राशन की कालाबाजारी पर लगाम
03-Mar-2020 12:00 AM 910

गरीबी हटा देने का दावा करने वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में एक समय ऐसा भी आया था कि प्रदेश में 5 करोड़ 55 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वालों की सूची में शामिल हो गए थे। लेकिन राशन दुकानों पर गरीबों को सस्ती दरों पर मिलने वाले गेहूं-चावल के वितरण को पीओएस सिस्टम (अंगूठा लगाकर राशन वितरण) से जोडऩे के बाद फर्जी गरीब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों से दूर हो गए। इसका असर यह हुआ कि पिछले छह महीने में अकेले मप्र की पीडीएस दुकानों पर 11 करोड़ 66 लाख किलो अनाज बच गया है। मप्र की राशन की दुकानें राशन लेने आने वाले रहवासियों के लिए परेशानी का सबब बन गई थीं। कालाबाजारी गरीबों को मिलने वाला निवाला भी छीन रही थी। पर अब इन राशन की दुकानों की सूरत बदल चुकी है। सरकार ने राशन की दुकानों के लिए पीओएस (पाइंट ऑफ सेल) सिस्टम लागू किया है। इसके तहत सितंबर में 2019 में पूरे प्रदेश में पीडीएस दुकानों को फिंगर प्रिंट व्यवस्था से जोड़ दिया गया। इससे कालाबाजारी रुक गई है। इससे 8 करोड़ 73 लाख किलो गेहूं और 2 करोड़ 93 लाख किलो चावल बच गया है।

वहीं प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन कार्डों का सर्वे किया गया तो 1.39 करोड़ राशन कार्ड कम करने पड़े। इनमें से कुछ राशन कार्डधारी स्थानांतरित हो गए तो कुछ फर्जी भी हो सकते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके राशन कार्ड तो हैं लेकिन वे राशन लेने नहीं जाते। प्रदेश में कुल 6.68 करोड़ राशन कार्ड थे जिनमें से अब 5.29 करोड़ ही रह गए हैं। खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर कहते हैं कि हम राशन वितरण व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने को प्रयासरत हैं। हमारा उद्देश्य असल गरीबों को लाभ देने का है। बीपीएल सर्वे पूरा होने के बाद इसमें और सुधार आएगा।

अब प्रदेश में हर महीने न केवल 16 लाख अतिरिक्त गरीब परिवारों को पर्याप्त राशन बांटा जा रहा है, बल्कि हर महीने केंद्र से मिलने वाले कोटे में से औसतन ढाई से तीन हजार मीट्रिक टन अनाज की बचत भी हो रही है। यह स्थिति तब है, जब केवल शहरी क्षेत्रों में ही पीडीएस सिस्टम में बायोमीट्रिक पहचान अनिवार्य की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस सिस्टम के लागू होने के बाद बचत का यह अनुपात दोगुना हो सकता है। एक साल में 18 लाख 85 हजार 145 कथित पीडीएस परिवारों ने अब तक अपना आधार लिंक नहीं कराया है, ये लोग पीडीएस दुकानों पर राशन लेने भी नहीं आ रहे हैं। आशंका इसी बात की है कि इतनी बड़ी संख्या में गरीबी रेखा के फर्जी राशनकार्डों के जरिए पीडीएस के अनाज की कालाबाजारी की जा रही थी। हालांकि इन राशनकार्डों को अभी निरस्त करने के बजाय इनका राशन का कोटा रोका गया है। ताकि कोई व्यक्ति गलती से छूट गया है, तो वह अपना आधार लिंक कराकर फिर से राशन ले सकता है। पीडीएस के लिए हर महीने प्रदेश को 2.89 लाख मीट्रिक टन अनाज का कोटा आवंटित होता है। इसमें प्रदेश की 5 करोड़ 34 लाख आबादी कवर होती है। जबकि प्रदेश में पीडीएस पात्रता वाली गरीब आबादी की संख्या 5 करोड़ 50 लाख (1 करोड़ 18 लाख 21 हजार 99 परिवार) है। इनमें लगभग 1 करोड़ 2 लाख प्राथमिकता परिवार (बीपीएल) हैं, जबकि 16 लाख परिवार अंत्योदय सूची में आते हैं।

मप्र सरकार एक और क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। सरकार अब राशन की होम डिलीवरी करने जा रही है। खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि ऐसे बुजुर्ग जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक है उनके हिस्से का राशन उन्हें घर पर पहुंचाया जाएगा। उन्हें राशन की दुकान पर लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। मंत्री तोमर ने यह नहीं बताया कि यह योजना कितनी तारीख से शुरू होगी। खाद्य मंत्री ने कहा कि अब बाकी सामानों की तरह ही केवल बुजुर्गों के लिए राहत देने के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। अब बुजुर्गों के लिए सरकारी अनाज की होम डिलीवरी की जाएगी, लेकिन इसके लिए 80 साल की उम्र होना जरूरी है। इसके लिए खाद्य विभाग अब राशन कार्ड के जरिए ऐसे बजुर्गों को चिन्हित कर रहा है, जो कि काफी उम्रदराज हैं और उनके घर में कोई वयस्क नहीं है। अब बुजुर्गों के लिए अनाज पहुंचाना सरकार और खाद्य विभाग की जिम्मेदारी होगी। तोमर का कहना है कि प्रदेशभर में राशन दुकानों पर खाद्य की कालाबाजारी रोकने के लिए सेल्समैन तैनात किए जा रहे हैं। जबकि हर राशन दुकान पर एक सेल्समैन तैनात होगा। इसके अलावा वेयरहाउस की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जा रही है। प्रदेश में आधे से ज्यादा वेयरहाउस में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं और बाकी को लेकर काम काफी तेजी से चल रहा है।

11 जिलों में बंट सकता है बचा अनाज

पीओएस सिस्टम लागू होने के बाद प्रदेश में पिछले छह माह में जितना अनाज बचा है वह 11 जिलों में आवंटित किए जा रहे अनाज के बराबर है। जानकारी के अनुसार सितंबर में 52 जिलों को 22 करोड़ 28 लाख 72 हजार 105 किलो गेहूं आवंटित हुआ। इन्हीं जिलों को फरवरी में 13 करोड़ 55 लाख 52 हजार 763 किलो गेहूं दिया गया है। यानी प्रदेशभर में 8 करोड़ 73 लाख 19 हजार 342 किलो गेहूं बच गया है। बचे हुए गेहूं की मात्रा इतनी है कि चंबल-ग्वालियर संभाग के सातों जिले श्योपुर, ग्वालियर, मुरैना, भिण्ड, दतिया, शिवपुरी, गुना के 11.44 लाख गरीबों (जिन्हें हर माह 1.35 करोड़ किलो गेहूं बंटता है) को छह माह तक बंट सकता है। इसी प्रकार बचा अनाज चार महानगरों भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर के 12 लाख 13 हजार गरीब परिवारों (जिन्हें हर माह 1.52 करोड़ किलो गेहूं बंटता है) को साढ़े पांच माह तक दिया जा सकता है। मांग में कमी को देखते हुए शासन ने भी दुकानों का राशन आवंटन कम कर दिया है।

-  विकास दुबे

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^