18-Mar-2015 11:13 AM
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11 वर्ष पहले आई फिल्म अब तक छप्पनÓ का सीक्वेल अब तक छप्पन-2Ó नाना पाटेकर के प्रशंसकों को भाएगी। नाना जिस अंदाज के लिए जाने जाते हैं उसका उन्होंने फिल्म

में बखूबी प्रदर्शन किया है। निर्देशक एजाज गुलाब ने फिल्म की कहानी को जबरन खींचा नहीं है और पौने दो घंटे की यह फिल्म बड़ी तेजी से दौड़ती प्रतीत होती है। फिल्म में एक्शन कुछ ज्यादा ही है इसलिए साफ सुथरी फिल्में देखने के शौकीनों को यह निराश करेगी। नाना पाटेकर पर कुछ ऐसे एक्शन दृश्य भी रखे गये हैं जोकि दर्शकों को रामांचित कर देंगे।
फिल्म की कहानी ठीक वहीं से शुरू होती है जहां पहली फिल्म की खत्म हुई थी। दिखाया जाता है कि किस तरह मुंबई में अंडरवल्र्ड डॉन रावले बैंकॉक से अपने बॉस रऊफ लाला (मोहन जुत्शी) के इशारे पर काम कर रहा है और सरकार चाहते हुए भी उसकी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। राज्य के गृह मंत्री जनार्दन जागीरदार (विक्रम गोखले) रावले की गतिविधियों को समाप्त करना चाहते हैं इस काम में उन्हें मुख्यमंत्री अन्ना साहेब का भी पूरा समर्थन मिला हुआ है लेकिन रावले पुलिस से आगे की सोच रखने के कारण भारी पड़ रहा है। सरकार फैसला करती है कि रावले के गिरोह को खत्म करने के लिए एक बार फिर मुंबई की एनकाउंटर स्कवॉड को छोड़कर गांव लौट चुके मुठभेड़ विशेषज्ञ साधु आगाशे (नाना पाटेकर) को वापस लाया जाएगा। इसके लिए साधु से संपर्क साधा जाता है लेकिन अपनी पत्नी की हत्या के बाद गांव में अपने बेटे के साथ जिंदगी गुजार रहा साधु अब पुलिस में जाना नहीं चाहता। लेकिन जब उसका बेटा उसे समाज को अपराध से मुक्ति दिलाने के लिए कहता है तो साधु एक बार फिर मुंबई लौटता है। अब शुरू होता है साधु का नया मिशन। इस मिशन में पत्रकार (गुल पनाग) भी साधु का पूरा साथ देती है। नाना पाटेकर का जवाब नहीं। उन्होंने अपनी भूमिका में जान डाल दी है। उनके हिस्से संवाद भी दमदार आये हैं। गुल पनाग का काम भी दर्शकों को पसंद आएगा। फिल्म के अन्य कलाकारों का काम भी ठीक-ठाक रहा। निर्देशक एजाज गुलाब की इस फिल्म को उन लोगों को जरूर देखना चाहिए जोकि नाना पाटेकर के जबरदस्त प्रशंसक हैं।