आसानी से पल्ले नहीं पड़ेगी लंच बॉक्स
02-Oct-2013 08:26 AM 1234813

टॉरन्टो फिल्म फेस्टिवल में वाहवाही लूटने और क्रिटिक्स वीक व्यूअर्स चॉइस अवॉर्ड जीत चुकी लंच बॉक्स अब आपके सामने है। बचपन से सुनते आए हैं, किसी के दिल तक डायरेक्ट पहुंचने का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है। इस फिल्म के बारे में बस यही कहना काफी होगा। करीब डेढ़ घंटे की इस सिंपल सी फिल्म की कहानी किसी भी कॉमन मैन की हो सकती है। फिल्म ऐसे मोड़ पर खत्म होती है, जो दर्शकों की बड़ी क्लास के शायद आसानी से पल्ले नहीं पड़ेगी। कहानी के साथ मुंबई के डिब्बा वालों को भी जोड़ा गया है। दरअसल, कहानी का टर्निंग पॉइंट ही मुंबई के हजारों लोगों को उनकी टेबल पर खाना पहुंचाने वालों के रास्ते से जाता है।
कुछ साल पहले बीवी की मौत के बाद साजन फर्नांडिस (इरफान खान) ने अपनी अलग ही दुनिया बसा ली। साजन की उम्र अभी इतनी नहीं जो खुद को बुजुर्ग समझे, लेकिन कहीं ना कहीं साजन अब खुद को यही समझने लगा था। यही वजह थी जो साजन ने वक्त से पहले रिटायरमेंट लेकर मुंबई छोड़ नासिक में अपने पुश्तैनी घर में रहने का फैसला कर लिया था। इसी दौर में अचानक एक दिन अचानक एक दिन डिब्बे वाला उसकी टेबल पर खाने का ऐसा डिब्बा रख गया, जिसका स्वाद चखने के बाद साजन को हर दिन उसी डिब्बे का इंतजार बेकरारी से रहने लगा।
दरअसल, खाने का यह लजीज डिब्बा इला (निमरत कौर) ने अपने पति राजीव के लिए भेजा था। किस्मत ने डिब्बे को साजन फर्नांडिस की टेबल तक पहुंचा दिया। शाम को जब इला ने राजीव से खाने के स्वाद के बारे में पूछा तो समझ गई, उसके बनाए खाने का स्वाद चखने वाला कोई और था। अगले दिन लंच बॉक्स में खाने के साथ-साथ एक लेटर भी निकला, लेटर का जवाब साजन ने पूरी ईमानदारी के साथ दिया। सरकारी क्लेम डिपार्टमेंट के बाबू साजन और लंच बॉक्स के ईदगिर्द घूमती इस सिंपल कहानी में असलम मियां (नवाजुद्दीन सिद्दकी) की एंट्री मजेदार है।
इसी ऑफिस में नए आए असलम मियां को साजन से काम सीखना है। अपने इस मकसद को असलम किसी भी सूरत में हासिल करने की जुगाड़ में लगा है। इस मकसद को हल करने के लिए उसे खुद को अनाथ बताने में परहेज नहीं। हर शाम साजन से आने वाले इन लेटर को पढ़कर इला कुछ वक्त के लिए अपनी टेंशन भूल जाया करती। कुछ अर्से बाद, इला को लगता है अब साजन से मिला जाए। एक दिन शाम को इला और साजन आपस में मिलने का फैसला करते है। यहां पहुंचकर साजन को अपनी बढ़ती उम्र और
इला की खूबसूरती और कम उम्र का एहसास
होता है। यहां आकर साजन दूर सामने की टेबल पर बैठी खूबसूरत इला से मिले बिना ही वापस लौट जाता है।
फिल्म के तीन अहम किरदारों साजन, इला और असलम की भूमिकाओं में इरफान, नवाज़ुद्दीन, और निरमत कौर की बेस्ट परफॉरमेंस है। ऐसा शायद पहली बार हुआ जब किसी फिल्म में स्क्रीन पर उस कलाकार की शक्ल नजर ही ना आए जो कहानी का अहम हिस्सा हो। फिल्म में भारती आचरेकर कहीं नजर नहीं आई लेकिन अपनी अलग बिंदास आवाज से भारती ने ऐसे किरदार को निभाया जो हर किसी से हमदर्दी बटोरता है । बिना मेकअप सिंपल लुक में इला के किरदार में निमरत कौर ने अपने अभिनय का लोहा हर किसी से मनवाया।

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