भाजपा में भूचाल
30-Nov-2012 06:30 PM 1234762

भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने कड़ा संदेश देते हुए नितिन गडकरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले राम जेठमलानी को नोटिस तो थमा दिया, लेकिन इस नोटिस से पार्टी के भीतर चल रही कशमकश कम होने की बजाए और तेज हो गई है।

गडकरी प्रकरण में राम जेठमलानी शुरू से ही मुखर थे, वे बार-बार गडकरी के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। उनके साथ यशवंत सिन्हा, शत्रुध्न सिन्हा और कर्नाटक से भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता जगदीश शेट्टार भी कदम से कदम मिलाकर खड़े हुए थे, लेकिन जेठमलानी को ही बली का बकरा क्यों बनाया गया। यह यक्ष प्रश्न है। अकेले जेठमलानी को नोटिस देने से पार्टी की समस्या सुलझ जाएगी इस प्रश्न से भी आने वाले दिनों में पार्टी को जूझना होगा। जहां तक गडकरी को बचाकर होने वाले नुकसान का प्रश्न है तो इसका प्रभाव फिलहाल देखने को नहीं मिलेगा। क्योंकि भाजपा के विकल्प के रूप में गुजरात और हिमाचल में जनता के समक्ष केवल कांग्रेस ही है और कांग्रेस का दामन पहले से ही मैला हैै। इसलिए गडकरी को लेकर भारतीय जतना पार्टी में कशमकश जारी रहने की संभावना है। इस कशमकश का पटाक्षेप गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद नया अध्यक्ष चुनते वक्त हो सकता है, लेकिन तब तक कितने नेता और गडकरी के विरोध में मुखर हो जाएंगे कहना मुश्किल है। यह भी कहना मुश्किल है कि जेठमलानी को नोटिस थमाने से अन्य बागीÓ पर लगाम लगेगी क्योंकि अन्य नेता पहले ही अपना विरोध जनता के समक्ष प्रकट कर चुके हैैं अब अपने रुख में बदलाव करना उनके लिए संभव नहीं है। केवल इतना हो सकता है कि कुछ नेता थोड़ी देर के लिए चुप्पी बनाए रखे, लेकिन इस शांति के पीछे खदबदाता असंतोष आगामी लोकसभा चुनाव में महंगा पड़ सकता है। इसकी बानगी भारतीय जनता पार्टी ने उत्तरप्रदेश चुनाव में देख ली है। जहां कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने पर उठे असंतोष को नजरअंदाज किया गया और नतीजा करारी पराजय के रूप में सामने आया। केंद्र में भी कमोवेश यही हालात बन रहे हैं। भीतर ही भीतर पार्टी का एक बड़ा हिस्सा यह मानने लगा है कि  इस प्रकार दागी लोगों को प्रश्रय देकर भाजपा में गलत परंपरा कायम की जा रही हैै और आने वाले दिनों में जनता भाजपा को भरोसेमंद विकल्प के रूप में नकार सकती है। देखना यह है कि इस असंतोष को किस तरह शांत किया जाता है।
इस असंतोष को थामने के लिए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी को सुरक्षित रखने की भाजपा की योजना उसके अपने ही नेता ध्वस्त करने पर तुले हैं। राम जेठमलानी का अभियान नोटिस के बाद भी जारी है उधर यशवंत सिन्हा भी मुखर हो उठे थे। खबर संघ से भी कुछ अच्छी नहीं है जिस तरह गुरुमूर्ति ने गडकरी का बचाव किया उस तरीके से संघ के कुछ नेता खासे नाराज़ हैं शायद इसी दबाब में गुरुमूर्ति ने अपना स्टेंड बदलते हुए कहा था कि सार्वजनिक जीवन में रहने वालों को व्यवसाय नहीं करना चाहिए। गुरुमूर्ति का यह बदलाव साफ जता रहा है कि गडकरी का बचाव अब विवाद का कारण बन सकता है, क्योंकि पार्टी का एक धड़ा गडकरी के बचाव में खड़े लोगों को अब कटघरे में खड़ा करने लगा है। गुजरात चुनाव के पहले भाजपा का अजीब स्थिति में फंसना नुकसानदायक है। यदि गुजरात में भाजपा का प्रदर्शन कमज़ोर रहा तो इसका ठीकरा गडकरी पर फूटना तय है। केशुभाई पटेल के भाषणों  में गडकरी का जिक्र इसी सन्दर्भ में परोक्ष रूप से किया जाने लगा है जो कि अच्छा संकेत नहीं है।  