आत्मनिर्भर मप्र के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए हर घर नल जल योजना का कार्य तेजी से हो रहा है। प्रदेश के 54,903 गांव हैं, जिनमें से 40 हजार गांवों के हर घर में नल से जल पहुंचाने की योजना पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग काम कर रहा है। लेकिन योजना के पूरा होने के बाद इसके संधारण और संचालन को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इसको लेकर गत दिनों मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की उपस्थिति में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में बताया गया कि योजना के तहत 40 हजार गांवों में नल से जल पहुंचाया जाना है। इसका काम तेजी से चल रहा है।
बैठक में इन 40 हजार गांवों में नल जल योजना के संधारण और संचालन पर भी विचार-विमर्श किया गया। जिसमें निर्णय लिया गया कि 15 हजार गांवों में नल जल योजना का संधारण और संचालन लोक स्वास्थ्य विभाग करेगा और 25 हजार गांवों में यह जिम्मेदारी जल विकास निगम की होगी। बताया जाता है कि मुख्य सचिव ने दोनों विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे योजना को अमली जामा पहनाने के लिए पूरी तत्परता से जुट जाएं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हर घर नल जल योजना के तहत अब तक 5.71 लाख घरों को नल कनेक्शन दे चुके हैं, अब मप्र सरकार अगले 4 वर्षों में प्रदेश के हर घर तक नल कनेक्शन पहुंचाएगी। मप्र में कुल 1.21 करोड़ घर हैं। जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण अंचल में घर-घर नल से जल पहुंचाया जाना है।
मप्र सरकार अगले चार वर्षों में प्रदेश के हर घर तक नल कनेक्शन पहुंचाएगी। इस महत्वाकांक्षी योजना में 47,500 करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि खर्च होगी। प्रदेश में कुल 1.21 करोड़ घर हैं। इनमें से अब तक महज 21 लाख घरों में सीधे नल कनेक्शन हैं। शेष आबादी अपने संसाधनों से पानी जुटा रही है। आत्मनिर्भर मप्र के तहत जल पर गठित सब कमेटी ने अपने एक्शन प्लान में यह बात कही है। अहम बात यह है कि इस एक्शन प्लान पर काम शुरू भी हो चुका है। इसके तहत जारी वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में 1.81 लाख घरों को नल कनेक्शन से जोड़ा गया। दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में 3.87 लाख घरों तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाया गया।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव ने बताया है कि कर्तव्य के प्रति इच्छाशक्ति से ही उद्देश्य की पूर्ति संभव हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की कुछ जल-प्रदाय योजनाओं को जल जीवन मिशन में शामिल कर अतिरिक्त राशि दिए जाने के निरंतर प्रयासों पर केंद्र सरकार ने अपनी सहमति प्रदान की है। श्रीवास्तव ने बताया कि इसी तरह जायका के ऋण से मंदसौर, नीमच और रतलाम जिले के ग्रामों में प्रस्तावित समूह योजनाओं को जल जीवन मिशन से वित्त पोषण के प्रयासों को भी सफलता मिली है। अब जल-प्रदाय की 2558 करोड़ लागत की समूह योजना के लिए भी भारत सरकार ने 1279 करोड़ रुपए देने की स्वीकृति प्रदान की है। बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा की थी कि 2024 तक हर घर में नल-जल योजना के माध्यम से जलापूर्ति सुनिश्चित कर दी जाएगी। तब माताओं-बहनों को पेयजल के लिए इधर-उधर भटकना नहीं होगा।
मिशन के क्रियान्वयन से अब तक प्रदेश के 3236 ग्रामों में हर घर में सरल, सुगम और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है। इस काम को सभी जिलों में तेजी से अंजाम दिया जा रहा है। मिशन में ग्रामीण आबादी के घरों सहित स्कूल एवं आंगनबाड़ियों में भी पेयजल के लिए नल कनेक्शन दिए जा रहे हैं। लक्ष्य, प्रत्येक ग्रामीण परिवार, आंगनबाड़ी और स्कूल में गुणवत्तापूर्ण और पर्याप्त जल की आपूर्ति सुनिश्चित किया जाना है।
अशोक शाह की चिट्ठी से गहराया विवाद
एक तरफ प्रदेश में हर घर में नल से पानी पहुंचाने की योजना पर तेजी से क्रियान्वयन हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत आंगनबाड़ियों में स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। जिन 41205 आंगनबाड़ियों में पाइप्ड वाटर कनेक्शन (नल से पानी) देने की बात कही गई, महिला विकास विभाग की पड़ताल में सिर्फ 6327 में ही नल कनेक्शन मिला। इस स्थिति की जानकारी तब मिली, जब महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक शाह ने 10 दिसंबर को पीएचई के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव को चिट्ठी लिखी। इसमें बताया गया कि प्रदेश में 84,465 आंगनबाड़ियां चल रही हैं, जिसमें पाइप्ड वाटर कनेक्शन (नल से पानी) इसी योजना से उपलब्ध कराना है।हाल ही में 6 दिसंबर को पीएचई ने डब्ल्यूसीडी को रिपोर्ट दी कि 41205 आंगनबाड़ियों में पाइप्ड वाटर कनेक्शन दे दिया गया। यह रिपोर्ट आते ही डब्ल्यूसीडी विभाग के अशोक शाह ने मैदानी अमले से जांच करा ली। चार दिन में हकीकत सामने आ गई कि सिर्फ 6327 आंगनबाड़ियों में ही पानी की सप्लाई पाइप्ड वाटर कनेक्शन से हो रही है। अब इस मामले को लेकर विवाद गहरा रहा है। मंत्रालयीन अधिकारियों का कहना है कि शाह का पत्र यह दर्शाता है कि विभाग समन्वय के साथ काम नहीं कर रहे हैं। अगर वाकई में आंगनबाड़ियों में पर्याप्त नल कनेक्शन नहीं हो पाया है तो वे मलय श्रीवास्तव से चर्चा भी कर सकते थे। क्योंकि दोनों एक ही बैच के आईएएस अधिकारी हैं। पत्र लिखने और उसके सार्वजनिक होने से सरकार की छवि खराब हो रही है।
- सिद्धार्थ पांडे