मप्र कांग्रेस की राजनीति हमेशा से अबूच पहेली रही है। यही कारण है कि कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता कि इस पार्टी में कब क्या हो जाए। विगत दिनों प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के दो नेताओं राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद दिग्विजय सिंह की एकांत मुलाकात की हवा ऐसी उड़ी कि सबकी निगाह इस मुलाकात पर टिक गई। पूरा देशी और विदेशी मीडिया का ध्यान गुना पर टिक गया। दरअसल, माना जा रहा था कि इस गुप्तवार्ता के बाद मप्र कांग्रेस में उठ रहे विरोध थम जाएंगे। गौरतलब है कि सिंधिया अपनी ही सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। इसलिए गुना में दोनों नेताओं के बीच एकांत में होने वाली मुलाकात पर सबकी नजर थी। लेकिन जैसा कहा और सुना गया था, वैसा कुछ नहीं हुआ। गुना में सिंधिया और दिग्विजय मिले, लेकिन वह भी सड़क पर। दोनों नेता जब एक-दूसरे के आमने-सामने आए तो गर्मजोशी से मिले और एक-दूसरे को पुष्पहार पहनाया और चलते बने। लोगों को यह समझ में नहीं आया कि आखिर यह कैसी मुलाकात है। जबकि उसी दिन भोपाल में सिंधिया ने कहा था कि मुलाकात तो होनी ही थी, अगर वह गुना में नहीं तो दिल्ली में जरूर होती।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में गुटबाजी खत्म करने के लिए दिग्गी और सिंधिया आठ साल पहले गुना में राजीव गांधी कांग्रेस भवन का लोकार्पण करने गए थे। इस दौरान दोनों नेता ने एक-दूसरे की शान में जमकर कसीदे पढ़े थे। 9 दिसंबर 2012 में कांग्रेस कार्यालय भवन के लोकार्पण के समय सिंधिया ने कहा था कि वह दिग्विजय सिंह के बेटे की तरह हैं। साथ ही उन्होंने दिग्गी राजा को अपना प्रेरणास्त्रोत तक कह दिया था। वहीं दिग्विजय सिंह ने कहा था कि सिंधिया यूपीए सरकार के सबसे काबिल मंत्री हैं। वहीं सिंधिया पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा था कि बालहठ के आगे किसी की कहां चलती है। ठीक आठ साल बाद गुना में फिर दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सर्किट हाउस के बंद कमरे में 45 मिनट तक बैठक होना थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दरअसल, मप्र कांग्रेस की राजनीति ही ऐसी है कि बड़े से बड़ा विश्लेषक भी उसे समझ नहीं पाता है।
वर्तमान समय में मुख्यमंत्री कमलनाथ और सिंधिया के बीच जिस तरह की राजनीतिक खींचतान चल रही है, वह 20 साल पहले की उस स्थिति का अहसास कराती है जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सुभाष यादव में थी।
करीब 20 साल पहले दिग्विजय सिंह से उनके उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव भी उलझ पड़े थे। सुभाष यादव ने नशाबंदी की आड़ में दिग्विजय पर निशाना साधा था। सिंह तथा यादव के बीच का झगड़ा इतना बढ़ा कि दोनों के बीच रोशनपुरा के जवाहर भवन में स्थित तत्कालीन राज्य कांग्रेस मुख्यालय में 'संधि वार्ताÓ कराना पड़ गई थी। लेकिन पूरे प्रसंग में न तो यादव ने कभी खुलकर 'सड़क पर उतरनेÓ जैसी बात कही और न ही कभी सिंह को अपना स्तर 'तो उतर जाएंÓ वाला करना पड़ा। नाथ तथा सिंधिया के बीच जो कुछ चल रहा है, वह राजनीतिक शिष्टाचार के क्षरण की प्रक्रिया को और पंख प्रदान करने वाला ही माना जाएगा। सिंधिया को जो बात पार्टी के फोरम पर कहना चाहिए थी, वह उन्होंने सार्वजनिक मंच पर कह दी। नाथ को जिस संयम का परिचय देना चाहिए था, उसे एक किनारे रखकर उन्होंने पहले पांच साल बनाम पांच महीने और फिर तो उतर जाएं जैसी बात कह दी। नतीजा यह कि राज्य सरकार सहित सत्तारूढ़ दल के संगठन का जमकर चीरहरण किया जा रहा है। हालांकि इस वाकये से एक बात साफ है कि सिंधिया की स्थिति पार्टी में अब पहले जैसी मजबूत नहीं रह गई है। क्योंकि यह ध्यान रखना होगा कि यह बयान नाथ ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद दिया था। यानी, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नाथ ने आलाकमान से सिंधिया के बयानों पर बात की और फिर वहां से मिले संकेतों के आधार पर ही उनके लिए दो-टूक वाला भाव अपना लिया। दिग्विजय सिंह डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। नाथ के कथन के बाद 'पार्टी में सभी साथ हैंÓ वाली बात कहकर वे सियासी रफूगरी के हुनर का परिचय देते नजर आ रहे हैं।
सिंधिया ताकत रूपी उस नशे का तोड़ तलाशने की जुगत में हैं, जिसके असर से नाथ एवं उनके खासमखास लोग प्रदेश सरकार सहित संगठन को अपनी बपौती मानकर आचरण कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में उस समय चहुंओर रौनक लौटी थी, जब नाथ के नेतृत्व में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी। तब हर गुट के नेता तथा समर्थक वहां विजय का सामूहिक गीत गा रहे थे। लेकिन अब इसी भवन में चले जाइए। सिंधिया गुट का वहां कोई नामलेवा भी नजर नहीं आता है। जो हैं वह या तो नाथ के खास लोग हैं या फिर वे, जिनके सिर पर दिग्विजय का हाथ माना जाता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं परफेक्ट कैंडिडेट
राज्यसभा की खाली हो रही सीटों पर चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो गया है। इसके साथ ही दावेदार भी सामने आने लगे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस में राज्यसभा के लिए सबसे ज्यादा मारामारी है। अभी तक दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों सीटों के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इस बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का बड़ा बयान सामने आया है। परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी है या नहीं, ये तो मैं नहीं बता सकता हूं, लेकिन सिंधियाजी हर चीज के लिए कैपेबल हैं। वो राज्यसभा और प्रदेश अध्यक्ष के लिए परफेक्ट कैंडिडेट हैं। ये मेरी व्यक्तिगत राय है। लेकिन ये सिर्फ मेरी व्यक्तिगत राय नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की इच्छा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजा जाए और प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया जाए। वहीं, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बयान पर मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि ये तय करना हाईकमान का काम है कि किसको राज्यसभा भेजे और किसको नहीं। जो भी निर्णय हाईकमान लेगा, उसे हम लोग शत-प्रतिशत पालन करेंगे। दरअसल, गोविंद सिंह का यह बयान गोविंद सिंह राजपूत के बयान के बाद आया है। राजपूत खुलकर सिंधिया को राज्यसभा भेजने की वकालत कर रहे थे।
- अरविंद नारद