मोदी के करीबी ने करोड़ों खर्चे
19-Jun-2014 04:07 AM 1234770


लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में नरेंद्र मोदी के निकट रहे एक बड़े नेता द्वारा पानी की तरह पैसा बहाने से यह कयास लगाये जा रहे हैं कि प्रदेश की राजनीति में आने वाले दिनों में कोई बड़ा बदलाव आ सकता है। यह सूचना मध्यप्रदेश इंटेलीजेंस के मार्फत उजागर हुई है और इस खबर ने प्रदेश के कुछ आला राजनीतिज्ञों को परेशान भी किया है।
शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र तोमर की जोड़ी राम-लखन की जोड़ी कही जाती थी। लेकिन अब नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय राजनीति में चले गये हैं और शिवराज अकेले हैं। तोमर ने अपने नेतृत्व में दो-दो विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव भारी बहुमत से जितवाया। एक तरह से देखा जाये तो सत्ता का चेहरा शिवराज थे तो संगठन का चेहरा निर्विवाद रूप से नरेंद्र सिंह तोमर ही थे। बल्कि तोमर मुख्यमंत्री की ढाल बनकर भी खड़े रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री का पुरजोर समर्थन किया। इसके विपरीत जब प्रभात झा अध्यक्ष हुआ करते थे उस वक्त सीएम के साथ उनकी ट्यूनिंग उतनी स्मूथ नहीं थी। झा के ऊपर आरोप है कि उन्होंने आयकर विभाग के कुछ अधिकारी और अपने पुत्र को आगे बढ़ाने में सरकार के साथ असहयोग जो किया उसका खामियाजा भुगतना पड़ा।
वहीं दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान की मुश्किल टल गई। क्योंकि इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन को लोकसभा स्पीकर बनाकर मध्यप्रदेश पर राजनीतिक संकट के बादलों से फिलहाल तो छुट्टी मिल गई। परंतु एक तीर से दो निशाने चल गये। क्योंकि ताई और भाई का झगड़ा हमेशा से चलता आया है और भाई के लिये अब मैदान साफ होता हुआ नजर आ रहा है।
इसीलिये प्रदेश भाजपा की पूरी राजनीति तब्दील नजर आ रही है और यह तब्दीली किस सीमा तक पहुंचेगी कहा नहीं जा सकता।  यह तय है कि संगठन में कुछ बड़े बदलाव अवश्य होंगे जिनका असर शिवराज सिंह की सरकार पर भी पड़ सकता है। विदेश यात्रा से लौटने के उपरांत संक्षिप्त विधानसभा सत्र के बाद शिवराज मंत्रिमंडल में फेरबदल भी कर सकते हैं। जिन मंत्रियों के क्षेत्रों में लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी का प्रदर्शन संतोषप्रद नहीं रहा उनका कद सरकार में घट सकता है।
जावड़ेकर पर खींचतान
प्रकाश जावड़ेकर अन्य प्रदेश से नामांकन भरने वाले थे। लेकिन वहां विरोध होने के कारण मध्यप्रदेश में उन्हें पनाह दी गई। कहा जाता है कि तोमर की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका थी। हालांकि मध्यप्रदेश से भी बहुत से नेता राज्यसभा में जाने के लिये प्रयासरत थे पर जावड़ेकर का नाम आने के बाद जो नेता दिल्ली में लॉबिंग कर रहे थे उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिये। जावड़ेकर के मध्यप्रदेश से पर्चा भरने के कारण मध्यप्रदेश से मंत्रियों की संख्या पांच हो जायेगी। सुमित्रा ताई लोकसभा स्पीकर बन चुकी हैं। इस तरह से देखा जाये तो केंद्र की राजनीति में मध्यप्रदेश काफी ताकतवर होकर उभरा है। सुषमा स्वराज, थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, नजमा हेपतुल्ला तो मध्यप्रदेश के हैं ही उमा भारती भी इसी प्रदेश की बेटी हैं और अनंत कुमार लंबे समय तक मध्यप्रदेश में भाजपा के प्रभारी रहे हैं। वहीं प्रकाश जावड़ेकर को मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित कर लिया गया है। देश में अगर देखा जाये तो मोदी मंत्रिमंडल में मध्यप्रदेश को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। वहीं मध्यप्रदेश विधानसभा के सत्ता पक्ष के विधायकों को खजुराहो में प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिससे आने वाले समय में वह अपनी जनता जनार्दन को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा दिला सकें।

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