18-Jul-2019 07:41 AM
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नगर निगम अफसर की क्रिकेट बैट से पिटाई के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तल्ख टिप्पणी के बाद भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय 8 जुलाई को पहली बार भोपाल में नजर आए, लेकिन उनके चेहरे पर तनिक भी शिकन नजर नहीं आई, आए भी क्यों? क्योंकि उन्हें संगठन की ओर से जो नोटिस दिया गया है वह महज दिखावा ही तो है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि भाजपा में नोटिस देने की परंपरा है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है। आकाश को नोटिस मिला है या नहीं इस पर भी असमंजस है क्योंकि खुद कैलाश विजयवर्गीय इससे अंजान हैं। हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की माने तो आकाश को नोटिस दिया गया है। शायद यही वजह है कि राजधानी पहुंचने के बाद आकाश पहले भाजपा विधायक दल की बैठक में शामिल हुए, इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की।
बताते हैं कि इन नेताओं को भी आकाश ने यही कहा कि महिलाओं के साथ अभद्रता के बाद बनी परिस्थिति में ऐसी घटना हुई। उनका इरादा किसी को पीटने का नहीं था। नेताओं से मुलाकात के बाद ऐसी चर्चाएं चल पड़ीं कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने आकाश को क्लीनचिट दे दी है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सिंह ने स्पष्ट कहा कि क्लीनचिट जैसी अभी कोई बात ही नहीं है। नोटिस पर आकाश अपना जवाब देंगे। पूरा मामला पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया के दायरे में है। वह पूरी होने के बाद निर्णय से अवगत करवाएंगे।
उधर, आकाश को कारण बताओ नोटिस जारी करने के मामले में प्रदेश भाजपा ने ऐसी गोपनीयता बरती थी कि कैलाश विजयवर्गीय भी इससे अंजान थे। बकौल विजयवर्गीय मैंने समाचार-पत्र में पढ़ा है कि उसे नोटिस मिल गया है। आकाश जवाब देगा, यदि उसे नोटिस मिल गया होगा तो। आश्चर्य है भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सख्त संदेश को भी हवा में उड़ा दिया। सरेआम सरकारी अधिकारियों की पिटाई करने वाले इन्दौर के विधायक आकाश विजयवर्गीय को केवल नोटिस थमा खानापूर्ति कर दी। भले ही प्रधानमंत्री राजनीति में स्वच्छता का कितना ही सख्त संदेश दें, राजनीतिक पार्टियां इस स्वच्छता अभियान में साथ देने को कतई तैयार नहीं दिखतीं। बल्कि अपराधियों के प्रति अपने प्रेम का बढ़-चढ़ कर ढिंढोरा पीटने में खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं। होना तो यह चाहिए था कि प्रधानमंत्री की चेतावनी के बाद आरोपित विधायक को तुरंत पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता, पर नोटिस की खानापूर्ति कर मामले को दबाने की कोशिश की गई। जब प्रधानमंत्री के कथन को इस तरह लापरवाही में उड़ा दिया जा सकता है तो देश में किसकी मजाल कि राजनेताओं की आपराधिक गतिविधियों की ओर उंगली भी उठाए।
इंदौर में पत्रकारों से चर्चा में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस मामले में कहते है कि कैलाश विजयवर्गीय ने जो संस्कार दिए हैं, बेटा आकाश उन्हें ही आगे बढ़ा रहा है। विजयवर्गीय का जूता कांड भी बड़ा चॢचत रहा था। उन्होंने एक आइपीएस अफसर पर जूता उठाया था। उन्होंने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भी नोटिस दिया गया था, लेकिन बाद में मामला ठंडा पड़ गया। आकाश को भी नोटिस मिलेगा और कोई कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है। अगर भाजपा के इतिहास को देखें तो पार्टी नोटिस देने में सबसे आगे है।
- अरविंद नारद