औद्योगिक विकास की बढ़ी आस
04-Nov-2019 09:41 AM 1234899
इंदौर की जमीं पर उद्योग सितारे उतरे और ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में मैग्नीफिसेंट एमपी समिट में प्रदेश में निवेश के दीप जले तो उद्योग जगत में उजियारे की उम्मीदें जग गई हैं। इंदौर में हुई मैग्नीफिसेंट एमपी में कितनी राशि के निवेश प्रस्ताव आए हैं और कितने निवेशकों ने यह प्रस्ताव दिए हैं यह भले ही सामने नहीं आया है, लेकिन यह तो तय है कि हजारों करोड़ रुपए के निवेश संबंधी प्रस्ताव मिले हैं। अब सरकार का उद्योग विभाग इन प्रस्तावों पर फैसला लेने के लिए अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि अक्टूबर के अंत तक सरकार दस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रस्तावों को स्वीकृति दे देगी। इसमें सर्वाधिक चार हजार 800 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव जेके सीमेंट सतना का है। इसके लिए आयोजित बैठक में निवेशकों को विशेष सहायता पैकेज देने का भी फैसला लिया जाएगा। दरअसल मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तय किया है कि प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावों को प्रक्रियाओं में नहीं उलझाया जाएगा। निवेश करने के इच्छुक उद्योगपतियों के प्रस्तावों का परीक्षण कर उन्हें सीधे अंतिम निर्णय के लिए निवेश प्रोत्साहन कैबिनेट समिति में रखा जाएगा। प्रमुख सचिव उद्योग डॉ. राजेश राजोरा के मुताबिक सरकार दस हजार 250 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों पर सुविधाएं देने की तैयारी कर रही है। सरकार ने आठ नीतियों में सहायता देने के प्रावधानों में संशोधन किया है। इसमें रोजगार की संभावना को सबसे बड़ा आधार बनाया गया है। मैग्नीफिसेंट एमपी के तहत देशी निवेशकों का दिल जीतने के साथ सरकार ने विदेशी निवेश को भी प्राथमिकता पर रखा है। विदेशी निवेश के करीब 4385 करोड़ के प्रस्ताव मिले हैं, जिनमें से इजराइल कंपनी के निवेश पर प्रारंभिक सहमति बन गई है। इसके अलावा करीब 8 प्रस्ताव और हैं, जिनके लिए अब सरकार विशेष छूट के लिए कस्टमाइज्ड पैकेज बनाकर राहत देगी। हर कंपनी के प्रस्ताव के हिसाब से अलग कस्टमाइज्ड पैकेज रहेगा, क्योंकि इनमें हर कंपनी की मांग अलग है। सरकार इन विदेशी निवेशकों के लिए जमीन से लेकर बिजली, टैक्स और अधोसंरचना तक में सौगात देने की तैयारी कर रही है। उद्योग विभाग के सूत्रों के अनुसार सरकार का फोकस नार्वे सरकार की कंपनी के निवेश पर ज्यादा है, क्योंकि नार्वे का निवेश आने पर अनेक विदेशी कंपनियों की प्रदेश में एंट्री तय हो जाएगी। वजह ये कि नार्वे की कंपनी देश का सबसे बड़ा डाटा सेंटर बनाने का प्रोजेक्ट लेकर आई है। यदि यह डाटा सेंटर मध्यप्रदेश में बन जाता है, तो आईटी हब के रूप में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहचाना जाने लगेगा। इस डाटा सेंटर की क्लाइंट कंपनियों के रूप में अनेक विदेशी कंपनियां पहले से जुड़ी हैं, जो नार्वे सरकार की कंपनी के मध्यप्रदेश में आने के बाद यहां पर डाटा सेंटर में भी ऑटोमैटिक लिंकअप हो जाएंगी। इस कारण कमलनाथ सरकार नार्वे कंपनी के निवेश को लेकर बेहद संजीदा है। इस प्रस्ताव को धरातल पर लाने के लिए अलग से बातचीत का दौर शुरू कर दिया गया है, ताकि इसके प्रस्ताव को फायनल किया जा सके। नार्वे सरकार की कंपनी आष्टा के समीप जगह भी देख चुकी है। विदेशी निवेश के प्रस्ताव को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ अलग से मॉनीटरिंग करेंगे। इसलिए इन प्रस्तावों को लेकर विभाग के स्तर पर भी अलग मॉनीटरिंग की जाएगी। हर हफ्ते मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने रिव्यू करना तय किया है, जिसमें इन प्रस्तावों को अलग से देखा जाएगा। अभी तक करीब नौ विदेशी निवेश के प्रस्ताव मैग्नीफिसेंट में मध्यप्रदेश को मिले हैं। समिट में द इंडिया सीमेंट के एन श्रीनिवासन ने खंडवा व दमोह में 3 हजार करोड़ के निवेश के साथ फैक्ट्री लगाए जाने की घोषणा की है। समिट में श्रीनिवासन ने कहा कि फार्मा सेक्टर के लिए यह प्रदेश माकूल है। हम यहां कुछ समय में 500 करोड़ निवेश कर चुके हैं। हमारी सबसे बड़ी जरूरत पॉवर है। उनके इस बयान पर नजर डालें तो फिर खंडवा के पास बड़ी हिस्सेदारी आ सकती है, क्योंकि मप्र में खंडवा पॉवर हब है। हमारे पास पानी और कोयले से बिजली बनने के बड़े प्रोजेक्ट इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर व दोंगालिया (बीड़) हैं। उम्मीद की जा सकती है कि दमोह से भी अधिक निवेश खंडवा के हिस्से आ सकता है। बढ़ी सरकार की आय 10 माह पहले तक कर्ज और आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे प्रदेश को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार ने जो प्रयास किया है उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। प्रदेश सरकार को आय के सबसे बड़े स्त्रोत वाणिज्यिक कर, आबकारी और पंजीयन एवं मुद्रांक से पिछले साल के मुकाबले अधिक आय वर्ष 2019-20 में अब तक हुई है। 2018-19 में आबकारी से चार हजार 589 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन इस वर्ष अब तक पांच हजार 386 करोड़ रुपए से अधिक आ चुके हैं। वाणिज्यिक कर से पिछले वित्तीय वर्ष में 14 हजार 409 करोड़ मिले थे। इस वर्ष यह आंकड़ा सितंबर तक 14 हजार 709 करोड़ रुपए पहुंच गया है। पंजीयक एवं मुद्रांक के माध्यम से दो हजार 600 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2019-20 में दो हजार 796 करोड़ रुपए सरकार को मिले हैं। वहीं, परिवहन विभाग के माध्यम से होने वाली आय पिछले साल के मुकाबले सितंबर 2019 में लगभग सवा तीन प्रतिशत बढ़ी है। - विशाल गर्ग
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