बोफोर्स की तर्ज पर हेलीकॉप्टर में दलाली
16-Feb-2013 11:55 AM 1234766

बजट सत्र के ठीक पहले विपक्ष के हाथ अब एक नया मुद्दा लग गया है। अतिविशिष्टजनों के लिए खरीदे गए इतालवी हेलीकॉप्टरों के सौदों में दलाली की बात उजागर होने से अब इसे दूसरा बोफोर्स

कांड कहा जाने लगा है। कहा जा रहा है कि इतालवी कंपनी के साथ 36 सौ करोड़ रुपए के रक्षा हेलीकाप्टर सौदे में वेमानिकी कंपनी फिनमेकेनिका ने कथित रूप से लगभग 362 करोड़ रुपए की रिश्वत विभिन्न व्यक्तियों को दी थी जिनमें भारतीय और विदेशी लोग शामिल थे। इस रिश्वत कांड में भारत के पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी का नाम भी उछाला जा रहा है। जबकि त्यागी ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि वे तो सन् 2007 में ही रिटायर हो गए थे और उनका इस सौदे से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि उन्होंने इस कंपनी के दलाल से मिलने तथा अपने रिश्तेदारों की भूमिका की बात स्वीकार की है। उधर एनडीए शासन काल में तत्कालीन सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा ने एयर मार्शल एस.कृष्णमूर्ति को पत्र लिखकर कुछ तकनीकी सुझाव दिए थे यह कदम भी संदेह भरा माना जा रहा है। यह सौदा 12 हेलीकाप्टरों की खरीद से जुड़ा हुआ है। इटली की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी फिनमेकेनिका में सरकार का 30 प्रतिशत हिस्सा है। सौदा हासिल करने के लिए इस कंपनी ने यूरोप में सक्रिय दो कथित बिचौलियों की मदद भी ली थी। जिन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है। हालांकि यह सौदा 2010 में हुआ, किंतु इसकी जांच पिछले 12 माह से बदस्तूर जारी है। भारत ने जिन अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाप्टरों को खरीदा है। उनमें से तीन पहले ही भारत पहुंच चुके हैं जबकि शेष हेलीकाप्टर वर्ष 2014 के मध्य में मिलने की संभावना है, लेकिन अब यह सौदा खदाई में पड़ गया है क्योंकि रक्षा मंत्री एके एंटनी ने साफ किया है कि यदि इस सौदे में रिश्वतखोरी की बात सामने आती है तो सरकार त्वरित कार्रवाई करते हुए सौदे को रद्द कर देगी। एंटनी का कहना है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। फिलहाल सरकार ने इस सौदे की जांच सीबीआई के हाथ में सौंप दी है। यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि हेलीकाप्टर सौदा बोफोर्स की तरह ही दलाली का सौदा है। भाजपा के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि बोफोर्स घोटाले में इतालवी व्यापारी और ओटावियो क्वात्रोची शामिल था। इसीलिए उसमें जांच को जानबूझकर दबाया गया। अब इस मामले में भी सरकार जांच करने से परहेज कर रही है। क्योंकि इसमें एक इतालवी कंपनी शामिल है। हालांकि रविशंकर प्रसाद का यह आरोप पूर्णत: सच नहीं है क्योंकि सरकार पहले ही सीबीआई जांच के आदेश दे चुकी है। लेकिन प्रश्न यह है कि सीबीआई जांच में क्या सच्चाई सामने आ सकेगी? भाजपा ने कहा है कि वह इस मुद्दे को संसद में अवश्य उठाएगी। भाजपा के इस कथन से यह साफ है कि अब संसद का बजट सत्र सरकार के लिए परेशानी भरा साबित हो सकता है।  बाकी के नौ हेलीकॉप्टरों के इस साल जून-जुलाई तक भारत आने की उम्मीद थी। इस सौदे में गड़बड़ी की आशंका जाहिर होने के बाद इतालवी एजेंसियों ने डेढ़ साल जांच के बाद फिनमेकेनिका (इटली की एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी) के सीईओ गियुसिपी ओरसी को मिलान में गिरफ्तार किया। जेसेपी ओरसी 2011 से फिनमेकेनिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद कंपनी के शेयरों की कीमतों में गिरावट जारी है।
इटली की कोर्ट ने अगस्ता-वेस्टलैंड के प्रमुख ब्रूनो स्पैगनेलेनी को भी नजरबंद करने के आदेश दिए हैं। फिनमेकेनिका इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड की सहयोगी कंपनी है और इसमें 30 फीसदी हिस्सेदारी इटली की सरकार की है। अक्टूबर 2012 में स्विट्जरलैंड पुलिस ने गुइडो राल्फ हाशके नामक कंसल्टेंट को भी गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में उसे छोड़ दिया गया था। एक भारतीय अखबार के दावे के अनुसार उसके पास 64 पेज की वह रिपोर्ट है, जिसे फिनमेकेनिका के सीईओ की गिरफ्तारी के लिए ट्रिब्यूनल में फाइल किया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को मध्यस्थों के माध्यम से घूस की रकम, जिसका ठीक-ठीक अनुमान नहीं है, पहुंचाई गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार एसपी त्यागी 2004 से 2007 में वायुसेना अध्यक्ष बने थे। कहा जा रहा है कि एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी के कुछ संबंधियों जूली त्यागी, डोस्का त्यागी और संदीप त्यागी के मार्फत उन तक रकम पहुंचाई गई थी।  अखबार के मुताबिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि फिनेमेकेनिका की सहायक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड को नीलामी प्रक्रिया में शामिल करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट में जानबूझकर तकनीकी पेंच फंसाए गए। इसके लिए 360 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वत दी गई। रिश्वत पर यह रकम इटली और भारत में खर्च की गई। इस मामले में त्यागी ने कबूल किया कि टेंडर उनके कार्यकाल में जारी हुआ था, लेकिन टेंडर की शर्तें उन्होंने नहीं बदलीं। पूर्व एयर चीफ चीफ मार्शल त्यागी ने घूस लेने के आरोपों को भी खारिज करते हुए खुद को निर्दोष बताया है। त्यागी ने कहा कि सौदे पर 2010 में दस्तखत हुए थे, जबकि मैं 2007 में सेवानिवृत्त हो गया था। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर इतनी सारी रिपोर्ट हैं तो इसमें कुछ तो गड़बड़ है और इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वायुसेना मुख्यालय जरूरतों को नहीं बदल सकता। यह किराने की दुकान नहीं है, बल्कि एक प्रणाली है। व्यवस्था है कि वायुसेना मुख्यालय केवल अनुशंसा कर सकता है लेकिन इसे मंजूरी नहीं दे सकता।

 

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