कानूनी फंदा
04-Oct-2019 10:27 AM 1234848
चुनावी बेला में एनसीपी के प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार कानूनी फंदे में फंस गए हैं। इस बार एनसीपी हर हाल में प्रदेश में सरकार बनाने की जोड़-तोड़ में लगी थी कि उसके दिग्गजों पर केस दर्ज हो गया है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। उससे पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार समेत 70 अन्य लोगों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। इस घोटाले का नाम है महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया था कि शरद पवार और अजीत पवार समेत 70 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने माना था कि इन सभी आरोपियों को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी। शरद पवार और जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य डायरेक्टर के खिलाफ बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। आरोपियों में बैंक की 34 शाखाओं के अधिकारी भी शामिल हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस एसके शिंदे की बेंच ने 22 अगस्त को कहा था कि आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य हैं। आर्थिक अपराध शाखा पांच दिनों में इनके खिलाफ केस दर्ज करे। शरद पवार, जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य निदेशकों ने कथित तौर पर चीनी मिल को कम दरों पर कर्ज दिया था। डिफॉल्टर की संपत्तियों को सस्ती कीमतों पर बेच दिया था। यह भी आरोप है कि इन संपत्तियों को बेचने, सस्ते लोन देने और उनका दोबारा भुगतान नहीं होने से बैंक को 2007 से 2011 के बीच करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार उस समय महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर थे। नाबार्ड ने महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के तहत इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पवार, हसन मुश्रीफ, कांग्रेस नेता मधुकर चव्हाण और अन्य लोगों को बैंक घोटाले का आरोपी बनाया था। इस पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर मुझे जेल जाना पड़े तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। उनका कहना है कि मुझे प्रसन्नता होगी क्योंकि मुझे यह अनुभव कभी नहीं मिला। अगर किसी ने मुझे जेल भेजने की योजना बनाई है, तो मैं इसका स्वागत करता हूं। पवार ने व्यंग्यात्मक लहजे में केंद्रीय एजेंसी को उस बैंक से संबंधित मामले में नाम घसीटने के लिए धन्यवाद दिया, जिसके वह ना तो सदस्य हैं और न ही किसी भी तरह से इसके निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल हैं। सत्तारूढ़ भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने हालांकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि उसने नियमों और प्रक्रिया के अनुसार कदम उठाए हैं। पवार का कहना है कि अगर उन्होंने मेरे खिलाफ भी मामला दर्ज किया है, तो मैं इसका स्वागत करता हूं। मुझे तब आश्चर्य होता जब राज्य के विभिन्न जिलों में अपनी यात्राओं के दौरान मुझे मिली प्रतिक्रिया के बाद भी मेरे खिलाफ ऐसी कार्रवाई न की जाती। इस बीच आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने इस मामले में राकांपा नेता अजीत पवार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए दावा किया कि यह किसानों के चीनी सहकारी आंदोलन का व्यापक विनाश था। इससे पहले अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के तुल्य मानी जाने वाली प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की गई है। यह मामला मुंबई पुलिस की एफआईआर के आधार पर दर्ज किया है जिसमें बैंक के पूर्व अध्यक्ष, महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और सहकारी बैंक के 70 पूर्व पदाधिकारियों के नाम हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी की एफआईआर में शरद पवार का नाम दर्ज किया गया है। यह मामला ऐसा समय दर्ज किया गया है जब महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि आरोपियों को एजेंसी द्वारा जल्द ही उनके बयान दर्ज करने के लिये समन किया जाएगा। नाबार्ड की रिपोर्ट में शरद और अजीत पर दर्ज हैं ये आरोप? मामले को लेकर नाबार्ड व महाराष्ट्र सहकारिता विभाग की ओर से दायर की गई रिपोर्ट में बैंक को हुए नुकसान के लिए राकांपा नेता अजीत पवार व बैंक के दूसरे निदेशकों को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में कहा है कि बैंक अधिकारियों की निष्क्रियता व उनके द्वारा लिए गए निर्णय के चलते बैंक को काफी नुकसान हुआ है। नाबार्ड की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक चीनी मिलों को कर्ज देने में बड़े पैमाने पर बैंक के नियमों का उल्लंघन हुआ है। तत्कालीन समय में रांकपा नेता अजीत पवार बैंक के निदेशक थे। नाबार्ड की इस रिपोर्ट के बावजूद कोई केस नहीं दर्ज किया गया था। इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने इस मामले की शिकायत आर्थिक अपराध शाखा में की थी। - बिन्दु माथुर
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