सिन्हा ने भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति द्वारा गडकरी को क्लीन चिट दिए जाने पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा, हमें भारत की जनता की उम्मीदों को तोडऩे का कोई अधिकार नहीं है। स्वयं ही प्रमाणपत्र देने का तरीका अपनाकर हमने कुछ ऐसा ही किया है। यही नहीं, उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की कि अगर वे उनकी मांग से सहमत हैं तो उनका समर्थन करें। सिन्हा इस विरोध में अपनी राजनीति को भी चमकाना चाह रहे थे। कल को कोई बात उठे तो वे कह सकते हैं कि उन्होंने तो पहले ही मांग की थी। इससे पहले भी यशवंत सिन्हा नितिन गडकरी को दोबारा भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाने के पत्र में नहीं थे। यशवंत के इस बयान के बाद बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य जगदीश शेटियार ने भी गडकरी के इस्तीफे की आशंका जताई थी। बीजेपी नेता जसवंत सिंह, शत्रुघ्न सिन्हा और राम जेठमलानी पहले ही गडकरी को दोबारा पार्टी का अध्यक्ष बनाने के पक्ष में नहीं थे। इससे पहले अपने ट्वीट में एस गुरुमूर्ति ने कहा था, मैंने कभी भी नितिन गडकरी को क्लीन चिट नहीं दी है। मैं किसी ऐसे इंसान को क्लीन चिट नहीं दे सकता जिसे मैं पूरी तरह जानता ही नहीं। मैं नितिन गडकरी को कतई नहीं जानता। गुरुमूर्ति के इस बयान की इंटरनेट पर खासी चर्चा हुई और मीडिया में भी इस पर अच्छी खासी बहस हुई तो उन्होंने अपने ट्वीट को हटा दिया। इसके बाद उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए लिखा, ्रमुझे लगता है कि मेरे बयान का ग़लत मतलब निकाला गया। मैंने स्पष्ट कहा था कि मीडिया में नितिन गडकरी पर लग रहे आरोप झूठे हैं। अगर आप इसे क्लीन चिट मानते हैं तो मैंने क्लीन चिट दी है।Ó एक और ट्वीट में गुरुमूर्ति ने कहा है, मैं स्पष्ट कर देता हूं कि मैंने पूर्ति मामले में नितिन गडकरी को क्लीन चिट दे दी है।Ó इस मामले पर उनका अंतिम ट्वीट था, मैंने सिफऱ् उन्हीं ट्वीट को डिलीट किया है जिन्हें ग़लत समझा जा रहा था, पूरा मामला नहीं।Ó गुरुमूर्ति ने कहा, मैंने न्यू इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख में कहा है- ये कहना बिल्कुल बकवास होगा कि मैंने गडकरी को क्लीन चिट दे दी है। मैं उनके बारे में पर्याप्त नहीं जानता।                 मैंने अपनी जांच में पाया कि मीडिया ने उन पर मनी लॉन्डरिंग के जो आरोप लगाए हैं, वो मूर्खतापूर्ण हैं।Ó
आरोपों से घिरे बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को पद छोडऩे की नसीहत देने वाले गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर भी बाद में भले ही पलट गए हों किन्तु उनके तरकश से चले तीर ने यह तो बता ही दिया की गडकरी का मामला अब प्रदेशों में भी खलबली मचा रहा है और जल्द ही भाजपा को इस बात का हल निकालना पड़ेगा अन्यथा भाजपा में हुआ वैचारिक विभाजन सतह पर आ सकता है और इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। लालकृष्ण आडवाणी ने शायद पहले ही यह भांप लिया था इसी कारण उन्होंने अपने ब्लॉग पर भविष्यवाणी की थी कि जनता कांग्रेस के विकल्प के रूप में भाजपा को नहीं देख रही। आडवाणी की यह भविष्यवाणी अब सत्य हो चुकी है। गडकरी प्रकरण में भाजपा जनता के समक्ष भ्रष्टाचार पर ज्यादा मुखर नहीं हो सकती क्योंकि उनका अपना घर ही शीशे का है।
द्यअक्स ब्यूरो

 

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