20-Nov-2014 01:53 PM
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सवारियों से खचाखच भरी बस सड़क पर जहाँ भी रुकती लोग चढऩे-उतरने लगते। उतरी सवारियों की खाली सीटों पर पहले से खड़े लोग सिमट जाते। एक जगह बस रुकी। कुछ लोग उतरे, कुछ सवार हुए। बस में सवार होने वालों में एक युवा दम्पती भी था।
जगह न मिलने पर वे खड़े थे। एक ओर डंडे का सहारा लिए पति, दूसरी ओर सहमी- सी पत्नी। इधर-उधर बैठे पुरूष गिरती-छुपती निगाहों से हिचकोले लेती बस में उस युवती के अंग-अंग का जायजा ले रहे थे। किसी में क्या भाव नहीं था। सहमी युवती याचना की सी स्थिति में खड़ी थी जैसे उसे किसी सहायता की जरूरत हो।
एक औरत वो भी इस दशा, में गाड़ी में एक भी भला इंसान नहीं जो खड़े-खड़े सफर कर रही इस बेचारी को बैठने की जगह दे दे? उस गर्भवती युवती की व्यथा देखकर बस में सवार एक बुजुर्ग से न रहा गया। उसकी बात सुनकर बस में खामोशी छा गई। सब अपनी नजरें चुराने लगे। अब युवती की ओर किसी की निगाह नहीं थी।
तभी एक युवक ने अपनी जगह से उठकर उसे सीट दे दी। युवती आराम से बैठ गई। वह युवक बस में सवार लोगों के निशाने पर था।
द्यमहावीर रवांल्टा