प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी में रेत माफिया की सक्रियता बढ़ गई है। हालात यह है कि नर्मदा किनारे रिपेरियन जोन से ही माफिया रेत निकाल रहे हैं। नर्मदापुरम जिला प्रशासन रेत माफिया पर अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, बावजूद इसके रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन नहीं रुक रहा है। इतना ही नहीं रेत का भंडारण भी माफियाओं ने कर रखा है। जिले की रेत खदानों पर रात के समय में रेत माफिया के गुर्गे बेधड़क रेत निकाल रहे हैं। वहीं जिले के सामने स्थित नर्मदा तट से रेत माफिया ट्रैक्टर ट्रालियों से रेत निकाल रहा है। सीहोर जिले के अंतर्गत आने वाली रेत खदान पर भी दिन दहाड़े रेत माफिया ट्रैक्टर ट्राली से रेत का उत्खनन कर रहा है। रेत माफिया के कारण जलीय जीव जंतुओं पर भी खतरा मंडरा रहा है। रिपेरियन जोन में रेत माफिया के बढ़ते दखल के कारण मछलियों और अन्य जलीय जीव-जंतु समाप्त होते जा रहे हैं।
जिला प्रशासन ने नर्मदा को चार जोन में बांटा है। रिपेरियन जोन एक से लेकर रिपेरियन जोन चार तक अलग-अलग भाग किए गए हैं। तत्कालीन कमिश्नर के निर्देशन में पर्यावरणविद व मप्र जैव विविधता बोर्ड के सदस्य आरआर सोनी ने सर्वे कर नर्मदा के जोन की रिपोर्ट तैयार कर सौंपी। रिपेरियन जोन एक में सर्वाधिक पानी रहता है। यह क्षेत्र जलीय जीवों के विचरण और वनस्पतियों के लिए सबसे उपयुक्त है। रिपेरियन जोन दो किनारे और गहरे पानी के बीच का हिस्सा कहलाता है। यह क्षेत्र जलीय जीवों के प्रजनन और आवास के अनुकूल रहता है। रिपेरियन जोन तीन में किनारे से लगा जमीनी हिस्सा रहता है। जिस पर सर्वाधिक पौधारोपण का दावा किया गया है। रिपेरियन जोन चार किनारे से दूर ठोस जमीन है। जहां पौधारोपण सहित अन्य अभियान चलाए जाते हैं।
जिला प्रशासन की सख्ती के कारण रेत माफिया दिन के समय तो शांत रहता है, लेकिन देर रात माफिया की सक्रियता बढ़ जाती है। बांद्राभान, मरोड़ा, बुधनी, गूजरवाड़ा, पिपरिया, रायपुर की रेत खदानों से चोरी छुपे रेत निकाली जा रही है। सूत्रों की माने तो रेत माफिया के गुर्गे रेत उत्खनन के दौरान सभी जगह तैनात रहते हैं। जिला प्रशासन व खनिज अमले की कार्रवाई की भनक लगते ही फरार हो जाते हैं। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले सप्ताह वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश के बाद भी कार्रवाई की गोपनीय सूचना लीक हो गई थीं। अमला कार्रवाई करने के लिए पहुंचा तो था, लेकिन खाली हाथ लौटा। रेत माफिया के कारण पर्यावरण को लेकर काम करने वाले संगठनों की सक्रियता भी कम हो गई है। स्वयंसेवी संगठन के सदस्य भी पर्यावरण को लेकर किसी तरह का अभियान नहीं चला पा रहे हैं। एक संगठन के पदाधिकारी का कहना है कि जब तक रेत माफिया को नहीं रोका जाता तब तक पर्यावरण पर बढ़ते खतरे को नहीं रोका जा सकता।
जिले के सबसे बड़े विकासखंड पिपरिया व बनखेड़ी में रेत का अवैध उत्खनन जोरों पर चल रहा है। रेत ठेकेदार कंपनी आरकेटीसी द्वारा रेत खदान सरेंडर करने के बाद रेत माफिया नदियों से बेरोकटोक अवैध खनन कर रहा है। जिन्हें रोकने में स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस नाकाम साबित हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि रेत का अवैध खनन जोरों से जारी है। खनिज विभाग एवं स्थानीय प्रशासन शिकायत करने पर थोड़े समय के लिए कार्रवाई करता है। जिससे कुछ दिन तो खनन रुक जाता है। बाद में फिर खनन माफिया रेत का अवैध खनन करने लगता है।
जिला समन्वयक मप्र जैव विविधता बोर्ड आरआर सोनी कहते हैं कि नर्मदा के रिपेरियन जोन से रेत निकाली जा रही है जो कि काफी दुखदायी स्थिति है। रेत माफिया पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है। नर्मदा किनारे से जिस तरह से रेत का उत्खनन किया जा रहा है उससे जलीय जीव-जंतुओं पर भी खतरा है। जिला खनिज अधिकारी, नर्मदापुरम शशांक शुक्ला ने बताया कि जिले में रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन को रोकने के लिए नजर रखी जा रही है। लगातार अभियान भी चलाया जा रहा है। नर्मदा व तवा किराने सर्चिंग की जा रही है।
रोक के बावजूद हो रहा अवैध रेत का खनन और परिवहन
एनजीटी की रोक के बाद भी तवा नदी से अवैध रेत का खनन जारी है। रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्राली सरेआम नगर में मेन रोड सहित गलियों में देखे जा सकते हैं। अवैध रेत खनन करने में 50 से अधिक ट्रैक्टर-ट्राली लगे हुए हैं, इसे कोई रोकने वाला नहीं है। नगर के प्रमुख मार्गों से ट्राली निकलती है। यहां तक कि मेन रोड सबसे व्यस्ततम क्षेत्र पीपल चौक एवं ग्राम पंचायत कार्यालय एवं पुलिस चौकी के सामने से अधिक स्पीड में निकल रहे हैं, जिससे दुर्घटना का अंदेशा सदैव बना रहता है। जब जिले में रेत खनन पर पाबंदी है फिर भी नगर के मार्गों से रेत की ढुलाई हो रही है। जिन अधिकारियों के ऊपर अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी है उन्होंने सांठगांठ कर ली है। रात एवं दिन में रेत की ढुलाई के कारण लोगों की नींद हराम हो रही है। सेमरी हरचंद में दिनभर में लगभग 40 से 50 अवैध रेत के ट्रैक्टर-ट्राली रेत डल रही है। रेत माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है जिससे इनके हौंसले बुलंद हैं। रेत बगैर रॉयल्टी के बाजार में बिक रही है। इसी रॉयल्टी से जिले में अनेक विकास कार्य होते थे। परिवहन विभाग द्वारा आंख पर पट्टी बांधकर इनको छोड़ रखा है। ट्रैक्टर में लगी ट्राली का कमर्शियल पंजीयन नहीं है। ट्रैक्टर का पंजीयन भी कृषि कार्य हेतु किया गया है, जबकि वह भी कमर्शियल कार्य कर रहा है। रेत सरेआम बिक रही है। बेचने वाले के द्वारा किसी प्रकार की कोई बिलिंग नहीं हो रही है। जिससे आयकर विभाग को भी बहुत अधिक नुकसान हो रहा है। रेत के इस पेपर में होने वाली आय का कहीं कोई अता-पता नहीं है जबकि प्रतिदिन मात्र सेमरी हरचंद में लाखों रुपए की रेत बिक रही है। आखिर क्यों और किसने इनको छूट दे रखी है यह एक चिंतन का विषय है। अब देखना यह है कि इन पर कब तक कार्रवाई होती है।
- जितेंद्र तिवारी