06-Nov-2013 06:55 AM
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भारत-ऑस्ट्रेलिया वन-डे श्रंखला भले ही पानी ने धो डाली हो किन्तु इस श्रंखला ने भारतीय गेंदबाजी की कमियों को उजागर किया है। जिस तरह ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजी की धज्जियाँ उड़ा दी उसे देखकर तो यही कहा जा

सकता है कि ऑस्ट्रलियाई धरती पर यही श्रंखला भारत बुरी तरह ही हारता। भारत की गेंदबाजी वैसे भी सदैव सवालों के घेरे में रही है, किन्तु वर्त्तमान में यदि बल्लेबाजी का स्वर्णकाल चल रहा है तो गेंदबाज़ी का यह सबसे बुरा दौर है। यही हालात रहे तो बांग्लादेश में भारत के प्रदर्शन पर सवालिया निशान लग जायेगा। फील्डिंग में भी भारत ने कोई कमाल नहीं दिखाया, कई कैच छोड़े, अतिरिक्त रन भी लुटाये। ऑस्ट्रेलिया अपने पुराने रंग में लौट रही है। जयपुर वन-डे को छोड़कर कहीं भी ऑस्ट्रेलिया लडख़ड़ाता नजर नहीं आया । जहाँ टॉप आर्डर बिखरा वहाँ मध्यक्रम ने कमान सम्भाल ली।
भारत के लिए संतोष की बात यह रही कि उसके बल्लेबाज़ खूब चले । यदि सातों मैच हो जाते तो शायद बेहतर नतीज़े सामने होते लेकिन भारत को धोनी की कप्तानी का भरपूर उपयोग करना सीखना होगा। खासकर आगामी श्रंखलाओं में भारत को अपनी गेंदबाजी में सुधार लाना होगा। इशांत शर्मा जैसे गेंदबाज़ों को विश्राम देने का समय यही है। जोशीली गेंदबाज़ों की भारत में कमी नहीं है। भारत को उन्हें तलाशना होगा।