05-Sep-2019 07:42 AM
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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी मुश्किलों में पड़ सकते हैं। अजीत जोगी की जाति मामले में जांच कर रही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कमेटी की रिपोर्ट में अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना गया है। ये दूसरी कमेटी है, जिसने पूर्व सीएम अजीत जोगी को आदिवासी मानने से इनकार किया है। मिली जानकारी के मुताबिक आदिम जाति विभाग के सचिव डीडी सिंह की अध्यक्षता वाली ये हाई पावर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप भी दी है। इससे पहले साल 2018 में आईएएस रीना बाबा कंगाले की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना था।
सूत्रों के मुताबिक, डीडी सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अजीत जोगी को आदिवासी मानने से इनकार करने के साथ ही जोगी के सभी जाति प्रमाण पत्रों को भी निरस्त कर दिया है। कमेटी ने यह भी तय किया है कि जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं दी जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 23 (3) एवं 24 (1) के प्रावधानों के तहत कार्यवाही के लिए बिलासपुर कलेक्टर को निर्देशित भी किया है। वहीं नियम 2013 के नियम 23(5) के प्रावधानों के तहत उप पुलिस अधीक्षक को प्रमाण पत्र जब्त करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि यदि इस रिपोर्ट पर कार्रवाई होती है तो मारवाही से अजीत जोगी का निर्वाचन समाप्त किया जा सकता है। क्योंकि वो विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित है।
बता दें कि पिछले दिनों बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अजीत जोगी की जाति से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया था। इस याचिका में जोगी ने हाईपावर कमेटी के समक्ष पेश होने के नोटिस को खारिज करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में अजीत जोगी को कमेटी के समक्ष एक महीने के भीतर उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करने को कहा था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अजीत जोगी ने 21 अगस्त 2019 को हाईपावर कमेटी को अपना जवाब प्रस्तुत किया था।
गौरतलब है कि संतकुमार नेताम की शिकायत के बाद जोगी के मामले को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अजीत जोगी को नोटिस जारी किया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग को जाति का निर्धारण करने, जांच करने और फैसला देने का अधिकार नहीं है। इस फैसले को लेकर संतकुमार नेताम सर्वोच्च न्यायालय भी गए थे, जिस पर नेताम की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 13 अक्टूबर, 2011 को फैसला लिया था कि सरकार हाईपावर कमेटी बनाकर अजीत जोगी के जाति प्रकरण का निराकरण करे।
जोगी के जाति मामले के लिए गठित कमेटी के छह सदस्यों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य सचिव रीना बाब साहब कंगाले, सदस्य जीआर चुरेंद्र, एस.आर. टंडन और जीएम झा थे। कमेटी ने जांच के बाद 27 जून 2017 को आदेश जारी कर अजीत जोगी के समस्त प्रमाणपत्रों को निरस्त कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ अजीत जोगी हाईकोर्ट गए, जहां कोर्ट ने हाईपावर कमेटी अधिसूचित न होने की वजह से इसे विधि अनुरूप नहीं माना था। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने 21 फरवरी 2018 को फिर से डीडी सिंह की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी का पुनर्गठन किया।
छानबीन समिति पर जनता कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष ने राजनीति प्रेरित बताया है। जनता कांग्रेस के संचार अध्यक्ष अहमद रिजवी ने सीएम भूपेश बघेल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि सीएम भूपेश बघेल अजीत जोगी के राजनीतिक करियर खत्म करना चाहते हैं। साथ ही कहा था कि जाति छानबीन समिति कानून के हिसाब से नहीं बल्कि सीएम भूपेश बघेल के इशारों पर काम कर रही है।
-रायपुर से टीपी सिंह