प्रदेश के जल विद्युत गृह उम्रदराज हो चुके हैं। औसत उम्र पार करने के बाद भी इनकी देखभाल नहीं हुई। नतीजा एक के बाद एक पावर प्लांट दम तोड़ने लगे। तकनीकी खामियों से बिजली का उत्पादन कम हुआ, वहीं आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। अब कंपनी प्रबंधन प्लांट की उम्र के हिसाब से उनकी आंतरिक स्थिति का पता लगाने जा रही है। इसमें पावर प्लांट और कितने वक्त जिंदा रह पाएंगे ये पता लगाया जाएगा।
मप्र पावर जनरेशन कंपनी के पावर प्लांट में हाइड्रल में सबसे ज्यादा तकनीकी खराबी आ रही है। खराबी के पीछे कंपनी प्रबंधन प्लांट की उम्र अधिक होना बताया जा रहा है जबकि असलियत ये है कि प्रबंधन ने सिर्फ उत्पादन पर जोर दिया लेकिन इनका मेंटेनेंस सहीं ढंग से नहीं किया। इसमें गांधी सागर पावर प्लांट की उम्र तो 60 साल हो चुकी है वहीं पेंच सिवनी के पावर प्लांट का संचालन 34 साल से किया जा रहा है। ऐसे में गांधीसागर, पेंच, बरगी और सिरमौर के पावर प्लांट में कई बार तकनीकी खामी के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है।
पावर प्लांट की उम्र कितनी बाकी है और उसमें आगे क्या खामियां आएगी, इसकी पूरी जांच मप्र पावर जनरेशन कंपनी करवाने जा रही है। इसे रिमेनिंग लाइफ एसेसमेंट कहा जाता है। कायदे से प्लांट की आधी उम्र पार करने के बाद प्रबंधन को ये टेस्ट करवा देना था ताकि खराबी को पहले ही पता लगाकर उसे सुधारा जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब कंपनी बरगी, पेंच और टोंस के पावर प्लांट की जांच के लिए कंपनियों को बुला रही है। इसके लिए निविदा भी कंपनी ने जारी कर दी है।
मप्र पावर जनरेशन कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार, 115 मेगावाट की गांधी सागर योजना 1960 में बनी है। इस परियोजना को बने करीब 61 साल हो गए हैं। उसी तरह 160 मेगावाट का पेंच पावर प्लांट 1986 में, 90 मेगावाट का बरगी पावर प्लांट 1988, 315 मेगावाट बाणसागर पावर प्लांट 1992 और 45 मेगावाट का राजघाट पावर प्लांट 1999 में बना है। टोंस और पेंच के पावर प्लांट में एक-एक मशीन से उत्पादन बंद है। इससे करीब 185 मेगावाट बिजली का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। हाइड्रल मप्र पावर जनरेशन कंपनी के मुख्य अभियंता एससी शुक्ला के अनुसार पेंच में पिछले दिनों अर्थ फॉल्ट आया था। जिस वजह से खराबी आई। इसके अलावा गांधीसागर में सितंबर 2019 में बाढ़ की वजह से तकनीकी खराबी आई थी। अभी दो मशीनों से उत्पादन शुरू हो गया है। एक मशीन 40 मेगावाट की जल्द उत्पादन के लिए तैयार होने की उम्मीद जाहिर की गई है।
प्रदेश के ज्यादातर हाइड्रल पावर प्लांट उम्र को पार कर चुके हैं जिसमें खराबी संभव है। कंपनी के अनुसार 30 साल के लिए पावर प्लांट को डिजाइन किया गया है, अब आयोग ने 35 साल प्लांट की उम्र तय की हुई है। इनका मेंटेनेंस पहले से शुरू हो जाना था जो नहीं कराया गया है। इसलिए एकाएक सभी प्लांट में बिजली का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक मनजीत सिंह ने कहा कि हाइड्रल पावर प्लांट उम्र सीमा को पार कर चुके हैं। इसलिए उनमें तकनीकी खराबी आ रही है। प्लांट की उम्र और खराबी को पता लगाने के लिए रिनेमिंग लाइफ एसेसमेंट टेस्ट कराया जा रहा है। इसके लिए टेंडर जारी हो चुका है। इसमें हाइड्रल पावर प्लांट की उम्र का पता लगाकर उसमें सुधार किया जाएगा।
लॉकडाउन के नाम पर 3 महीने अप्रैल 2020 से जून 2020 तक इकाई में उत्पादन को बंद रखा गया, जिससे प्रदेश को हर महीने मिलने वाली 1320 मेगावाट की बिजली की आपूर्ति नहीं हो सकी। इसके एवज में सरकार ने निजी क्षेत्र से महंगी दर पर बिजली खरीदी। इस पूरे मामले में विधानसभा में चर्चा की अनुमति होना चाहिए। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने पत्र में लिखा है कि सिंगाजी ताप परियोजना की इकाई 3 और 4 की टरबाइन टूटने का हवाला दिया गया और उसके बाद उत्पादन बंद कर दिया गया। ये इकाई 6600 करोड़ रुपए में बनाई गई थी। पटवारी का आरोप है कि ये उत्पादन ठप करने की साजिश थी। कांग्रेस विधायक ने निजी क्षेत्र से बिजली खरीदी में 100 से 200 करोड़ रुपए के लेनदेन का आरोप लगाया है। कांग्रेस विधायक ने इस बात का भी आरोप लगाया है कि पावर प्लांट की इकाई में उत्पादन को बंद कर निजी क्षेत्र से 14 प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदी गई है। इसका बोझ आम जनता की जेब पर पड़ा है।
साजिशन सिंगाजी पावर प्लांट बंद किया गया
सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट को बंद कर निजी क्षेत्र से बिजली खरीदने का मामला तूल पकड़ रहा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि साजिशन उस प्लांट की दो इकाई बंद कर निजी क्षेत्र से महंगी दर पर बिजली खरीदी गई। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है और नियम 52 के तहत सदन में चर्चा कराने की मांग की है। जीतू पटवारी ने अपने पत्र में लिखा है कि निजी बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सिंगाजी पावर प्लांट की इकाई बंद की गई और महंगी दर पर बिजली खरीदकर भारी भ्रष्टाचार किया गया। जीतू पटवारी ने इस मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग की है। उनकी इस मांग का कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी और विशाल जगदीश पटेल ने समर्थन किया है। जीतू पटवारी ने ये भी आरोप लगाया कि बिजली के क्षेत्र में अधिकारियों और निजी कंपनियों की मिलीभगत के कारण बड़ा घोटाला हुआ है। उन्होंने इस पर सरकार से जवाब मांगा है कि सिंगाजी पावर प्लांट के लिए सरकार की कार्य योजना क्या है। विधानसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब को कांग्रेस विधायक ने अधूरा बताया। इस बात की शिकायत भी विधानसभा अध्यक्ष से की है कि पूरे मामले में तथ्यों को छुपाया गया है।
- धर्मेंद्र सिंह कथूरिया