03-Aug-2019 07:53 AM
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बोरिस जॉनसन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी कैबिनेट में भारतीय मूल के तीन लोगों को शामिल किया। ये हैं प्रीति पटेल, ऋषि सुनक और आलोक शर्मा। प्रीति पटेल को गृह मंत्री बनाया गया है। ऋषि सुनक इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं जिन्हें ट्रेजरी विभाग में मंत्री बनाया गया है। वो वित्त मंत्री साजिद जावेद के अधीन काम करेंगे। आलोक शर्मा भी मंत्री बनाए गए हैं। जॉनसन ने उन सभी लोगों का प्रमोशन किया जिन्होंने ब्रेग्जिट मुद्दे पर उनका साथ दिया था।
भारतीय मूल की प्रीति पटेल को मिला हाई प्रोफाइल गृह मंत्रालय। सिर्फ इस नजरिये से देखना कि ये दक्षिण एशियाई या भारतीय मूल के हैं तो ये है तो सच लेकिन बोरिस जॉनसन ने उन्हें इस वजह से अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया है। जितने लोगों ने बोरिस जॉनसन के खिलाफ कोई बयान दिया हो या उनका विरोध किया हो, उनका सफाया हो गया है। बहुत कम लोग हैं जो टेरीजा में के कार्यकाल में मंत्री रहे हों वो आज भी मंत्री हैं। दूसरी बात, बोरिस जॉनसन ने नो डील की बात की है। यदि डील हो जाये तो ठीक है लेकिन यदि नहीं हो सका तो अक्टूबर में नो डील करके यूरोप से बाहर निकल जाएंगे।
कंजर्वेटिव पार्टी में जो लोग इस स्थिति का समर्थन करते हैं उनमें एशियाई मूल के लोग ज्यादा हैं। प्रीति पटेल नो डील का समर्थन करती आई हैं। अपने पहले कार्यकाल में वो विवादों में फंस गई थीं। तब वो इसराइल गई थीं और फिर इसराइल के कब्जे वाले सीरिया की जमीन पर जा कर मीटिंग की थी। यह ब्रिटिश नीति के खिलाफ है। वो मृत्यु दंड की वापसी चाहती हैं। प्रीति पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और नरेंद्र मोदी की प्रशंसक रही हैं। इन्होंने बयान दिया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश प्रेमी है। प्रीति पटेल और मोदी में अच्छे ताल्लुकात हैं। इनके ट्वीट देखने पर मालूम चलता है कि स्वपन दास गुप्ता जैसे लोगों से इनके अच्छे रिश्ते हैं।
बोरिस जॉनसन दिल्ली जा चुके हैं और बीजेपी की जो थींक टैंक बनी है, उसमें उन्हें चीफ गेस्ट बुलाया गया था। जहां तक सवाल आलोक शर्मा का है, उनका जन्म स्थान निश्चित तौर पर आगरा है लेकिन वो कंजर्वेटिव पार्टी के लो-प्रोफाइल नेता रहे हैं। लिहाजा प्रीति पटेल के अलावा अन्य दो लोगों के बोरिस जॉनसन के मंत्रिमंडल में शामिल होने से भारत को कोई प्रत्यक्ष फायदा होता नहीं दिखता है। मोहम्मद अमीन जो कंजर्वेटिव पार्टी के मुस्लिम फोरम के चेयरमैन रह चुके थे, उन्होंने बोरिस जॉनसन के पहले के बयानों की आलोचना करते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
बोरिस जॉनसन ने हिटलर से उनकी तुलना की थी। चुनाव के दौरान बोरिस जॉनसन ने कहा था कि हिंदुस्तान और बांग्लादेश के लोग अपने रेस्तरां में काम करने के लिए अपने वतन से लोगों को लाने की अनुमति मिलेगी या फिर भारत के वीजा पॉलिसी को और उदार बनाएंगे। अभी तक ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला है।
पारंपरिक तौर पर भारतीय समुदाय का झुकाव वहां लेबर पार्टी की ओर रहता था। लेकिन अब बोरिस जॉनसन कंजर्वेटिव सरकार में भारतीय मूल के लोगों को शामिल कर रहे हैं। डेविड कैमरून ने भी ऐसा किया था। उनके जमाने में जब लंदन में मेयर का चुनाव हुआ था तब उनकी कंजर्वेटिव पार्टी की टीम बीजेपी, संघ के समर्थन में पर्चे भी बंटवाए थे। जिस वक्त प्रीति पटेल के माता-पिता यहां आए होंगे, उस वक्त जो यहां नीति थी कि पूर्वी अफ्रीकी से भगाए जा रहे हिंदुस्तानी लोगों को यहां पनाह दी जाए। उसमें लेबर पार्टी का बड़ा हाथ था। हिंदुस्तान-पाकिस्तान के ज्यादातर लोग श्रमिक वर्ग के थे, उनका लेबर पार्टी की तरफ झुकाव स्वाभाविक था। लेकिन अब यह उनकी तीसरी पीढ़ी है। अब वो उस वर्ग में नहीं आते जिसमें वो पहले आते थे। आज उनके अपने बिजनेस हैं। वो फाइनेंस के क्षेत्र में आगे बढ़ चुके हैं।
- संजय शुक्ला