21-Jun-2014 05:52 AM
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केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की सुगबुगाहट होने लगी है। जुलाई माह में विस्तार हो सकेगा ऐसा कहा जा रहा है। लेकिन भाजपा के कई वरिष्ठ नेता अपनी भूमिका के इंतजार में हैं। लालकृष्ण आडवाणी को पहले लोकसभा अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी पर आडवाणी स्वयं इस पद के लिये राजी नहीं हुये। बाद में सुमित्रा महाजन को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया। आडवाणी को संसद में उनका कमरा दे दिया गया है। ड्डउनकी भूमिका क्या होगी यह अभी तक रहस्य ही है। क्या वे यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी की तरह एनडीए के चेयरमैन बनेंगे? अरुण जेटली ने कहा था कि शीघ्र ही देश का रक्षा मंत्री नियुक्त होगा। क्या यह पद आडवाणी के लिये सुरक्षित रखा गया है? लेकिन आडवाणी को मंत्री बनाया गया तो 75 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को मंत्री न बनाने का मोदी का फार्मूला बदलना पड़ेगा फिलहाल मोदी इस मूड में नहीं हैं। इसी कारण आडवाणी की भूमिका पर संशय बना हुआ है। राष्ट्रपति का पद भी अगले तीन वर्ष तक रिक्त नहीं होगा।
इसके अलावा भी विभिन्न राज्यों के कई वरिष्ठ नेता और संगठन के योग्य नेता कहीं न कहीं सरकार में कोई जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। योजना आयोग के अतिरिक्त] महिला आयोग, बाल आयोग, समाज कल्याण बोर्ड सहित तमाम ऐसी जगहें हैं जहां पार्टी के योग्य नेताओं को तैनात किया जाना आवश्यक है।
कुछ वरिष्ठ नेताओं को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है तो कुछ को पार्टी संगठन में अहम पद दिया जा सकता है। कुछ वरिष्ठ नेताओं को निगमों का अध्यक्ष बनाकर उनका कद बढ़ाया जा सकता है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व विधानसभा केशरीनाथ त्रिपाठी को प्रधानमंत्री ने जल्द ही किसी प्रदेश का राज्यपाल तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके डॉ. मुरली मनोहर जोशी को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाएंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री दिल्ली, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के भी वरिष्ठ पार्टी नेताओं को राज्यपाल बनाएंगे। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ प्रधानमंत्री ने इस संबंध में प्रारंभिक विचार-विमर्श कर लिया है। संसद का सत्र खत्म होने के बाद इस संबंध में जरूरी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल कल्याण सिंह और केशरीनाथ त्रिपाठी अभी यही कह रहे हैं कि उनको राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा सिर्फ मीडिया में ही है, पर इन दोनों ही नेताओं ने उप्र से बाहर जाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इन नेताओं के अलावा लखनऊ के पूर्व सांसद
लालजी टंडन का नाम भी राज्यपाल बनाए जाने वाले नेताओं में शामिल था, पर उन्होंने लखनऊ से बाहर न जाने की मंशा जताई तो अब उन्हें लखनऊ में ही कुछ अहम जिम्मेदारी दी जाएगी।
जोशी को राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा को पार्टी नेता मीडिया की खुराफात बता रहे हैं। उप्र भाजपा के नेताओं के अनुसार प्रधानमंत्री जोशी का बहुत आदर करते हैं। वह चाहते हैं कि जोशी के अनुभव का लाभ लेकर देश के विकास का पुख्ता ढांचा तैयार किया जाए। प्रधानमंत्री ने उन्हें योजना आयोग के लाने की सोची है। इसके लिए जरूरी कार्रवाई संसद का सत्र खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री के सचिवालय से की जाएगी।
देश के किस राज्य में भाजपा और संघ से जुड़े किन नेताओं को राज्यपाल बनाया जाएगा, इसे लेकर दिल्ली के भाजपा कार्यालय में बड़े नेता खूब चर्चा कर रहे हैं।
भाजपा के उप्र प्रभारी अमित शाह से जुड़े एक नेता बताते हैं कि चंद महीनों में ही हरियाणा, त्रिपुरा और राजस्थान, के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके आलावा गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, असम के राज्यपाल जेबी पटनायक, पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल और हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह की कुर्सी भी खाली होने वाली है। इन राज्यों में भी नए राज्यपाल की तैनाती होगी क्योंकि प्रधानमंत्री संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के द्वारा बनाए गए राज्यपालों को अब और मौका देने के पक्ष में नहीं हैं। प्रधानमंत्री और उनके नजदीकी मंत्री चाहते हैं कि संप्रग के शासनकाल में राज्यपाल बनाए गए लोग खुद ही अपना पद छोड़ दे पर कोई भी राज्यपाल यह कदम उठाने को तैयार नहीं है। सबसे पहले जिन्हें राज्यपाल बनाया जाएगा, उनमें उप्र से कल्याण सिंह, केशरीनाथ त्रिपाठी, दिल्ली से विजय कुमार मेल्होत्रा तथा हिमाचल प्रदेश के शांता कुमार का नाम लिया जा रहा है।