18-Nov-2019 07:04 AM
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अभी हाल ही में सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने सितंबर माह की देश और राज्यों में बेरोजगारी की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस ने सत्ता संभाली थी उस समय प्रदेश में बेरोजगारी की दर 7 प्रतिशत थी। लेकिन दस माह बाद सितंबर 2019 में वह गिरकर 4.2 प्रतिशत रह गई है। सरकार इस रिपोर्ट पर उत्साहित है, लेकिन प्रदेश के बेरोजगार युवा आश्चर्यचकित हैं कि सरकार ने इन 10 माह में कोई सरकारी भर्ती नहीं की, फिर भी बेरोजगारी दर कैसे कम हो गई। उधर, भाजपाई इसे केंद्र सरकार की योजनाओं की उपलब्धि बता रहे हैं। लेकिन प्रदेश के युवा पसोपेश में हैं कि उनको नौकरी मिली नहीं, फिर भी बेरोजगारी दर कम कैसे हो गई? सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वर्तमान में प्रदेश में करीब 30,14,000 बेरोजगार हैं। इन बेरोजगारों में करीब 27,55,245 शिक्षित बेरोजगार प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में पंजीबद्ध हैं। ये वे युवा हैं जो रोजगार की मांग कर रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के कई वादे किए। जिससे प्रभावित होकर युवाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर कांग्रेस को 15 साल बाद सत्ता में वापसी कराई, लेकिन इस सरकार में भी उनके रोजगार के द्वार अभी खुले नहीं हैं।
प्रदेश में बेरोजगारी का आलम क्या है, यह सरकारी आंकड़े खुद ही बता रहे हैं। वर्ष 2015 से अब तक प्रदेश के 73126 युवाओं को ही सरकारी नौकरियां मिल पाई हैं, जबकि प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या 30 लाख से ज्यादा हो चुकी है। रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगारों के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2015 में प्रदेश में 15 लाख 60 हजार बेरोजगार थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 27 लाख से ज्यादा हो गई है। स्थिति यह है कि प्रदेश में हर छठे घर में एक युवा बेरोजगार है और हर सातवें घर में एक शिक्षित बेरोजगार। इन पांच सालों में औसतन हर साल सिर्फ 15 हजार बेरोजगारों को ही नौकरियां मिली हैं। वहीं, सरकारी विभागों में खाली पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके बाद भी सरकार भर्ती नहीं करा पा रही है। इस साल तो भर्ती परीक्षाओं की स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही है, क्योंकि एक भी नई भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन नहीं बुलाए गए।
प्रदेश पुलिस में दो साल से भर्ती नहीं हो पा रही है। प्रदेश पुलिस में 93 हजार से ज्यादा पुलिस बल व 26 हजार से ज्यादा एसएएफ के जवान हैं। इस तरह प्रदेश में करीब 1 लाख 20 हजार पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से सैकड़ों जवान व पुलिस अधिकारी हर साल सेवानिवृत्त भी होते हैं। शिवराज सरकार ने हर साल पांच-पांच हजार जवानों की भर्ती का लक्ष्य रखा था, लेकिन चुनावी वर्ष 2018 में तत्कालीन सरकार ने पुलिस भर्ती को लेकर विचार ही नहीं किया, इसलिए कोई भर्ती नहीं हो पाई। कांग्रेस ने सरकार में आते ही पीईबी के माध्यम से भर्ती परीक्षा का आयोजन स्थगित कर दिया और मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाकर भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया तय करने का फैसला लिया था। इस कारण 2019 में अब तक पुलिस भर्ती का कोई फैसला नहीं हो सका है। प्रदेश में तीन सरकारी वेटरनरी कॉलेज हैं। इनसे डिग्री लेकर निकले करीब 1200 पशु चिकित्सक बेरोजगार घूम रहे हैं। इनके अलावा दो वर्षीय डिप्लोमा करने वाले सैकड़ों सहायक क्षेत्रीय पशु चिकित्सा अधिकारी भी नौकरी की तलाश में हैं।
प्रदेश में एक तरफ बेरोजगार नौकरी के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं और दूसरी तरफ तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के 1 लाख 40 हजार पद रिक्त हैं। 2018 में विधानसभा चुनाव के कारण प्रदेश में सरकारी विभागों में कोई भर्ती नहीं हुई। इसमें तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के भी पद हैं। मध्यप्रदेश में सरकार के पास लाख से अधिक वैकेंसी है, लेकिन लोगों को रोजगार दिलाने वाला दफ्तर तक खाली है। एमपीपीएससी में लंबे समय से भर्ती परीक्षाएं अटकी हुई हैं। एमपीपीएससी को डीएसपी, डिप्टी कलेक्टर समेत कई पदों पर भर्तियां करनी हैं। राज्य सेवा परीक्षाओं का बेरोजगार युवाओं को करीब दो साल से इंतजार था। आयोग ने 31 दिसंबर 2018 को परीक्षाओं का कैलेंडर जारी किया था। हालांकि परीक्षाएं अब तक नहीं हो पाई हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में भी पंद्रह हजार पदों पर भर्ती होनी है।
इधर डेढ़ साल की राहत के बाद अधिकारियों-कर्मचारियों की बेचैनी एक बार फिर बढऩे लगी है। अप्रैल 2020 से प्रदेश में सेवानिवृत्ति का सिलसिला फिर शुरू हो जाएगा और वर्ष 2020 में खत्म होते-होते 15 हजार से ज्यादा कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। जिससे मंत्रालय सहित विभाग प्रमुख कार्यालयों में कामकाज प्रभावित होने की आशंका जताई जाने लगी है। सेवानिवृत्त होने वालों में शीर्षस्थ कर्मचारियों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है।
खाली पड़े सरकारी पदों पर करेगी नयी भर्ती
मध्य प्रदेश में उन युवाओं के लिए अच्छी ख़बर है जिन्हें सरकारी नौकरी की तलाश है। कमलनाथ सरकार खाली पड़े सरकारी पदों पर भर्तियां करने जा रही है। विभागों को आदेश दे दिए गए हैं कि वो इसकी तैयारी करें। फिलहाल सीएम कमलनाथ दुबई में हैं। उनके लौटते ही काम शुरू हो जाएगा। मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए नया मौका युवाओं को मिलने वाला है। कई सरकारी विभागों में कई पद अरसे से खाली पड़े हैं। कमलनाथ सरकार अब उन्हें भरने की तैयारी में है। उसने युवाओं को सरकारी सेवा में मौका देने के लिए खाली पद भरने का प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है। सभी विभागों से खाली पदों की जानकारी मांगी गयी है। दुबई से लौटने के बाद विभागीय समीक्षा बैठक होगी। उसमें मुख्यमंत्री खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा करेंगे। एमपीपीएससी में लंबे समय से अटकी भर्ती परीक्षाओं को लेकर भी मुख्यमंत्री समीक्षा करेंगे। प्रदेश के सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने कहा है कि खाली पदों को भरने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश हैं। इसीलिए सभी विभागों से जानकारी मांगी गई है। दुबई से लौटने के बाद मुख्यमंत्री विभागों के साथ बैठक कर खाली पदों को भरने के लिए अफसरों के साथ चर्चा करेंगे।
- अरूण दीक्षित