15 जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे
19-Feb-2013 11:09 AM 1234777

चुनाव के मद्देनजर सरकार अपने कुछ आईएएस अफसरों को बदलने जा रही है कारण एक तो तीन वर्ष पूरे हो जाने या दूसरा वह अधिकारी जो चुनाव के मद्देनजर चुनाव के समय लगभग तीन वर्ष पूरे करने जा रहे हैं। सरकार अपनी बिसात पहले ही बिछा लेना चाहती है जिससे चुनाव आयोग का डंडा अपने फील्ड में तैनात अफसरों पर न चल पाए। जिन संभागीय कमिश्नरों को बदला जाना है उनमें ग्वालियर के एसपी सिंह और भोपाल के प्रवीण गर्ग हैं। प्रवीण गर्ग ने दिल्ली जाने के लिए अपना आवेदन राज्य सरकार को दे दिया है। वहीं मंत्रालय में पदस्थ प्रमुख सचिव कंचन जैन, केके सिंह, राधेश्याम जुलानिया, एसपीएस परिहार, बीआर नायडू, मोहम्मद सुलेमान, मनीष सिंह, राजेश मिश्रा और एसएस कुमरे प्रमुख हैं। जिन कलेक्टरों को बदला जाना है वह गुलशन बामरा, निकुंज श्रीवास्तव साथ ही बैतूल, नरसिंहपुर, टीकमगढ़, भिंड, मुरैना, सतना, सिवनी, बालाघाट, गुना और राजगढ़ के कलेक्टर भी बदले जावेंगे। कुछ तो राजनीतिक समीकरणों के चलते और कुछ चुनाव के समय लगभग तीन वर्ष पूरे होने के कारण।
अरुणा शर्मा को प्रमोशन नहीं मिला: दिल्ली के कामनवेल्थ घोटाले की आंच मध्यप्रदेश की नौकरशाही पर भी अंतत: आ ही गई। 1982 बैच की अधिकारी अरुणा शर्मा जो कि अपर मुख्य सचिव हैं उनका प्रमोशन कामनवेल्थ घोटाले के कारण नहीं हो पाया। 1982 बैच के ही हाल ही में प्रमोशन पाए अधिकारियों में अरुणा शर्मा का नाम न होने का जब कारण खंगाला गया तो पता चला कि उन्हें इस घोटाले में लिप्त न होने के बावजूद प्रमोशन नहीं मिल पाया। जबकि मध्यप्रदेश काडर की राघवचंद्रा, स्नेहलता श्रीवास्तव, जितेंद्र शंकर माथुर आदि को पदोन्नति मिल गई है। दरअसल जिस वक्त दिल्ली में कामनवेल्थ खेलों के दौरान दूरदर्शन से संबंधित स्कैम हुआ था उस वक्त अरुणा शर्मा दूरदर्शन निदेशक थी और प्रसार भारती के सीईओ बीएस लल्ली प्रसार भारती में अनियमितताओं के चलते निलंबित हो गए थे।  लल्ली पर आरोप था कि उन्होंने ब्रिटेन आधारित फर्म एसआईएस लाइव को गलत तरीके से कामनवेल्थ गेम्स के प्रसारण का ठेका दिया था जबकि निदेशक अरुणा शर्मा के खिलाफ कोई मामला ही नहीं था उसके बावजूद भी उन्हें भारत सरकार ने प्रमोशन नहीं दिया। सूत्र बताते हैं कि प्रमोशन नहीं होने के पीछे कारण यही बताया जा रहा है।
2008 बैच के आईएएस ने कैडर बदला: मध्यप्रदेश काडर की नवागत आईएएस डॉ. के वासुकी ने केरला कैडर में जाने की तैयारी कर ली है। इसी कैडर की मधु रानी पहले ही अपना कैडर बदलकर दिल्ली चली गईं। डॉ. वासुकी को अपने बैच के ही अफसरों के बराबर नहीं रखने के कारण उनका प्रदेश से मोहभंग हो गया है। क्योंकि मैडम को न तो एसडीएम बनाया गया और न ही सीईओ, जबकि उन्हीं के बैच के अफसर यह सब प्रमोशन पा गए। 2008 के आईएएस को फील्ड में नियुक्ति नहीं मिल पाई। इनवेस्टर्स मीट के दौरान 2008 बैच के आईएएस अफसरों को मंत्रालय में पदस्थ किया गया था वह भी यह कहकर कि इनवेस्टर्स मीट संपन्न होने के बाद दोबारा फील्ड में भेजा जाएगा। इस बैच के भरत यादव, किरण गोपाल एवं विशेष गढपाले पिछले छह महीने से मंत्रालय में उप सचिव बनकर बैठे हैं। इसमें से गढपाले को आयुक्त नगर निगम भोपाल में पदस्थ किया गया। बाकी दोनों अफसरों को अभी फील्ड पोस्टिंग नहीं मिल पाई है।
