बिजली की प्रचुरता से किसानों को राहत
18-Feb-2013 08:56 AM 1234924

मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के लिए पिछले दिनों कई राहत भरी घोषणाएं की हैं इससे किसानों में नई आशा का संचार हो गया है और वे एक कदम आगे बढ़कर अपने कृषि क्रियाकलापों को सरकार

के संरक्षण में उत्साह से अंजाम दे रहे हैं। किसानों की कुछ समस्याएं शास्वत हैं जिनमें उपज का उचित दाम न मिलना, बिजली, पानी, खाद इत्यादि का सुचारू उपलब्ध न होना प्रमुख है। मध्यप्रदेश सरकार इन समस्याओं को जड़ से खत्म करना चाहती है और इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने विशेष योजनाएं प्रारंभ की हैं जिससे किसानों का आर्थिक उन्नयन होने के साथ-साथ उनकी तकनीकी दक्षता का भी विकास हो सके। अब गेहूं की खरीदी 1500 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर की जाएगी और बोनस भी बढ़ाकर 150 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसी प्रकार बिजली की दर 1200 रुपए प्रति हार्स पॉवर प्रति वर्ष घोषित की गई है और किसानों को साल में केवल दो बार बिल जमा करना पड़ेगा। जिन किसानों के ऊपर बिजली के बकाया संबंधी प्रकरण चल रहे हैं उन्हें विशेष लोक अदालत लगाकर राहत दी जाएगी। सभी किसानों को उनकी भूमि के नक्शे, खसरे और ऋण पुस्तिकाएं दिलाने के लिए विशेष अभियान भी चलाया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार सदैव ही किसानों की हितैषी रही है। किंतु भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित किसानों की महापंचायत में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए अपने नए संकल्पों की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री का कहना है कि किसानों को खेती संबंधी सुविधाओं का लाभ अब सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत प्रदान किया जाएगा और उनके सारे प्रकरण इस वर्ष मई माह तक अभियान चलाकर हल किए जाएंगे। किसानों को मुख्य रूप से नामांतरण बंटवारा और सीमांकन प्रकरणों में कई-कई वर्ष तक इंतजार करना पड़ता है, लेकिन अब सरकार मई के बाद ढाई माह के भीतर ही इन प्रकरणों को समाप्त करने तथा उनका निराकरण करने का लक्ष्य बना चुकी है। इसके साथ ही हर वर्ष छह लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई सुविधा बढ़ाने का भी संकल्प सरकार ने लिया है।
खेती की एक-एक इंच जमीन में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। नर्मदा-क्षिप्रा नदी जोड़ो परियोजना का काम जल्दी पूरा हो जायेगा। इससे मालवा क्षेत्र के 3000 गांव और 72 शहरों को पानी मिलने के साथ ही 16 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के खातों में लाभ की राशि जमा करने और अन्य योजनाओं का लाभ देने के लिये सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग की जा रही है। फसल खरीदी के संबंध में उन्होंने कहा कि इस साल बारदानों की कोई कमी नहीं होगी। किसानों की उपज का एक-एक दाना खरीदा जायेगा। वर्तमान में 108 मंडियों के परिसर में खरीदी की व्यवस्था की गयी है और 102 अतिरिक्त मंडियों में व्यवस्थाएं की जायेंगी। उन्होंने कहा कि कस्टम हायरिंग केंद्र खोले जायेंगे। स्प्रिंकलर पर 80 प्रतिशत अनुदान का लाभ देने के लिये निर्धारित लक्ष्य में पांच गुना वृद्धि की जायेगी। कोदो-कुटकी उत्पादन वाले क्षेत्रों में 100 छोटे उद्योगों की स्थापना की जायेगी। किसानों को खेती-किसानी की महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिये एसएमएस सुविधा प्रारंभ की जायेगी। किसानों के समूह बनाकर फलों के उत्पादन के लिये समूह खेती पर अगले पांच सालों में एक हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इसी प्रकार छिड़का पद्धति से खेती को समाप्त कर आधुनिक खेती के लिये 75 करोड़ रुपये की योजना शुरू की जायेगी। मुख्यमंत्री ने किसानों से खेती-किसानी की नई पद्धतियों को अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि धान खेती के लिये मेडागास्कर पद्धति, पोली हाउस में सब्जी उत्पादन, सोयाबीन के लिये रिज और फरो पद्धति और पानी के बेहतर उपयोग के लिये ओसलाबन्दी अपनाने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार से गेहूं का समर्थन मूल्य 1600 रुपये प्रति क्विंटल करने और कोदो-कुटकी के लिये समर्थन मूल्य घोषित करने का आग्रह किया। डोडा चूरा उत्पादन के संबंध में उन्होंने कहा कि यदि केंद्र द्वारा डोडा चूरा उत्पादकों से इसे जलाने के लिए कहा गया है तो इसके बदले उत्पादकों को क्षतिपूर्ति राशि दी जाना चाहिए। उन्होंने डीएपी खाद के बढ़े दामों को किसानों के प्रति अन्याय बताते हुए कहा कि किसानों को केवल बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने केंद्र से खाद के बढ़े दामों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि डीजल के दाम बार-बार नहीं बढऩे चाहिए।
