शिवराज सरकार 20-50 के फॉर्मूले पर अमल करने जा रही है। वो 20 साल की नौकरी और 50 साल की उम्र पार कर चुके कर्मचारियों का परफॉर्मेंस चेक करने जा रही है। सरकार सख्ती के मूड में है। जिन कर्मचारियों का परफॉर्मेंस ठीक है, उन्हें रखा जाएगा। खराब परफॉर्म करने वाले और मेडिकली अनफिट कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने 20-50 के फॉर्मूले का आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि 20 साल की नौकरी और 50 साल की उम्र पार कर चुके कर्मचारियों का परफॉर्मेंस अब चेक किया जाएगा। जिन कर्मचारियों का परफॉर्मेंस ठीक नहीं है यानी सीआर नंबर 50 से कम है, उन्हें नौकरी से बाहर किया जा सकता है। इसी तरह जो कर्मचारी मेडिकली अनफिट हैं और एक बार इलाज के बाद भी अगर बार-बार पड़ रहे हैं तो उनका साल के अंत में चेकअप कराया जाएगा। ऐसे कर्मचारियों के पास 20 साल की नौकरी के बाद खुद रिटायरमेंट लेने का ऑप्शन रहेगा। अगर कर्मचारी खुद रिटायरमेंट नहीं लेते हैं तो 25 साल की नौकरी पूरी होते ही सरकार मेडिकल चेकअप कराकर कर्मचारियों को बाहर कर देगी। शिवराज सरकार कोरोना महामारी के दौरान बिगड़ी राज्य की वित्तीय व्यवस्था के बाद कर्मचारियों से जुड़े 20-50 के फॉर्मूले पर सख्त दिख रही है। सीआर का नंबर गणित भी विभाग ने बदला है। बदले हुए गणित के हिसाब से कर्मचारी के नौकरी ज्वॉइन करने से लेकर 20 साल तक के उसके सीआर के अंक जोड़कर ही उसके कामकाज यानी परफॉर्मेंस का आंकलन होगा। यदि 50 नंबर से कम आए तो कर्मचारी की नौकरी खतरे में होगी। सीआर में 50 या उससे ऊपर नंबर लाने वाले सभी कर्मचारी सुरक्षित रहेंगे। अभी तक 3 साल की सीआर को ही परफॉर्मेंस में जोड़ा जाता था। इसे बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है।
शिवराज सरकार के 20-50 फॉर्मूले के आधार पर कर्मचारियों को रिटायर करने का विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठन उठ खड़े हुए हैं। उन्होंने मांग की है कि कर्मचारियों को रिटायर करने से पहले सरकार को स्वास्थ्य के आधार पर सांसद, मंत्रियों और विधायकों को रिटायर करना चाहिए। मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने सरकार के उस निर्णय का विरोध किया है, जिसके तहत स्वास्थ्य और काम के आधार पर कर्मचारियों को रिटायर करने का आदेश जारी किया गया है। रमेश राठौर ने कहा-'सरकार सबसे पहले सांसदों, मंत्रियों, विधायकों का स्वास्थ्य चेक कराए। उनके काम का आंकलन करें। सांसद, विधायक और मंत्री भी सरकार का अंग हैं। यदि उनका स्वास्थ्य खराब है और सरकारी पैसे से इलाज करा रहे हैं तो वो भी जनप्रतिनिधि बनने के अयोग्य हैं। उन्हें भी तत्काल हटाया जाए। शासकीय कर्मचारी का तो शासकीय कार्य के बोझ से स्वास्थ्य खराब होता है। सरकार नई भर्ती नहीं कर रही है। एक-एक कर्मचारी पर चार-चार लोगों के काम का बोझ डाल रखा है। इसलिए सरकारी कर्मचारी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।
संविदा अधिकारी-कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री से इस आदेश को निरस्त करने की मांग की है। उसने कहा कि यदि स्वास्थ्य के आधार पर किसी कर्मचारी को हटाया जाए तो फिर उसकी जगह उसके परिवार के किसी आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी सरकार इस फॉर्मूले के तहत अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने का प्रयास कर चुकी है, लेकिन उस पर अमल नहीं कर पाई। विगत वर्ष नवंबर में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इस फॉर्मूले के तहत आईएएस अफसरों की परफॉर्मेंस का आंकलन कराया था। मध्यप्रदेश में पदस्थ आईएएस अफसर पास हो गए। वो मोदी सरकार के 20-50 के फॉर्मूले में फिट बैठे। कमलनाथ सरकार ने सबको पास कर दिया। सरकार का कहना है कि सभी अधिकारियों का कामकाज बेहतर है। कोई भी अफसर ऐसा नहीं जिसे जबरदस्ती रिटायर किया जाए। हालांकि इस रिपोर्ट से पहले दो-तीन अफसरों को घर भेजा जा चुका है। मध्यप्रदेश के आईएएस अफसर 20-50 के फॉर्मूले पर फिट निकले। 20 साल की नौकरी और 50 साल की उम्र के पैमाने पर इन अफसरों के कामकाज का आंकलन किया गया। सभी इसमें पास हो गए। प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। इसमें कहा गया कि प्रदेश के सभी आईएएस अफसरों का सेवाकाल में प्रदर्शन बेहतर रहा।
मप्र ने केेंद्र सरकार को भेजी रिव्यू रिपोर्ट में लिखा है कि सारे आईएएस अफसरों का कामकाज संतोषजनक रहा। कोई भी अधिकारी ऐसा नहीं है जिसे अनिर्वाय सेवानिवृत्ति दी जाए या जिन्हें काम में कुशल ना होने के कारण हटाया जाए। प्रदेश के ऐसे अधिकारियों का भी रिव्यू किया गया जिनकी सर्विस को अभी महज 15 साल ही हुए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले साल जुलाई से दिसंबर तक और जनवरी से जून तक की रिव्यू रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है।
फॉर्मूले पर सख्त हुई सरकार
शिवराज सरकार कोरोना महामारी के दौरान बिगड़ी राज्य की वित्तीय व्यवस्था के बाद कर्मचारियों से जुड़े 20-50 के फॉर्मूले पर सख्त नजर आ रही है। सीआर का नंबर गणित भी विभाग ने बदला है। बदले हुए गणित के हिसाब से कर्मचारी के नौकरी ज्वॉइन करने से लेकर 20 साल तक के उसके सीआर के अंक जोड़कर ही उसके कामकाज यानी परफॉर्मेंस का आंकलन होगा। यदि 50 से कम अंक आए तो कर्मचारी की नौकरी खतरे में होगी। सीआर में 50 या उससे ऊपर नंबर लाने वाले सभी कर्मचारी सुरक्षित रहेंगे। कर्मचारियों के लिए राहत की बात ये है कि अभी तक 3 साल की सीआर के आधार पर परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाती थी। इसे बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है। यानी 20 साल की सीआर के आधार पर परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
-सुनील सिंह