अध्यक्षी पर रार
19-Jun-2019 08:45 AM 1234850
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मप्र कांग्रेस अभी हार के कारणों की पड़ताल कर ही रही है कि नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पार्टी में रार दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कांग्रेस का एक वर्ग जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है, वहीं सिंधिया अपने किसी समर्थक नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने लॉबिंग भी शुरू कर दी है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, सिंधिया की पहली पसंद परिवहन व राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत हैं। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ गृह मंत्री बाला बच्चन को प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब दिन पर दिन मप्र कांग्रेस संगठन के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की सुगबुगाहट तेज होती जा रही है। संगठन के शीर्ष नेताओं का कैबिनेट मंत्री बनने के बाद मप्र संगठन का आकार कैसा रहेगा, इस पर सियासी गलियारे में कई कयास लगाए जा रहे है। कमलनाथ को सूबे का मुखिया बनाए जाने के तुरंत बाद से ही अगला पीसीसी चीफ कौन होगा इसकी तलाश शुरू हो गई थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद अब नए पीसीसी चीफ की तलाश तेज हो गई है। अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार आला कमान पीसीसी चीफ के लिए आदिवासी कार्ड खेल सकते है। मुख्यमंत्री बनने की वजह से कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस पर भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। पार्टी जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष के सबसे मजबूत दावेदारों में मंत्रियों के नाम हैं। गुना से लोकसभा चुनाव हारने वाले पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि उनकी पसंद से अध्यक्ष की नियुक्ति हो। वे चाहते हैं कि परिवहन व राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत अध्यक्ष बनें ताकि पूरे प्रदेश में एक बार फिर पकड़ मजबूत हो जाए। राजपूत पूर्व में युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं जिसकी वजह से उनकी पकड़ प्रदेश में है। इधर, नाथ की पहली पसंद गृहमंत्री बाला बच्चन हैं। कैबिनेट मंत्री होने के साथ बच्चन वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। मजेदार बात ये है कि दोनों ही नेता राष्ट्रीय सचिव भी हैं और अपने आकाओं के कहने पर वे मंत्री पद छोड़ सकते हैं। इनके अलावा प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदारों में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और जीतू पटवारी का नाम भी शामिल हैं। पटवारी भी वर्तमान में कार्यकारी अध्यक्ष हैं जिनके ताल्लुक सीधे राहुल गांधी से हैं। हालांकि नाथ नहीं चाहेंगे कि उनकी नियुक्ति हो। विंध्य अंचल के नेता अजय सिंह दिग्विजय सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री और बाद में शिवराज सिंह सरकार के समय विस में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रह चुके हैं। ऐसे में वे मप्र कांगे्रस कमेटी में अध्यक्ष पद के दावेदारों की लिस्ट में भी शामिल है। उन्हें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का समर्थन भी मिला हुआ है। हालांकि इस पद में दावेदारों की लिस्ट लंबी है जिसमें अरुण यादव, सुरेश पचौरी के नाम भी प्रमुख रूप से शामिल हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस अजय सिंह को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाती है तो उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय पदाधिकारी की जिम्मेदारी दी जा सकती है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में सिंधिया भले ही चुनाव हार गए, लेकिन दिल्ली में उनकी पकड़ और मजबूत हो गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से अच्छे संबंध तो पहले से थे बाद में उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने की वजह से प्रियंका गांधी की भी गुड लिस्ट में हैं। वहीं पार्टी अब नए चेहरों को खड़ा करने के मूड में हैं जिसमें सिंधिया के अलावा सचिन पायलेट जैसे नाम पर गहन मंथन चल रहा है। इस वजह से सिंधिया को प्रदेश में तवज्जो दी जा सकती है। उधर सूबे में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो अंचलो में करारी हार का सामना करना पड़ा है। यही वजह है कि अब प्रदेश संगठन ने इन दोनों अंचलों में पार्टी को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि इस वजह से कांगे्रस पार्टी संगठन में विंध्य और बुंदेलखंड अंचल के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर रही है। विंध्य अंचल से अभी सरकार में एकमात्र मंत्री कमलेश्वर पटेल हैं, जबकि बुंदेलखंड अंचल से गोविंद सिंह राजपूत और ब्रजेंद्र सिंह राठौर सहित दो मंत्री हैं। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मप्र में कांगे्रस के पास संगठन को मजबूत बनाने की बड़ी चुनौती है। खासकर विंध्य और बुंदेलखंड अंचल में पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है। विस चुनाव में पार्टी को विंध्य अंचल में करारी हार का सामना करना पड़ा था। - अजय धीर
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