मेट्रोपोलिटन अथारिटी की तैयारी
03-Aug-2019 07:26 AM 1234646
एक बार फिर राज्य शासन ने इंदौर को मेट्रोपोलिटन अथॉरिटी एरिया घोषित करने का हल्ला मचाया है। पूर्व की शिवराज सरकार भी इसके दावे करती रही है और अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 6 माह में इसको क्रियान्वित करने की घोषणा की है। इंदौर मेट्रोपोलिटन अथॉरिटी में पीथमपुर, धार, देवास को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। मुंबई-दिल्ली जैसे बड़े शहरों की तर्ज पर मेट्रोपोलिटन एरिया घोषित करना हालांकि आसान नहीं है। इसके लिए तमाम विभागों के अलग-अलग कानूनों को संशोधित करना पड़ेगा। महत्वपूर्ण विभागों को एक ही छाते के नीचे लाने की कवायद के साथ उनके अधिकारों को भी चिह्नित करना होगा। प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड जैसी संस्थाएं तो समाप्त होकर अथॉरिटी का ही अंग बन जाएंगी। वहीं नगर निगम के अधिकारों में अवश्य इजाफा हो जाएगा। नगर तथा ग्राम निवेश, पीडब्ल्यूडी, नेशनल हाईवे सहित तमाम विभागों में आमूलचुल परिवर्तन भी करना पड़ेगा। शासन ने जहां इंदौर को मेट्रोपोलिटन एरिया बनाने का दावा किया है, तो भोपाल को दिल्ली एनसीआर की तर्ज पर कैपिटल एरिया घोषित किया जाएगा। इंदौर में ही नगर निगम, प्राधिकरण से लेकर पीडब्ल्यूडी, हाउसिंग बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण विभागों में ही सामंजस्य का घोर अभाव तमाम प्रोजेक्टों में देखा जाता रहा है। अब इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया अथॉरिटी अगर अस्तित्व में आती है तो ये सारे विभाग एक छाते के नीचे आ जाएंगे। यानी इन विभागों को अपने किसी भी प्रोजेक्ट के लिए पहले अथॉरिटी से अनुमति लेना पड़ेगी। इस अथॉरिटी के चेयरमैन मुख्यमंत्री रहेंगे। लिहाजा राजस्व से लेकर तमाम विभागों के बीच जहां समन्वय आसान होगा, वहीं निर्णय भी फटाफट लिए जा सकेंगे। जिस तरह केबिनेट बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री द्वारा की जाती है, उसी तरह मेट्रो पोलिटन अथॉरिटी की होने वाली बैठकों की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करेंगे और उनके साथ मुख्य सचिव भी मौजूद रहेंगे। ऐसे में सभी विभागों के प्रमुख सचिव से लेकर संभाग और जिला स्तर पर मौजूद अधिकारियों को बिना विलंब सहमति देना होगी। इसमें पुलिस और उसके यातायात विभाग का भी अहम रोल रहेगा। इंदौर में ही यातायात विभाग लगातार आपत्तियां लेता रहा है, क्योंकि निगम और प्राधिकरण अपनी मनमर्जी से सड़कों के निर्माण से लेकर चौराहों को विकसित कर देते हैं, जिनमें यातायात के मापदंडों, जिसमें पार्किंग भी शामिल है, का पालन ही नहीं किया जाता है। शहरभर में आवासीय से लेकर बड़ी-बड़ी व्यवसायिक इमारतें तन गईं, जिनमें पार्किंग की समुचित व्यवस्था ही नहीं है, जिसका खामियाजा यातायात विभाग को भुगतना पड़ता है। अभी भोपाल में पिछले हफ्ते हुई बैठक में इंदौर को जहां मेट्रोपोलिटन एरिया अथॉरिटी बनाने पर चर्चा की गई, वहीं दिल्ली एनसीआर की तर्ज पर भोपाल को कैपिटल एरिया बनाने का दावा किया गया। मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने इसकी विधिवत घोषणा भी की है। भोपाल के कैपिटल एरिया में सीहोर, रायसेन, मंडीदीप और इंदौर के मेट्रोपोलिटन एरिया में देवास, पीथमपुर, धार को भी शामिल किया जाए, क्योंकि ये इंदौर से जुड़े हुए तो हैं ही, वहीं व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। 6 माह में अगर कमलनाथ सरकार मेट्रोपोलिटन एरिया अथॉरिटी का गठन कर देती है तो यह उसके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि रहेगी, जिसके चलते प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर देश के टॉप टेन शहरों में शुमार हो सकेगा। इसके लिए अथॉरिटी के दायरे में आने वाले तमाम विभागों के ढांचे में बड़ा परिवर्तन तो करना ही होगा, वहीं इनसे संबंधित कानूनों में भी बदलाव करना होंगे। प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड जैसी मास्टर प्लान के क्रियान्वयन वाली संस्थाएं इस अथॉरिटी में समाहित हो जाएगी और उसकी एक शाखा के रूप में काम करेगी। वहीं नगर निगम के अधिकार अवश्य बढ़ जाएंगे। मास्टर प्लान बनाने वाली एजेंसी नगर तथा ग्राम निवेश इस अथॉरिटी का सबसे महत्वपूर्ण अंग रहेगी, क्योंकि मास्टर प्लान के चिन्हित एरिया के बाहर भी अथॉरिटी के अनुरूप प्रावधान करना होंगे। लिहाजा पीडब्ल्यूडी, नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम से लेकर निगम अधिनियम और आवास एवं पर्यावरण अधिनियमों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण कानूनों में आमूलचुल बदलाव करना पड़ेंगे। -विकास दुबे
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