संपत्ति घोषित करने में आनाकानी: आईएएस अफसरों को अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने में काफी गुणाभाग करना पड़ रहा है। भ्रष्टाचार के आकंठ से डूबे प्रदेश में आखिर कौन सी संपत्ति बताए और कौन सी न बताए। इस गुणा-भाग के चलते 50 से अधिक अधिकारियों ने अपनी संपत्तियों का ब्यौरा सामान्य प्रशासन विभाग को नहीं दिया है। हालांकि 298 में से 40-50 ऐसे अधिकारी हैं जो अभी भी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे पाए हैं इतने समय तक संपत्ति का ब्यौरा न मिल पाने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन ब्यौरा तो घोषित करना ही होगा।
आईपीएस अफसरों ने दिया संपत्ति का ब्यौरा: इसके विपरीत आईपीएस संपत्ति का ब्यौरा देने में ज्यादा तत्परता दिखा रहे हैं। 238 आईपीएस में से लगभग सभी ने अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा सरकार के पास जमा करवा दिया है। जहां तक राज्य प्रशासनिक सेवा (डिप्टी कलेक्टरों) का सवाल है 700 डिप्टी कलेक्टरों के कैडर में से मात्र 100 लोगों ने अभी तक संपत्ति का ब्यौरा जमा किया है बाकी की कोई सूचना नहीं है न ही सरकार इस ब्यौरे में होने वाली देरी का कारण खंगाल पा रही है।
आईपीएस अधिकारियों की डीपीसी: राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति के लिए 1989-90 बैच के छह अधिकारियों की डीपीसी होने वाली है। इस डीपीसी हेतु 6 पदों  के लिए 18 नाम विचारार्थ रखे गए हंै। इन 18 नामों में से 6 अधिकारियों को आईपीएस बनना तय है। उनमें प्रेम बाबू शर्मा, रामआसरे चौबे, आरएस डेहरिया, मनोज वर्मा, पंकज तिवारी, अवध किशोर पांडे हैं, वहीं तीन वर्ष पूरे होने पर कुछ जिलों में एसपी को ही बदले जाने की संभावना है, जिनमें बालाघाट के सचिन अतुलकर, रतलाम के रमन सिंह सिकरवार, सीधी की धर्मेन्द्र सिंह प्रमुख हैं।
प्रवर्तन निदेशालय का परिवर्तन: सरकार के प्रवर्तन निदेशालय ने मध्यप्रदेश में अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है। इसका कारण यह है कि प्रदेश में लगातार अधिकारी और कर्मचारियों के यहां छापे पड़ रहे हैं और उन छापों में बेशुमार दौलत भी मिल रही है। इसीलिए प्रवर्तन निदेशालय ने इंदौर में अपने सेटअप को अब जरा बदल दिया है और छत्तीसगढ़ में भी उनका कार्यालय स्थापित हो गया है। आखिर विभाग अपना स्थायी ठिकाना भला क्यों न बनाएगा। दोनों प्रदेशों में करोड़ों के वारे-न्यारे जो हो रहे हैं।
कुमार राजेंद्र

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