हुस्न का जाल
05-Oct-2019 06:48 AM 1234832
मप्र की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप का मामला चर्चा में बना हुआ है। पांच महिलाओं ने मिलकर ब्लैकमेलिंग का ऐसा जाल बुना कि उसमें कई राजनेता और अफसर फंसते चले गए। अब इस मामले की जांच के लिए सरकार ने एसआईटी गठित कर दी है। पैसा, पावर, पॉलिटिक्स और ब्यूटी में ऐसा आकर्षण होता है कि इनके लिए व्यक्ति किसी भी हद तक जा सकता है। मध्य प्रदेश में सामने आए हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले की वास्तविकता भी यही है। पैसा, पावर, पॉलिटिक्स और ब्यूटी के चक्रव्यूह से ऐसा जाल बुना गया जिसमें नेता, अफसर, व्यापारी, बिल्डर्स सभी नैतिकता को ताक पर रख फंसते गए। अब खूबसूरत विष कन्याओं के रूपजाल में फंसे ब्यूरोक्रेट्स और सफेदपोश की परते खुलने लगी हैं। प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में हनी ट्रैप कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार एक ऐसे गैंग का खुलासा हुआ है जिसमें शामिल खूबसूरत विष कन्याओं ने अपने हुस्न का जाल बिछाकर मप्र की प्रशासनिक और राजनीतिक वीथिका में ब्लैकमेलिंग का ऐसा काला धंधा फैलाया कि एक के बाद एक ब्यूरोक्रेट्स और नेता फंसते गए और रूपसियां मालामाल होती चली गईं। हनी ट्रैप का यह गोरखधंधा निर्वाध चलता रहता, अगर इंदौर नगर निगम के सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह ने हिम्मत नहीं दिखाई होती। लेकिन विसंगति यह देखिए की हनी ट्रैप मामले में सरकार ने हरभजन सिंह को सस्पेंड कर दिया है, लेकिन उन नौकरशाहों और सफेदपोशों का नाम भी उजागर नहीं किया जा रहा है, जिनके आपत्तिजनक वीडियो और क्लिपिंग इनके साथ मिले हैं। हालांकि इस हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक विशेष जांच टीम (एसआईटी)का गठन कर दिया है। संजीव शमी को एसआईटी का चीफ बनाया गया है। एसआईटी में एसपी, एएसपी, सीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के करीब 12 अफसरों को शामिल किया गया है। पुलिस ने हनी ट्रैप मामले में जिन पांच विष कन्याओं आरती दयाल, श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, बरखा सोनी भटनागर और मोनिका यादव को गिरफ्तार किया है उनकी अदाएं देखने में जितना मोहक है, उनकी करतूतें उतनी ही घातक हैं। अपनी हुस्न की अदाओं से पहले वो लोगों पर डोरे डालती थीं। फिर हुस्न के जाल में फंसते ही शुरू हो जाता था ब्लैकमेलिंग का काला खेल। एक बार जो हनी ट्रैप का शिकार हुआ फिर कहानी बर्बादी पर जाकर ही खत्म होती थी। इन हसीनाओं का मायाजाल इतना घातक था कि इसमें एक बार फंसने के बाद आदमी को निकलना मुश्किल हो जाता था। यही कारण था कि इन रूपशियों के आगे बड़े से बड़े राजनेता और ऊंचे से ऊंचे ओहदे पर बैठा ब्यूरोक्रेट्स नतमस्तक रहता था। ये जैसा चाहती थी उनसे वैसा काम करवाती थीं। गौरतलब है की 17 सितंबर को हरभजन सिंह ने इंदौर पुलिस को एक लिखित आवेदन देकर ब्लैकमेलिंग के काले धंधे का भंडाफोड़ किया था। फरियादी के साथ मिलकर पुलिस ने जाल बिछाया और आरती दयाल निवासी सागर लैंडमार्क भोपाल, दूसरी आरोपी मोनिका यादव और तीसरा आरोपी ओमप्रकाश पोरी को हिरासत में लिया है। गिरफ्तार आरती दयाल की निशानदेही पर पुलिस ने भोपाल में तीन और महिलाओं श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, बरखा सोनी भटनागर को गिरफ्तार किया है। उसके बाद हनी ट्रैप का ऐसा मामला सामने आया जिसने प्रदेश ही नहीं देशभर में तहलका मचा दिया। हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप मामले के खुलासे ने न सिर्फ मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल मचा दी है, बल्कि सिस्टम की खामियों का भी पर्दाफाश कर दिया है। लो प्रोफाइल की इन महिलाओं ने जिस तरह मंत्रालय की वीथिका में अपनी पैठ बनाई यह चौकाने वाली बात है। इन्होंने पॉलिटिक्स का सहारा लेकर प्रदेश की पावर गैलेरी में एंट्री ली और अपनी ब्यूटी की फांस में अफसरों को फंसाकर जमकर पैसा कमाया। अभी तक सामने आए तथ्य के अनुसार, इन महिलाओं का हर कमाऊ विभाग में दखल