अधूरे वादे
03-Aug-2019 08:21 AM 1234904
संन्यासी से सिंहासन तक पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो साल पहले जिस अंदाज से अपने शासन की शुरूआत की थी, वह तेवर आज भी जारी है। लेकिन उनका यह तेवर प्रदेश की जनता को रास नहीं आ रहा है। इसकी मूल वजह है मौखिक और कागजी घोषणाओं का अंबार। मुख्यमंत्री हर दूसरे दिन एक घोषणा कर रहे हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हो रहा है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री ने अपने करीब दो साल के शासनकाल में साढ़े तीन सौ से अधिक छोटी-बड़ी घोषणाएं करके मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पछाड़ दिया है। लेकिन उनकी अधिकांश घोषणाएं आज भी अधर में हैं। अब प्रदेश की जनता उनसे सवाल पूछ रही है कि योगी महाराज आपके वादे कब पूरे होंगे। दरअसल, लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद प्रदेश भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अति उत्साहित हैं। लेकिन यह सभी जानते हैं कि लोकसभा में भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण जीत मिली है। प्रदेश में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। न अपराधों पर अंकुश लगा है और न ही कानून व्यवस्था दुरूस्त हो पाई है। कानून-व्यवस्था के नाम पर आमजन को प्रताडि़त किया जा रहा है। अपराधों पर अंकुश लगाने की आड़ में कई निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। इसलिए प्रदेश सरकार के प्रति जनता में आक्रोश है। प्रदेश में आगामी दिनों में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इसके लिए भाजपा के केंद्रीय संगठन ने प्रदेश सरकार की परफॉर्मेंस का सर्वे करवाया है। यह रिपोर्ट मोदी और अमित शाह के पास पहुंच गई है। बताया जाता है कि इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मुख्यमंत्री और सरकार द्वारा की गई ताबड़तोड़ घोषणाओं के पूरा नहीं होने पर जनता में आक्रोश है। सूत्र बताते हैं कि वैसे तो यह सर्वे पूरे प्रदेश में किया गया है, लेकिन फोकस उपचुनाव वाले क्षेत्रों पर रहा। इन क्षेत्रों के लोगों का कहना था कि मुख्यमंत्री ने जो ताबड़तोड़ घोषणाएं की हैं उनका हिसाब हमें चाहिए। सर्वे रिपोर्ट से असंतुष्ट मोदी और शाह को योगी का जातिवादी कार्ड भी पसंद नहीं आया है। यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने के फैसले को केंद्र सरकार ने गलत कदम करार दिया है। जिन जातियों को एससी कैटेगरी में शामिल किया गया है, उनमें निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा, गौड़ इत्यादि शामिल हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि किसी जाति को एससी कैटगरी में शामिल करने का अधिकार संसद का है। यूपी सरकार का यह फैसला असंवैधानिक है। इससे प्रदेश सरकार बैकफुट पर आ गई है। सरकार का दावा है की प्रदेश में कानून-व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए पिछले दो साल में 3,500 से अधिक मुठभेड़ हुई हैं, इस दौरान 8,000 अपराधी गिरफ्तार, 1,000 घायल, 73 मारे गए हैं जबकि 12,000 अपराधियों ने समर्पण किया है लेकिन सच तो यह है कि एनकाउंटर को लेकर सरकार लगातार सवालों के घेरे में है। क्योंकि विपक्ष और मुठभेड़ में मारे गए कुछ लोगों के परिजनों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया। उधर, सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में महिलाओं, बच्चियों के प्रति अपराध का ग्राफ तेजी के साथ बढ़ रहा है। सरकार ने महिलाओं, बच्चियों की रक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड बनाया था जो पुलिस की गुंडागर्दी में तब्दील होकर रह गया है। अब महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए हर जिले में बालिका सुरक्षा जागरूकता टीम बनेंगी, जो बालिका सुरक्षा को लेकर अभियान चलाएगी। विधानसभा में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल करने वाली भाजपा ने 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई। जोश और उत्साह से लबरेज सरकार ने शपथ लेने के साथ ही घोषणापत्र में किए गए तमाम वादों की समय सीमा तय कर दी। यही नहीं मुख्यमंत्री ताबड़तोड़ घोषणाएं करने लगें। लेकिन दो साल के दौरान की गई उनकी अधिकांश घोषणाएं या तो अधूरी हैं या अधर में हैं। अब जनता उन घोषणाओं की स्थिति का हिसाब मांग रही है। -मधु आलोक निगम
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