लालबत्ती छिनी तो राज्यसभा के लिए लॉबिंग
10-Nov-2014 01:46 PM 1234778

उत्तरप्रदेश में इन दिनों हताशा की राजनीति की जा रही है। लगातार पराजयों से समाजवादी पार्टी इतनी बौखला गई है कि वह अपने खास कारिंदों को ही सजा दे रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त 82 लोगों को बर्खास्त कर उनसे लालबत्ती छीन ली। लेकिन राज्यसभा के लिए जिस तरह मुस्लिम नेताओं और अखिलेश यादव के खासमखास लोगों ने लॉबिंग शुरू कर दी है, उससे भारी परेशानी है। एक तरफ तो भाजपा की तर्ज पर अखिलेश यादव पार्टी को गुण्डा तत्वों और कबाड़ हो चुके नेताओं से बचाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पार्टी के ही कुछ नेता अखिलेश यादव के कदमों को ठिकाने लगाने की जुगत में हैं। बहरहाल अखिलेश यादव अब बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तकरीबन 125 लोगों को मंत्री का दर्जा दिया था। इनमें से 90 फीसदी को राज्य और दस फीसदी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए विभिन्न महकमों में अध्यक्ष, सलाहकार व उपाध्यक्ष बनाया गया था। इतनी बड़ी संख्या में लालबत्ती बांटे जाने और दर्जाधारियों की कारगुजारियों को लेकर पार्टी के अन्दर विरोध के स्वर उठे, लेकिन सरकार चुप रही। लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद ये स्वर और तेज हुए तो मुख्यमंत्री ने 37 दर्जाधारियों को बर्खास्त कर दिया।
बाद में आशु मलिक, सुरभि शुक्ला, कुलदीप उज्जवल का दर्जा बहाल कर दिया गया। अक्टूबर में लखनऊ में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में दर्जाधारियों के खिलाफ फिर आवाज उठी। तभी से कड़ी कार्रवाई के संकेत मिलने लगे थे। अचानक 82 दर्जाधारियों को बर्खास्त कर उनसे सभी सुविधाएं वापस लेने का मुख्यमंत्री ने फैसला कर लिया। प्रमुख सचिव, सूचना नवनीत सहगल के अनुसार अब सिर्फ दस लोगों के पास ही लालबत्ती रह गयी है। उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों को लेकर सपा में लॉबिंग शुरू हो गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया चौधरी अजित सिंह भी लॉबिंग करने वालों में सबसे आगे हैं। अजित कांग्रेस और सपा का समर्थन हासिल करने की जुगत में हैं। दूसरी तरफ सपा से पूर्व सांसद रेवती रमन सिंह, पूर्व मंत्री अशोक वाजपेयी, डा. सीपी रॉय, शफीकुर रहमान बर्क और नीरज शेखर समेत तमाम लोगों का नाम चर्चा में है। पूर्व सपा नेता अमर सिंह की मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद उनको राज्यसभा में भेजने की अटकलों को भी बल मिला है। रालोद मुखिया अजित सिंह अपने पिता चौधरी चरण सिंह के लिए दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग को लेकर आंदोलन का ऐलान कर चुके हैं। अभी पिछले दिनों इसे लेकर उन्होंने इस मांग को लेकर एक रैली भी की थी। रैली में सपा से शिवपाल यादव और कांग्रेस के कई नेता जुटे थे। सपा ने उनके आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। इसके बाद से ही रालोद की ओर से राज्यसभा की सीट हासिल करने की कोशिश शुरू हो गई है। रालोद ने कांग्रेस नेताओं से भी कहा है कि पिछली बार राज्यसभा सीटों के चुनाव में उसने कांग्रेस की मदद की थी। इसलिए इस बार उनकी मदद की जानी चाहिए। रालोद ने कहा है कि अगर कांग्रेस और सपा उनकी मदद करती है तो वे यूपी विधान परिषद में उनको मदद दे सकते हैं। उधर, मोदी सरकार के खिलाफ सभी पार्टियों की एकजुटता की दुहाई देते हुए भी अजित सिंह को राज्यसभा भेजे जाने की पैरवी की जा रही है। समाजवादी पार्टी के पास 230 विधानसभा सीटें हैं। पार्टी को दस में से छह सीटें पाने की उम्मीद है। मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए एक बार बैठक कर चुके हैं। अगले हफ्ते एक और बैठक होने की संभावना है।
नामांकन शुरू होने की तारीख तीन नवंबर और अंतिम तारीख दस नवंबर है। मतदान 20 नवंबर को होना है। सपा के टिकट दावेदारों में सीपी राय सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के इस भरोसे पर उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नेताजी ने कुछ समय पहले एक पुस्तक विमोचन समारोह में खुले तौर पर राय को राज्यसभा में भेजने की बात कही थी। तो प्रमुख मुस्लिम चेहरों को साथ रखने की सियासत के हिसाब से बर्क को मौका दिए जाने पर मंथन चल रहा है। वहीं बलिया में अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सियासी विरासत बचाने में नाकाम रहे नीरज शेखर की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ दोस्ती की वजह से दावेदारी मजबूत आंकी जा रही है।

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