धार्मिक नगरी उज्जैन में शराब के नाम पर जहरीला पेय पदार्थ (जहरीली शराब) पीने से 16 लोगों की मौत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नशे का अवैध कारोबार करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है। जहरीली शराब कांड में एसआईटी की रिपोर्ट के बाद उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह, एडिशनल एसपी रूपेश द्विवेदी को हटा दिया गया है जबकि सिटी एसपी रजनीश कश्यप को निलंबित कर दिया गया है। वहीं खाराकुआ थाने के 2 पुलिसकर्मी अनवर और नवाज शरीफ को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेज दिया गया है, जबकि महाकाल थाने के दो सिपाही इंद्र विक्रम सिंह और सुदेश खोड़े के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया है। अभी इंद्र विक्रम और सुदेश फरार बताए जा रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उज्जैन ही नहीं बल्कि प्रदेशभर में जहरीली शराब का गोरखधंधा जोरों पर है। नशे के लिए लोगों को शराब के नाम पर जो पेय पदार्थ दिया जाता है वह जहर ही है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जहरीली शराब तैयार करने के लिए आरोपियों द्वारा स्प्रिट का उपयोग किया जाता था। स्प्रिट में यूरिया, मेंटेक्स की नशीली गोली और पानी मिलाकर एक घोल तैयार होता था। जिसे प्लास्टिक की थैली में भरकर 10 रुपए से लेकर 20 रुपए तक गरीब मजदूरों को नशा करने के लिए बेचा जाता था। घटना वाले दिन केमिकल और नशीले पदार्थों का सही मिश्रण नहीं मिलने की वजह से नशा देने वाला लिक्विड मौत की नींद सुलाने वाला जहर बन गया। केवल उज्जैन ही नहीं बल्कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में कच्ची शराब बनाने का गोरखधंधा चल रहा है। लॉकडाउन में रतलाम, झाबुआ, खंडवा, सतना, ग्वालियर, जबलपुर तेंदूखेड़ा, सागर, देवरी, रहली, गढ़ाकोटा सहित प्रदेश में सैकड़ों जगह कच्ची शराब बेचने के मामले सामने आए थे। शराब दुकानें बंद होने से उस समय कच्छी शराब की बोतल 300 रुपए तक बिकी।
आबकारी विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रदेश के ज्यादातर आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कच्ची शराब (लाहन) बनाने और बेचने का गोरखधंधा चल रहा है। शराब को ज्यादा नशीला बनाने के लिए उसमें यूरिया, धूतरा, बेसरमबेल की पत्ती और ऑक्सीटॉसिन जैसे घातक पदार्थ तक मिलाए जा रहे हैं। इनकी मात्रा ज्यादा होने से शराब जहरीली बनकर लोगों की जान ले सकती है। हालांकि अभी तक जहरीली शराब से मौत का कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन अंचल में चल रही कच्ची शराब की भट्टियों से उज्जैन सरीका हादसा होने से इंकार भी नहीं किया जा सकता। आबकारी व पुलिस छुटपुट कच्ची शराब पकड़ती रही है, लेकिन उज्जैन में जहरीली शराब के सेवन से हुई 16 लोगों की मौतों के बाद भी यहां बड़े स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
देवरी के सलैया, श्रीनगर, बर्रा तलैया, सिंगपुर गंजन, समनापुर शाहजू, खकरिया में आदिवासी, बीना के बसारी टाड़ा, बेरखेड़ी टाड़ा में बंजारे, छिरारी में मुंडा समाज के लोग कच्ची शराब तैयार कर बेचने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा जिले के और भी स्थानों पर कुचबंदिया, कंजर लोग कच्ची शराब के धंधे से जुड़े हुए हैं। रात में अमूमन हर गांव में कच्ची शराब की भट्टियां धधकती देखी जा सकती हैं। लॉकडाउन के समय मकरोनिया से लगे गांवों में कुचबंदिया समाज के लोगों ने शराब की भट्टियां लगा ली थीं। पुलिस की दबिश के दौरान सुअरमार बम फटने से एक आरक्षक घायल हो गया था।
कच्ची शराब में मुख्य रूप से महुआ का उपयोग होता है। यह एक तरह का जंगली फल है जो नौरादेही अभयारण्य से लगे गावों में बहुत ज्यादा पाया जाता है। महुआ को गुड़ में मिलाकर पहले उसे सड़ने के लिए रखा जाता है। इसके बाद खाली बर्तन या पीका में इसे भट्टी पर पकने के लिए रखा जाता है। एक नली के जरिए भाप को बोतल में उतारा जाता है। भाप ठंडी होने पर लिक्विड फॉर्म में आ जाती है। यही कच्ची शराब है। जिसे लाहन भी कहते हैं। यहां तक शराब जहरीली नहीं होती। जब लगता है कि शराब में नशा कम है तो फिर शुरू होता है खतरे का खेल। इसमें यूरिया, ऑक्सीटॉसिन, बेसरमबेल का उपयोग किया जाता है। इन पदार्थों को मिलाने का कोई मापदंड नहीं रहता। जिससे शराब जहरीली होने का खतरा बना रहता है। एक कुप्पा लाहन तैयार करने में 250 रुपए की लागत आती है। इससे एक से डेढ़ हजार रुपए की शराब तैयार होती है। रोज दो से पांच हजार रुपए दिन की कमाई रहती है। कच्ची शराब की बोतल 80 से 120 रुपए की बिक रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मिथाइल एल्कोहल मौत की वजह बनती है। यूरिया नाइट्रोजन होता है जो शरीर में पहुंचकर नुकसान करता है। महुआ की कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सीटॉसिन जैसे केमिकल मिलाने से मिथाइल एल्कोल्हल बनता है। यही जहर का काम करता है और लोगों की मौत तक हो जाती है। मिथाइल शरीर में जाते ही अपने दुष्प्रभाव छोड़ता है। इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसकी वजह से कई बार तुरंत मौत हो जाती है। कई बार लोगों में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है।
प्रदेश में सरकारी तंत्र का अवैध कारोबार
उज्जैन ही नहीं बल्कि मप्र के इतिहास में पहली बार यह देखने में आया है कि सरकारी तंत्र जहरीली शराब के मामले में लिप्त दिखाई दिया। एक तरफ जहां पुलिसकर्मी इस अवैध कारोबार में लिप्त पाए गए, वहीं उज्जैन नगर निगम के कर्मचारी सिकंदर, यूनुस भी संलिप्त रहे। दोनों को भी नगर निगम ने बर्खास्त कर दिया है। इस मामले में सहायक आयुक्त सुबोध जैन को भी निलंबित किया गया है। आरोपियों द्वारा जिस भवन में झिंझर तैयार की जाती थी वह भी नगर निगम का सरकारी भवन है। एसआईटी के मुताबिक जहरीली शराब के मामले में अभी और भी जांच चल रही है। इस मामले में मेडिकल स्टोर संचालक, डॉक्टर सहित अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है। अभी आरोपियों की संख्या और भी बढ़ सकती है।
- राजेश बोरकर