05-Oct-2019 06:05 AM
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वन क्षेत्र में निवासरत आदिवासियों पर हमेशा पलायन की तलवार लटकी रहती है। इस बार पश्चिमी मंडला वन मंडल के वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर खतरा मंडरा रहा है।
मध्यप्रदेश का वन विभाग जबलपुर के नजदीक पश्चिम मंडला वनमंडल के जंगल में एक अभयारण्य बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके संबंध में वन विभाग ने वन मुख्यालय भोपाल को प्रस्ताव भेजा है। इस अभयारण्य का नाम राजा दलपत शाह वन्यप्राणी अभ्यारण्य रखने की योजना है। यहां अन्य जंगली जानवरों के अलावा बाघों का संरक्षण किया जाएगा। भोपाल मुख्यालय ने गांवों की शिफ्टिंग, लकड़ी और लघु वनोपज के उत्पादन के आर्थिक अनुमान की रिपोर्ट मांगी है, लेकिन इस क्षेत्र में रहने वाले वनवासियों को योजना की वजह से विस्थापन का खतरा पैदा हो गया है। खतरे को भांपते हुए इलाके के आदिवासियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। प्रस्तावित अभ्यारण्य क्षेत्र में 55 राजस्व और 15 वनग्राम शामिल हैं।
मप्र के अभयारण्यों में बाघों की बढ़ती संख्या और उनके बीच होते संघर्ष को देखते हुए वन विभाग जबलपुर वन सर्किल के पश्चिम मंडला वन मंडल में नया वन्यप्राणी अभयारण्य बनाने की तैयारी कर रहा है। जानकारी के अनुसार नेशनल पार्कों की कैरिंग कैपेसिटी फुल होने से संरक्षित जंगल से बाहर जाने वाले बाघों को नया ठिकाना उपलब्ध कराने के लिए यह कदम उठाया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश के लगभग सभी नेशनल पार्कों में वन्य प्राणियों की तादाद लगातार बढ़ रही है। अक्सर बाघों को पार्कों के बाहर घूमने के मामले सामने आते रहते हैं।
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव में पश्चिम मंडला वनमंडल के जबलपुर से लगे चार रेंज बरेला, बीजाडांडी, काल्पी और टिकारिया के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर 35 हजार किमी जंगल को अभयारण्य घोषित करने की योजना है। इन क्षेत्रों में 55 राजस्व और 15 वनग्राम शामिल हैं। भोपाल मुख्यालय ने गांवों की शिफ्टिंग, लकड़ी और लघु वनोपज के उत्पादन के आर्थिक अनुमान की रिपोर्ट मांगी है। जबलपुर वन सर्किल के पूर्व मंडला में फैन अभयारण्य है। इसका संचालन कान्हा नेशनल पार्क प्रबंधन करता है। नया अभयारण्य स्वतंत्र रूप से जबलपुर वन सर्किल का पहला अभयारण्य होगा। संरक्षित क्षेत्र में पेड़ों की कटाई और लघु वनोपज का संग्रहण प्रतिबंधित है। जंगल में शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या बढ़ाने के लिए पौधे और घास की प्रजातियां बढ़ाने के साथ पर्याप्त जलस्रोत बनाए जाएंगे। इस क्षेत्र में तेंदुए, लकड़बग्घा, चीतल, सांभर, खरगोश, जंगली सुअर, नीलगाय आदि वन्य प्राणी हैं।
लेकिन प्रस्तावित अभयारण्य क्षेत्र के गांवों में इसका विरोध शुरू हो गया है। प्रभावित इलाके की लाबर चरगांव की सरपंच गीता तेकाम ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी आसपास के गांव के सरपंचों को रोजगार का झांसा देकर उनके सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करा रहे हैं। निवास विधानसभा के विधायक अशोक मर्सकोले के पास भी वन मंडल के अधिकारियों ने सहमति के लिए पत्र लिखा था। हालांकि उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और वन विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर सहमति देने से साफ इनकार कर दिया।
इलाके में बरगी बांध के विस्थापितों के बीच काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क और 25 अभयारण्य हैं और इस वजह से 94 गांव के 5 हजार 460 परिवारों बहुत पहले विस्थापित किये जा चुके हैं। इस राष्ट्रीय पार्क में अब में कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के 10 हजार 438 परिवारों को हटाए जाने की कार्यवाही जारी है। विस्थापन से आदिवासी अपनी आजीविका औऱ वन उपजों से दूर हो जाएंगे जिससे उनका चौतरफा नुकसान होगा।
नारायणगंज के जनपद उपाध्यक्ष भूपेन्द्र बरकड़े कहते हैं कि सरकार ने कभी उनके पुरखा और शहीदों को सम्मान नहीं दिय़ा, लेकिन जब विस्थापन, मौत और तकलीफ देना है तो राजा दलपत शाह के नाम पर अभ्यारण्य बनाने की योजना बन रही है। बरकड़े ने सवाल उठाया कि क्या आदिवासी समुदाय विस्थापित होने के लिए जन्म लिया है? तिनसई गांव के सरपंच मदन सिंह बरकड़े ने बताया कि आदिवासी इस फैसले के खिलाफ हैं और गांव-गांव में में इस अभ्यारण्य की जानकारी देकर, इसके विरोध में विरोध में प्रस्ताव पारित कराया जाएगा। आदिवासियों ने फैसला किया है कि सभी गांवों में जाकर इसके विरोध में सभाएं की जाएंगी और 18 सितम्बर से अभयारण्य के खिलाफ विरोध तेज होगा।
श्योपुर में नई सेंचुरी खोलने की तैयारी
चंबल संभाग के श्योपुर जिले में करोड़ो रुपए खर्च कर खोले गए कूनो नेशनल पार्क में अभी तक एशियाई शेर आए नहीं है। इसी बीच जिले में एक और नई सेंचुरी खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। जिले में दूसरी नई सेंचुरी सामान्य वन मंडल के श्योपुर और बुढेंरा रेंज के जंगल में खुलेगी। इसके लिए सामान्य वन मंडल ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। बताया गया है कि नई सेंचुरी का प्रस्ताव जल्द ही शासन को भेजा जाएगा। जिले में नई सेंचुरी खुलने के बाद श्योपुर, चंबल संभाग का ऐसा पहला जिला बन जाएगा, जहां नेशनल पार्क और सेंचुरी दोनों होंगे। वन विभाग के सूत्रों की माने तो श्योपुर जिले में दूसरी नई सेंचुरी सामान्य वन मंडल के श्योपुर और बुढेंरा रेंज के जंगल में खुलेगी। इसके लिए 190 वर्ग किलोमीटर का जंगल चिह्नित कर लिया गया है। सेंचुरी के लिए चयनित क्षेत्र में जंगल घना है। जहां वन्य प्राणी भी विचरण करते है। इसलिए यहां नई सेंचुरी जल्द विकसित हो जाएगी। हालांकि पहले सेंचुरी के लिए खाड़ी रेंज के जंगल को भी प्रस्ताव में शामिल किया गया। मगर लेकिन बीच में गांव आने के कारण सेंचुरी के लिए खाड़ी रेंज के जंगल को प्रस्ताव से हटा दिया।
- धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया