अब फर्राटा भरेगा चीता!
05-Sep-2019 08:04 AM 1234863
13 साल बाद टाइगर स्टेट का दर्जा पुन: पाने वाले मप्र में अब चीता फर्राटा भरेगा। चीतों की प्रजाति पर छाए संकट को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की ओर से भी चीतों को अफ्रीका से लाकर भारत में बसाने की सहमति दे दी गई है। इससे अब अफ्रीकी देश नामीबिया से लाकर कुछ चीतों को प्रयोग के तौर पर प्रदेश के नौरादेही अभयारण्य में बसाने की संभावना बढ़ गई है। उधर, इस मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस प्रयोग के खिलाफ नहीं है। लगभग सत्तर साल पहले भारत से विलुप्त चीता आने वाले दिनों में फिर से फर्राटे भरता हुआ दिखाई पड़ सकता है। इस मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस प्रयोग के खिलाफ नहीं है। सूखी जमीन पर चीता सबसे तेज दौडऩे वाला प्राणी है। भारत के बड़े हिस्से पर कभी चीते उन्मुक्त होकर फर्राटा भरा करते थे। वे अपनी रफ्तार से काली मृगों को भी चौंका देते थे। लेकिन, बड़े पैमाने पर उन्हें पालतू बनाए जाने, शिकार किए जाने और पर्यावास के नष्ट होने के चलते वे भारत से विलुप्त हो गए। माना जाता है कि 1947 में ही अंतिम तीन चीते छत्तीसगढ़ की कोरिया स्टेस में मार गिराए गए थे। जबकि, 1952 में उन्हें भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया। दुनिया भर में बड़ी बिल्लियों की आठ प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें से दो बड़ी बिल्लियां यानी जेगुआर और प्यूमा केवल अमरीकी महाद्वीप में पाई जाती हैं। जबकि, शेर (लॉयन), बाघ (टाइगर), तेंदुआ (लेपर्ड), चीता (चीता), हिम तेंदुआ (स्नो लेपर्ड) और बादली तेंदुआ (क्लाउडेड लेपर्ड) एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते हैं। भारत की जैव विविधता कई मायने में अनूठी है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर बाघ और शेर दोनों ही पाए जाते हैं। जबकि, यहां पर एशिया-अफ्रीका में पाई जाने वाली बड़ी बिल्लियों की छहों प्रजातियां कभी पाई जाती थीं। लेकिन, वक्त की मार के साथ इनमें से चीता विलुप्त हो गया। चीता भारत के जीवन में किस कदर रचा-बसा था, यह इससे समझा जा सकता है कि अभी भी हमारी भाषा में चीता शब्द तमाम तरह से प्रगट होता है और अक्सर ही लोग तेंदुआ को भी चीता कह देते हैं। यह भी माना जाता है कि चीते के शरीर पर पड़ी काली चित्तियों के चलते ही उसका नाम चीता पड़ा है। नाक के पास पड़ी काली धारियों जिसे अश्रु रेखा या टियर लाइन कहा जाता है, के जरिए चीतों को तेंदुए से अलग करके पहचाना जा सकता है। इसके अलावा, चीते के शरीर पर काले रंग की चित्तियां होती हैं जबकि तेंदुआ के शरीर पर पंखुडिय़ों जैसे निशान होते हैं। हाल के समय में चीता एकमात्र ऐसा बड़ा जीव है जो भारत से विलुप्त हुआ है। इन सभी तथ्यों की रोशनी में सबसे पहले वर्ष 2009-10 में चीते को दोबारा भारत में बसाने के प्रयास शुरू किए गए थे। उस समय भी अफ्रीका से कुछ चीते लाकर यहां पर बसाने की योजना थी। इसके लिए तीन जगहों पर शुरुआती सर्वेक्षण किए गए थे और उन्हें चीते की रिहायश के लिए एकदम मुफीद माना गया था। इसमें मध्यप्रदेश के नौरादेही और कूनोपालपुर अभयारण्य और राजस्थान के शाहगढ़ शामिल है। चीते को भारत में दोबारा बसाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही थी और तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश नामीबिया में भारत लाए जाने वाले चीतों को देख भी आए थे। लेकिन, गिर के शेरों की एक आबादी को गुजरात से बाहर बसाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस ने वर्ष 2012-13 में कुछ ऐसा रुख अख्तियार किया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना को स्थगित कर दिया। लेकिन एक बार इस दिशा में फिर कदम बढ़ाया जा रहा है। -धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया
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