विकास में भेदभाव
03-Mar-2020 12:00 AM 649

वक्त है बदलाव का... के नारे के साथ सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी सहित विकास की दिशा में कई सार्थक कदम उठाए। मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार की लगातार कोशिश रही है कि वे अपने वचन पत्र में किए गए हर वादे को पूरा करें। करीब एक साल के कार्यकाल के दौरान सरकार ने वचन पत्र के 365 से अधिक वादे पूरे कर दिए हैं। लेकिन इस दौरान केंद्र सरकार ने उनकी राह में कई रोड़े खड़े किए हैं। केंद्र सरकार ने मप्र के हिस्से की करीब 31,140 करोड़ की राशि रोक रखी है। इस कारण किसानों की कर्जमाफी, बोनस और विकास कार्यों में बाधा खड़ी हो गई है। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैए, केंद्रीय करों में कटौती और केंद्र से मिलने वाले फंड को रोके जाने से मप्र सरकार के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया है। मप्र में जब से सत्ता परिवर्तन हुआ है तब से ही केंद्र सरकार मप्र से भेदभाव कर रही है। आर्थिक तंगी से जूझ रही प्रदेश की कांग्रेस सरकार को केंद्र की मोदी सरकार ने सबसे बड़ा झटका विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र से मिलने वाली राशि को रोककर दिया है। वित्त विभाग के सूत्रों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, केंद्रीय योजनाओं के तहत मिलने वाले राज्य के 31,139.81 करोड़ रुपए मोदी सरकार ने नहीं दिए हैं। 12 से अधिक योजनाओं का पैसा केंद्र सरकार ने अटका दिया है।

प्रदेश के हिस्से की लंबित राशि को जारी करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री और मंत्री लगातार केंद्र सरकार के मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर हर केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही राशि जारी कर दी जाएगी। लेकिन एक साल से अधिक का अरसा बीत जाने के बाद भी राशि जारी नहीं की जा रही है। सत्ता परिवर्तन के बाद से ही केंद्र की भाजपा सरकार मप्र से भेदभाव कर रही है। आलम यह है कि केंद्र अपनी ही योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए मप्र को फंड नहीं दे रहा है। इस कारण कई योजनाएं पिछड़ रही हैं। इन्हीं में से एक है प्रधानमंत्री आवास योजना। केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण नीति के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ बेघर परिवारों को नहीं मिल पा रहा है। मप्र में ही गरीबों को पक्के मकान मुहैया कराने के लिए संचालित इस योजना से करीब 2.90 लाख लोग वंचित है। उप्र, महाराष्ट्र व गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों के मुकाबले यह संख्या बहुत अधिक है। इसके बाद योजना संचालन के लिए तय लक्ष्य 2022 तक इसका फायदा जरूरतमंदों को मिल जाएगा, इस पर संशय जताया जाने लगा है।

मंत्रालयीन सूत्रों के अनुसार, हितग्राही चयन में देरी के साथ निर्माण प्रक्रिया की धीमी गति इसके पीछे जहां मुख्य वजह बताई जाती है। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच खींचतान भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद योजना मद में केंद्र से मिलने वाली राशि जहां देरी से आई है, वहीं उनमें कटौती भी हुई है।

गरीबों के लिए आवास निर्माण को लेकर राज्य सरकार की संजदगी लोकसभा में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक जबाव से सामने आई। 6 फरवरी 2020 तक के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि, प्रधानमंत्री आवास योजना फेस-2 में केंद्र ने मध्यप्रदेश को 8 लाख 32 हजार 100 घरों का लक्ष्य दिया था। राज्य सरकार ने 2 लाख 30 हजार घर पहले ही बनाने में असमर्थता जता दी। इसके बाद जो लक्ष्य खुद तय किया उसमें भी राज्य सरकार ने सिर्फ 3 लाख 72 हजार 700 घरों की मंजूरी ही केंद्र को भेजी है। इसमें भी अब तक सिर्फ 1 लाख 48 हजार 15 आवास ही पूरे हो पाए हैं। राज्य सरकार ने योजना के द्वितीय चरण में ही 2 लाख 24 हजार 702 मकान नहीं बनाए हैं। जबकि इसके पहले साल 19-20 के पहले 2016 से 2019 के बीच स्वीकृत 14 लाख 2 हजार 823 मकान के विपरीत वह 65 हजार 835 आवासों का निर्माण नहीं करा पाई है।

हजारों योजनाएं बंद करने की तैयारी

मप्र सरकार को केंद्रीय बजट में मिले झटके के बाद प्रदेश सरकार हजारों योजनाएं बंद करने की तैयारी कर रही है। इसके बाद सरकार नए सिरे से तय करेगी कि इनमें से कौन-सी योजनाएं बंद करना है और कौन-सी चालू रखना है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने इनमें से बड़ी संख्या में अनुपयोगी योजनाओं को बंद करने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार ऐसी योजनाएं जिनके संचालन में केंद्र और राज्य सरकार के फंडिंग का रेशो क्रमश: 60:40 प्रतिशत है उनमें से अनुपयोगी हो चुकी योजनाओं को बंद किया जा सकता है।

इन योजनाओं का पैसा अटका

योजना    रुकी राशि (करोड़ में)

मनरेगा    1,900

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)       2,209

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)         2,332.40

अमृत योजना           208

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन           446.81

फूड सब्सिडी           700

फसल बीमा योजना                2,800

जीएसटी मुआवजा  1,502

ऊर्जा प्रणाली की मजबूती के लिए          1,400

सौभाग्य योजना      70

राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम        571.60

केंद्रीय करों के हिस्से की राशि              17,000

-  श्याम सिंह सिकरवार

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