19-Jun-2019 08:57 AM
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केंद्र सरकार ने लंबे समय तक विचार विमर्श करने और शोध, बदलाव के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा जारी कर दिया है। इस मसौदे में सबसे अधिक प्रशंसा इस बात को लेकर हो रही है कि सरकार ने निजी शिक्षण संस्थानों पर नकेल कसने की दिशा में कई कदम उठाया है। सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों की मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर भी लगाम लगाने के लिए कहा गया है। इसमें कहा गया है कि स्कूलों को फीस तय करने की छूट होनी चाहिए लेकिन वह एक तय लिमिट तक ही फीस बढ़ा सकते हैं। इसके लिए महंगाई दर और दूसरे फैक्टर देख यह तय करना होगा कि वह कितने पर्सेंट तक फीस बढ़ा सकते हैं। हर तीन साल में राज्यों की स्कूल रेग्युलेटरी अथॉरिटी देखेगी कि इसमें क्या-क्या बदलाव करने हैं। राज्य विद्यालय नियामक प्राधिकरणÓ द्वारा प्रत्येक तीन साल की अवधि के लिये इसका निर्धारण किया जाएगा।
फीस तय करने को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग भी पहले गाइडलाइन बना चुका है। उसमें भी यही कहा गया है कि महंगाई दर और दूसरे जरूरी फैक्टर के आधार पर तय हो कि प्राइवेट स्कूल कितनी फीस बढ़ा सकते हैं। बाल आयोग ने तो इसका उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई के प्रावधान की सिफारिश की है। पॉलिसी ड्राफ्ट में कहा गया है कि बच्चों में 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम का तनाव कम करना चाहिए। इसके लिए उन्हें मल्टिपल टाइम एग्जाम देने का विकल्प दिया जा सकता है। स्टूडेंट को जिस सेमेस्टर में लगता है कि वह इस विषय में एग्जाम देने के लिए तैयार है उसका उस वक्त एग्जाम लिया जा सकता है। बाद में स्टूडेंट को लगता है कि वह उस विषय में और बेहतर करता है और उसे फिर से एग्जाम देने का विकल्प दिया जाना चाहिए।
बता दें कि मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन हुआ। नई शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के घोषणा-पत्र का हिस्सा थी। विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एक समिति की रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया। इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी में गणितज्ञ मंजुल भार्गव सहित आठ सदस्य थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस समिति को बनाया था, उस समय स्मृति ईरानी मंत्रालय का प्रभार संभाल रही थीं।
नई शिक्षा नीति के अनुसार, मेधावियों को शिक्षण पेशे में लाने के लिए सरकार प्रोत्साहन के लिए मेरिट आधारित स्कॉलरशिप देगी। इसमें 10वीं में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्रों को बड़ी संख्या में स्कॉलरशिप दी जाएगी। शिक्षकों को स्कूलों में अब पढ़ाई के अलावा सारे कामों से मुक्त किया जाएगा। शिक्षक बिना पूर्व अनुमति के छुट्टी नहीं लेंगे। इसके अलावा सेकेंडरी स्तर पर छात्रों को एक कोर्स भारतीय ज्ञान व्यवस्था पर उपलब्ध कराया जाएगा। सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और एनटीए परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। बुनियादी, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक भी टीईटी के दायरे में आएगी। अतिरिक्त विषय शिक्षकों की भर्ती को एनटीए की परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षा नीति में सभी स्तरों पर शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए एक टेन्योर ट्रैक सिस्टम स्थापित करने का प्रस्ताव है। इस सिस्टम में टीचर को तीन वर्ष के प्रोबेशन पीरियड पर रखा जाएगा। इसके बाद उसके प्रदर्शन पर उसे स्थाई किया जाएगा।
ड्राफ्ट के अनुसार 2022 तक सभी स्कूलों में निर्धारित मानकों के अनुसार जरूरी सुविधाएं, सुरक्षित और अच्छे सीखने का वातावरण तैयार कर लिया जाएगा। निर्माण और रखरखाव के लिए फंड की व्यवस्था केंद्र एवं राज्य सरकारें मिलकर करेंगी। शिक्षक-छात्र समुदाय के संबंधों की निरंतरता तय करने के लिए शिक्षकों के तबादलों को रोकना और कम करने का प्रस्ताव भी है। शिक्षकों के तबादले स्कूल कॉप्लेक्स के बाहर नहीं करने का सुझाव दिया गया है। स्कूल कॉम्पलेक्स क्षेत्र विशेष में अनेक स्कूलों का समूह होगा। शिक्षकों का कार्यकाल किसी एक स्कूल में पांच से सात साल प्रस्तावित है। उत्कृष्ट शिक्षकों को ग्रामीण, आदिवासीय और दूरस्थ इलाकों में शिक्षण कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें ऐसे शिक्षकों को स्कूल कैंपस के निकट ही आवास उपलब्ध कराने का सुझाव है।
-अक्स ब्यूरो