटे-बहू के साथ रहकर अपने प्रयोग जारी रखे हुए है। प्रिया एक न्यूज चैनल में एंकर है और कृष्णा दूसरों की मदद करने के चक्कर में किसी नौकरी पर टिक ही नहीं पाता। वह हर उस जगह मौजूद हो जाता है जहां कोई मुसीबत में फंसा हुआ होता है। इसके लिए वह अकसर ड्यूटी से गायब हो जाया करता है। यही कारण है कि हर नौकरी पर वह चंद दिन ही टिक पाता है। प्रिया को कृष की असलियत मालूम है। उसके हर कदम पर उसका साथ देती है।
दूसरी और काल (विवेक ओबरॉय) दुनिया से इंसानों को खत्म करने की साजिश रच रहा है। काल ने अपने डीएनए और जानवरों के डीएनए से ऐसे अमानव बनाए हैं जो उसकी तरह सोचते हैं और उसके इशारों पर चलते हैं। इन्हीं में काया (कंगना) भी है, जो शक्तियों के चलते पल भर में अपना रूप बदल सकती है। काल दुनिया को तबाह करने के लिए एक ऐसा वायरस तैयार करता है जो इंसानों को मिटाने के मकसद से तैयार करवाया गया है। काल के बनाए अमानव इस वायरस को मुंबई में फैलाते हैं जहां रोहित मेहरा और कृष इस वायरस की तोड़ खोज लेते हैं। काल के इशारे पर काम करने वाली काया और उसके बनाए अमानव रोहित मेहरा और कृष को मारने मुंबई पहुंच जाते हैं। इसके बाद इनके बीच भीषण युद्ध छिड़ जाता है। अभिनय के मामले में रितिक रोशन सब पर भारी पड़े हैं। पूरी फिल्म उन्हीं के इर्दगिर्द घूमती है। सुपरहीरो के हैरतअंगेज कारनामों में उनकी मेहनत साफ नजर आती है। वह काफी प्रभावी लगे हैं। उनका फिल्म में डबल रोल है। पिता के रोल को भी उन्होंने बखूभी निभाया है। विवेक ओबरॉय और कंगना राणावत फिल्म की एक और बड़ी खासियत हैं। फिल्म देखने के कई घंटों बाद भी यह दोनों किरदार आपके ख्यालों में बने रहते हैं। प्रियंका चोपड़ा और राजपाल यादव का काम ठीक-ठाक रहा। फिल्म का संगीत कुछ खास नहीं बन पाया है। दो गाने आजकल चर्चित जरूर हो रहे हैं लेकिन राकेश रोशन की पिछली फिल्मों के संगीत के मुकाबले इस बार का संगीत कुछ कमजोर ही है। निर्देशक राकेश रोशन ने एक बेहतरीन फिल्म बनाने का पूरा पूरा प्रयास किया है और इसके लिए 90 करोड़ रुपए का बजट लगाने में भी झिझक नहीं महसूस की।