श्री चौहान ने कहा कि प्राकृतिक आपदा में 25 से 50 प्रतिशत की फसल हानि को केन्द्र सरकार द्वारा नुकसान नहीं माना जाता। प्रदेश द्वारा इस प्रतिशत पर अपनी ओर से राहत दी जा रही है। हाल ही में पाला से फसल नुकसान की रिपोर्ट के संबंध में उन्होंने अधिकारियो को निर्देश दिये कि तत्काल पूरे प्रदेश में सर्वेक्षण करायें और राहत राशि प्रभावित किसानों को दें। प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाली क्षति में दी जाने वाली राहत राशि की अधिकतम सीमा 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार की जायेंगी।
श्री चौहान ने कहा कि खाद के संबंध में केन्द्र ने प्रदेश के साथ भेदभाव किया है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अग्रिम रूप से उर्वरकों का भंडारण करें। अग्रिम भंडारण पर कोई ब्याज देय नहीं होगा। किसानों को अब बिजली की कोई कमी नहीं होगी। मई माह तक सभी गांव को 24 घंटे बिजली मिलेगी। इसके लिये फीडर विभाजन का काम तेजी से पूरा हो रहा है। इस पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। प्रदेश को अंधेरे से पूरी तरह मुक्ति मिल जायेगी। इस साल 24 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। मुख्यमंत्री ने किसानों से कहा कि वे गांव में विद्युत उपलब्धता का लाभ लेते हुए युवाओं को कृषि आधारित लघु उद्योग लगाने के लिये भी प्रेरित करें। अप्रैल माह से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के क्रियान्वयन की शुरूआत हो रही है। इसके अंतर्गत युवा उद्यमियों को 25 लाख रुपये तक का लोन उपलब्ध कराया जायेगा और पांच साल तक उस पर ब्याज का पांच प्रतिशत सरकार  वहन करेगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों के उन्नयन के लिए किए जा रहे मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों की बहुत सराहना की। श्री सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में कृषि के क्षेत्र में 18.9 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर करिश्माई काम किया है। इसका श्रेय किसानों और सरकार दोनों को है। देश की सबसे बड़ी जनसंख्या कृषि में लगी है हम सबसे बड़े उत्पादक और उपभोक्ता दोनों हैं किसानों के आर्थिक विकास से ही उद्योग व्यापार बढ़ेंगे, देश की अर्थ व्यवस्था को गति देने के लिए यह जरूरी है। मध्यप्रदेश इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है उसके साथ ही खेती-किसानी राज्य की प्राथमिकता है और किसानों का कल्याण राज्य सरकार का लक्ष्य है। इन्हीं कदमों का परिणाम है कि मध्यप्रदेश कृषि क्षेत्र में देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बन गया है। यहां करीब 85 लाख मेट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया है तथा किसानों को 804 करोड़ का बोनस भी मिला है। बीते वर्ष बिजली का उत्पादन 26 सौ मेगावाट से बढ़कर 9 हजार मेगावाट हो जाने से किसानों को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिल रही है। खाद, बीज, पानी भी सुचारू रूप से उपलब्ध है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि प्रधान है। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भर करती है इस आबादी का एक हिस्सा कई तरह की समस्याओं से जूझता है। आाजादी के बाद भारत में हरित क्रांति ने किसानों की स्थिति में गुणात्मक सुधार किया, किंतु उसके बाद भी किसानों की कुछ समस्याएं लंबे समय तक नहीं सुलझी। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किसानों के बीच जाकर उनकी बुनियादी समस्याओं को जानने का प्रयास किया है। कई मसलों पर सरकार ने असरकारी कदम उठाए हैं। यही कारण है कि प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में विकास की झलक दिखाई दे रही है और आने वाले समय में विकास की यह गति तीव्रतम हो सकेगी ऐसी उम्मीद की जा रही है। किसान पंचायत का आयोजन किसानों की उपलब्धियों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसमें किसान नई तकनीकों के अलावा अपनी उपलब्धियों पर भी चर्चा करते हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणादायी हो सकता है।
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