05-Oct-2019 06:04 AM
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पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते मूल्य आने वाले समय में बड़ी समस्या बन सकते हैं। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इलेक्ट्रिक बसें चलाने की सलाह दी है। सरकार का कहना है कि आने वाले समय में सभी वाहन इलेक्ट्रिक हो जाएंगे।
प्रदूषण से निपटने के लिए देश में इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को लेकर काम तेजी से चल रहा है। कार निर्माता कंपनियां भी अब इलेक्ट्रिक वाहनों को लॉन्च करने में लगी हुई हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के संबंध में देश के केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने एक बयान में बताया कि भारत में अगले दो सालों में सभी बसें इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट हो जाएंगी। नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि जो लोग इलेक्ट्रिक वाहनों में शिफ्ट नहीं करेंगे, उनके पास एथनॉल, मेथनॉल और बायो-सीएनजी से भी बसों को चलाने का विकल्प होगा। गडकरी अपने एक बयान में पहले ही बता चुके हैं कि लोगों पर इलेक्ट्रिक वाहनों का नियम जबरदस्ती थोपा नहीं जा सकता। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी नेचुरल प्रोसेस से चलन में आएगा। ऐसे में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
पिछले 10 महीनों से भारतीय ऑटो मोबाइल सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है। लेकिन नितिन गडकरी इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थक रहे हैं। लेकिन नीति आयोग के पेट्रोल और डीजल से चलने वाले टू-व्हीलर और थ्री व्हीलर वाहनों पर रोक लगाने के प्रस्ताव को लागू करने के प्रस्ताव पर रोक भी लगा चुके हैं। जानकारी के लिए बता दें कि सरकारी थिंक-टैंक नीति आयोग ने इस साल जून में एक सुझाव दिया था जिसमें पेट्रोल और डीजल से चलने वाले सभी टू-व्हीलर वाहनों को साल 2023 और थ्री व्हीलर वाहनों पर साल 2025 तक पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की समय सीमा तय की थी।
प्रदूषण को कम करने के लिए भारत सरकार ने इस बड़े फैसले लिए हैं जिनमें से एक फैसला इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रमोट करने का जिनपर सरकार सब्सिडी भी दे रही है। आपको बता दें कि इलेक्ट्रिक कार और बाइक्स को प्रमोट करने के बाद अब सरकार की नजर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को इलेक्ट्रिक प्लेटफॉर्म से रिप्लेस करने की है। दरअसल केंद्रीय सड़क परिवहन एंव राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत में अगले दो सालों में सभी बसें इलेक्ट्रिक प्लेटफॉर्म पर लॉन्च की जाएंगी।
सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही नहीं बल्कि, एथनॉल, मेथनॉल और बायो-सीएनजी से चलने वाले वाहनों का विकल्प भी लोगों के सामने होगा क्योंकि वाहनों को इलेक्ट्रिक प्लेटफॉर्म पर लाने में अभी कुछ समय लग सकता है। ऐसे में जो लोग इलेक्ट्रिक वाहन नहीं खरीद सकते हैं वो इन वैकल्पिक ईंधनों से चलने वाले वाहनों पर स्विच कर सकते हैं। गडकरी अपने एक बयान में पहले ही बता चुके हैं कि लोगों पर इलेक्ट्रिक वाहनों का नियम जबरदस्ती थोपा नहीं जा सकता। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी नेचुरल प्रोसेस से चलन में आएगा। ऐसे में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
आपको बता दें कि पिछले कई सालों के मुकाबले इस साल इलेक्ट्रिक वाहनों को भारत में काफी बड़े पैमाने पर प्रमोट किया गया है। यहां तक की इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दी जा रही है, साथ ही जीएसटी भी कम कर दिया गया है। भारत की एक बड़ी आबादी हर रोज पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करती है ऐसे में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को इलेक्ट्रिक प्लेटफॉर्म से रिप्लेस किया जाएगा। इसमें जितनी भी बसें हैं उन्हें सबसे पहले इलेक्ट्रिक प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा जिससे प्रदूषण के स्तर को बढऩे से रोका जा सके।
इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई प्रयास कर रही है। साथ ही अब लोगों में इलेक्ट्रिक गाडिय़ों का क्रेज धीरे-धीरे बढ़ रहा है। सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक, इलेक्ट्रिक गाडिय़ों की बैटरी के लिए मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी का जल्द ऐलान हो सकता है। इन बैटरियों पर सब्सिडी और कच्चे माल के इंपोर्ट में राहत भी संभव है। कैबिनेट के लिए बैटरी मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। नीति आयोग, सड़क परिवहन मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच इस पॉलिसी पर चर्चा हुई है। शुरुआती प्रस्ताव के मुताबिक, लिथियम आयन बैटरी पर सब्सिडी दी जाएगी। प्रति किलोवाट ऑवर करीब 2000 रुपए की सब्सिडी देने का प्रस्ताव है। कच्चे माल के इम्पोर्ट पर ड्यूटी में भी छूट मिल सकती है।
इसके अलावा नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी पर भी जल्द मंजूरी संभव है। वाणिज्य मंत्रालय ने कैबिनेट को पॉलिसी भेजी है। दो पैनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। नई पॉलिसी के तहत एक सेंट्रल पोर्टल बनेगा। पोर्टल से कंपनियों को सभी सॉल्यूशंस मिलेंगे।
अगस्त में दी थी 5000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की मंजूरी
उल्लेखनीय है कि इस साल अगस्त में केंद्र सरकार ने देश के 64 शहरों में 5000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार इन इलेक्ट्रिक बसों की खरीदारी में राज्य सरकार को वित्तीय सहायता देगी। इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए केंद्र की तरफ से 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल ही में फेम-2 स्कीम लॉन्च की है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के चलाने को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है। सरकार ने फेम-2 स्कीम के तहत अगले तीन साल में 10 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी का प्रावधान किया है। देश में फेम-2 इस साल 1 अप्रैल से लागू हुआ है। योजना के तहत दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और अहमदाबाद को 300-300 बसें मिलेंगी। इसमें से 400 बसें इंटर सिटी कनेक्टिविटी के लिए होगीं, जबकि 100 बसों को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की लास्ट माइल कनेक्टिविटी मिलेगी।
- कुमार विनोद