थी। सूत्र बताते हैं कि कुछ नौकरशाह तो इन पर इस कदर मेहरबान थे कि वे इनके लिए कुछ भी करने से हिचकते नहीं थे। अपने प्रेमजाल में फंसाकर ब्लैकमेल करने वाले इस बड़े गिरोह का पर्दाफाश होते ही अब सियासी और नौकरशाही गलियारे में हलचल मची हुई है, क्योंकि प्रभावशाली लोगों को अपना चेहरा बेनकाब होने का डर सताने लगा है। हनी ट्रैप में जिन महिलाओं के नाम सामने आए हैं, उनके राजनीतिक दलों के रसूखदार नेताओं से लेकर बड़े अफसरों से संबंध जगजाहिर हैं। पुलिस ने अब तक जिन पांच महिलाओं और एक पुरुष को हिरासत में लिया है, वे नेताओं और अफसरों का संरक्षण हासिल करके ही बड़े शहरों तक पहुंचे हैं। पकड़ी गईं युवतियों के राजनीतिक रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने या तो खुद ही राजनीतिक दल में बड़ा पद हासिल कर लिया था या उनके परिवार के सदस्यों को इसमें बड़ी जिम्मेदारी मिल गई थी। कोई एनजीओ बनाकर चांदी काट रही थी तो कोई अफसरों और नेताओं को डरा-धमकाकर। जांच के अनुसार, अपना काम निकालने के लिए हनी ट्रैप गैंग के मेंबर्स बेहद सीधे-साधे दिखने वाले राजनेताओं और अफसरों को टारगेट किया करते थे। जब यह राजनेता और बड़े अफसर इन लोगों के जाल में फंस जाते थे, तब वे अपने को उनके सामने ऐसे पेश करते थे कि उन्हें काम की सख्त जरूरत है। इसके बाद जब यह पक्का हो जाता था कि वह उनके जाल में अब बिलकुल फंस गया है, तब वह उसे हिट करते थे और अपना काम कर लेते थे। इसके बाद शुरू होती है ब्लैकमेल की चीजें। वीडियो बनने के बाद उन राजनेताओं और बड़े अफसरों को क्लिप के जरिये ब्लैकमेल किया जाता था। इसके बल पर वह अपना मनपसंद काम कराते थे। हनी ट्रैप मामले के खुलासें में हर पल चौंकाने वाली जानकारी आ रही है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा 2014 के चुनाव के दौरान भी भाजपा के दो राष्ट्रीय स्तर के नेता और तत्कालीन प्रदेश संगठन मंत्री को दबाब में लाकर एक नेता ने लोकसभा सदस्य प्रत्याशी का टिकट हथियाया था। उक्त लोकसभा क्षेत्र के अन्य कार्यकर्ताओं ने प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को इस मामले में मौखिक और लिखित शिकायत भी दर्ज कराई थी। पार्टी स्तर से इस मामले को दबा दिया गया। शिकायत के साथ दक्षिण राज्यों के सितारा होटलों में पार्टी के नेता द्वारा रंगरेलियां मनाने के सबूत भी दिए गए थे। इस पूरे मामले में भारी भरकम लेन-देन भी किया गया था। उस समय सिर्फ लोकसभा का टिकट दिलाने और इस मामले को दबाने के लिए पार्टी के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता ने लगभग दो करोड़ रुपए वसूले भी थे। हाल ही के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने एक सांसद का टिकट हनी ट्रैप मामले में उलझने के चक्कर में काट दिया था। वहीं हनी ट्रैप मामले में वसूली के प्रयास करते हुए गिरफ्त में आई एक अपराधी का टिकट अश्लील वीडियो क्लिपिंग सामने आने के बाद काट दिया गया था। 5 हार्डडिस्क में सभी की करतूत मध्य प्रदेश के राजनीतिक, प्रशासनिक और व्यवसायिक जगत में हलचल मचा देने वाली हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप का राज उन पांच हार्डडिस्क में है, जो आरोपी युवतियों से बरामद हुई हैं। इन हार्ड डिस्क में पूर्व और मौजूदा सरकार के कई नेताओं-मंत्रियों के नाम हैं। कई ब्यूरोक्रेट्स भी हनी ट्रैप हुए हैं। हार्डडिस्क राज उगल चुकी हैं। ये महिलाएं अफसर हों या नेता किसी को नहीं छोड़ती थीं। बताते हैं कि एक पूर्व सांसद ने तो इनकी ब्लैकमेलिंग से तंग आकर सुसाइड तक करने की कोशिश की थी। इन महिलाओं के कई नेताओं से भी संबंध सामने आए हैं। इन महिलाओं का कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के नेताओं से सीधा संपर्क था। वे बेरोक-टोक मंत्रालय में अफसरों और मंत्रियों से मिलने जाती थीं। जांच में सामने आया है कि श्वेता जैन के भाजपा के तीन पूर्व मंत्रियों और इंदौर के एक विधायक से अच्छे संबंध रहे हैं। भोपाल में वो पन्ना से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के बंगले में किराए से रहती थी। टिकट के लिए