उच्च पदों पर बैठे हैं कुछ कामुक लोग
05-Dec-2013 09:32 AM 1234813

प्रथम दृष्टया किसी भी व्यक्ति को बिना अपराध के कटघरे में खड़ा करना अजीब सा लगता है और यह अन्याय भी है, लेकिन सच्चाई का दूसरा पहलू यह भी है कि जहां आग होती है धुआं भी वही निकलता है। बगैर आग के धुआं नहीं निकला करता। राजनीति से लेकर पत्रकारिता और नौकरशाही से लेकर न्यायपालिका तक हम कुछ कामुक किंतु ताकतवर लोगों के दौर में जी रहे हैं। उनमें से कुछ के ऊपर लगे आरोप गलत हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि कुछ ऐसे भी हो जिन्होंने बिना किसी दबाव के सहमति से यौन संबंध बनाए है, लेकिन कठोर सच्चाई यह है कि महत्वपूर्ण पदों तक पहुंचने वाले ये लोग अपने विवेक को नियंत्रित करने में नाकामयाब रहे हैं। चाहे तरुण तेजपाल हों या जस्टिस गांगुली, चाहे मध्यप्रदेश में क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व संयुक्त सचिव अल्पेश शाह  डीआरडीओ रक्षा वैज्ञानिक प्रभात गर्ग के अलावा भी कई ऐसे दिग्गज नाम हैं जो धर्म से लेकर राजनीति की दुनिया के सर्वेसर्वा हैं। इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे ये लोग महिलाओं के प्रति इतने क्रूर क्यों हैं। सब कुछ हासिल करने के बाद भी इनकी हसरतें बाकी क्यों रह गई हैं। भारत में प्राय: हर प्रांत में इस तरह की घटनाएं देखने में आ रही हैं। हर क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान प्राप्त लोग किसी न किसी स्कैंडल में फंसे हुए हैं। हालांकि उनकी तादाद, उनकी संख्या के अनुपात में बहुत कम है, लेकिन इससे यह संकेत तो मिलता ही है कि एक बार ताकत और सत्ता हाथ में आ जाए तो व्यक्ति मनमाना व्यवहार करता है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गांगुली का प्रकरण हैरान कर देने वाला है। जस्टिस गांगुली को न्याय की दुनिया में बहुत बड़ा नाम समझा जाता है। लोग उनके प्रति श्रद्धा और आस्था रखते हैं। उनका सारा जीवन कोरे कागज के समान सफेद, धवल और साफ है। लेकिन उनके दामन पर भी जब एक महिला ने यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाए तो समाज दहल गया। जिस व्यक्ति ने कोई भी फैसला बिना किसी दबाव के किया वह किसी महिला का यौन उत्पीडऩ कर सकता है यह ताज्जुब का विषय था। जस्टिस गांगुली कहते हैं कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप गलत हैं, वे गलत परिस्थितियों के शिकार हो गए हैं और अपनी किसी भी बात के लिए शर्मिंदा नहीं हैं। लेकिन वे परिस्थितियां कौन सी हैं और जस्टिस गांगुली ने उन पस्थितियों के जाल में अपने आपको क्यों फंसने दिया।
जस्टिस गांगुली ही नहीं हैं कई नाम हैं। मध्यप्रदेश के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र की मीडिया कंपनी में काम करने वाली महिला ने भी वहां के सीईओ पर यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाए हैं। यह महिला पत्रकार राष्ट्रीय महिला आयोग की शरण में भी गई थी, लेकिन किसी प्रकार से सहायता नहीं मिली। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां ताकतवर लोगों के हाथों महिलाएं अपना सम्मान लुटाती हैं और उनकी लड़ाई को समर्थन देने वाला भी कोई नहीं रहता। उम्मीद की जानी चाहिए कि जस्टिस गांगुली के मामले में सही न्याय हो। ताकि स्थिति सामने आ सके कि दोषी ठहराने के पीछे कोई मकसद तो नहीं है।

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