जुगाड़ सात राज्यों तक फैला है ब्लैकमेलिंग का धंधा मप्र में हनी ट्रैप मामले में गिरफ्तार महिला आरोपियों ने प्रदेश के बाहर भी नेता, अफसर और बिजनेसमैन को शिकार बनाया है। अभी तक पड़ताल में यह तथ्य पुलिस को मिले हैं कि आरोपी महिलाओं ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, उप्र और हिमाचल प्रदेश के शिमला में भी लोगों केा अपना शिकार बनाया है। हालांकि मप्र पुलिस की ओर से इस संबंध में अधिकृत रूप से कुछ भी खुलासा नहीं किया गया है। गिरफ्तार महिलाओं से अलग-अलग पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। अब जांच का जिम्मा एसआईटी के पास आ गया है। एसआईटी ने ड़ताल शुरू कर दी है। अभी तक जो वीडियो क्लिपिंग हाथ लगी है, उनके आधार पर उन होटल, फार्म हाउस की भी पड़ताल की जाएगी, जहां वे बनाई गई है। कुछ क्लिपिंग ट्रेन की भी बताई जा रही है। हनी ट्रैप मामले में गिरफ्तार महिलाओं ने दिल्ली से दूसरे राज्यों के नेता अफसरों से पहचान बनाई। मप्र के नेताओं के जरिए इन महिलाओं ने सांसद में भी प्रवेश किया। कई मंत्रालयों में भी पहुंच बनाई। गिरोह की मुख्य सरगना ने 2013 से 2016 तक दिल्ली में ज्यादा वक्त बिताया। यहीं से शिमला, चंडीगढ़, आगरा, मुंबई, पुणे, रायपुर, बिलासपुर, जयपुर, उदयपुर शहरों के लिए नेता, अफसर एवं अन्य के साथ सफर किया। हनी टै्रप मामले में गिरफ्तार महिलाओं में से मोनिका यादव कम उम्र की है। वह राजगढ़ से भोपाल आकर पढ़ाई कर रही थी। वह हाल ही में गिरोह से जुड़ी। खबर है कि उसे सरकारी गवाह बनाया जा सकता है। अफसरों की एंट्री वाला रजिस्टर भी हो गया गायब हनी ट्रैप के मामले में पुलिस ने कुछ होटलों के अलावा रिसोर्ट और क्लबों की भी जांच-पड़ताल शुरू की है, जहां पर इन लड़कियों का रसूखदारों के साथ आना-जाना रहा और देर रात की होने वाली पार्टियों में भी ये शामिल रही। इनमें भोपाल का एक चर्चित क्लब भी शामिल है, जहां नेताओं, मंत्रियों और अफसरों की भीड़ हमेशा रहती है। श्वेता जैन सहित इस कांड में लिप्त महिलाओं का भी इस क्लब में लगातार आना-जाना रहा है। अभी क्लब की सदस्यता से श्वेता जैन और उसके पति को बाहर भी किया गया। सूत्रों का कहना है कि इस क्लब में सभी आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी आते हैं। लिहाजा कुछ समय की एंट्री के रजिस्टर गायब हो गए हैं, ताकि यह पता ना लग सके कि किस अफसर के साथ कौन-सी महिला कब आई। जांच में जुटी एसआईटी मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया है। एसआईटी के मुखिया अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी के नेतृत्व में टीम जांच में जुट गई है। टीम को पता लगाना है कि हनी ट्रैप के जरिये कितने नेता ब्लैकमेल किए गए हैं। इस जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि एसआईटी यह भी पता करेगी कि पैसे का भुगतान कैसे किए गया। नकद में किया गया है तो पैसे के स्रोत पर जांच की जाएगी। एसआईटी सबसे पहले बीजेपी के पूर्व सांसद के मामले में जांच कर रही है, जिनसे हनी ट्रैप गिरोह ने कथित रूप से ब्लैकमेल के जरिये एक करोड़ रुपए लिए हैं। भाजपा और संघ के भीतर भी गंभीर मंथन शुरू मप्र के हनी ट्रैप ने राजनीतिक गलियारों में हड़कम्प मचा रखा है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक इस हनी ट्रैप का हल्ला है और भाजपा के साथ-साथ संघ के भीतर भी इस पर गंभीर मंथन शुरू हो गया है। दरअसल पूर्व में भी भाजपा और संघ से जुड़े कई बड़े पदाधिकारियों की सीडी सामने आ चुकी है। अभी पिछले दिनों ही इंदौर में पदस्थ एक संघ के पदाधिकारी की सीडी सामने आई, उसके पूर्व तत्कालीन शिवराज सरकार के मंत्री राघवजी की चर्चित सीडी भी सामने आई थी। अब इस हनी ट्रैप के मामले में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं की खबरों के चलते मंथन शुरू हो गया है और इस मामले की भाजपा और संघ द्वारा अपने-अपने स्तर पर अंदरूनी जांच भी करवाई जा रही है, ताकि समय रहते इसमें लिप्त चेहरों को हाशिए पर फेंका जा सके। - विकास दुबे
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