19-Jun-2019 08:40 AM
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प्याज की बंपर आवक ने मंडी प्रशासन की नींद उड़ाकर रखी है। प्रदेशभर की मंडियां प्याज से ठसा-ठस हैं 30 जून तक मुख्यमंत्री प्याज कृषक समृद्धि योजना अन्तर्गत प्याज की नीलामी की जाएगी। प्याज की नीलामी की प्रक्रिया शुरू होते ही किसान अपनी उपज लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं। लेकिन मंडियों में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान रोजाना हंगामा कर रहे हैं। कई किसान बिना पंजीयन कराए ही अपनी फसल बेचने पहुंच रहे है। उद्यानिकी विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार अधिकतम 2 एकड़ जमीन वाले किसानों से प्याज की खरीदी की जाएगी और प्रति एकड़ उत्पादकता के अनुरूप 250 क्विंटल प्याज खरीदे जाएंगे।
गौरतलब है कि सरकार प्याज सीधे नहीं खरीद रही है। कृषि मंडी में व्यापारी खुले आप्शन में प्याज की खरीदी कर रहे हैं। अगर प्याज 8 साल के भाव से कम में बिकता है तो अंतर राशि किसान के खाते में जमा की जाएगी इसके साथ ही एफएक्यू (फेयर एवरेज क्वालिटी) का नियम प्याज की खरीदी में लागू किया गया है। गीला, सड़ा या छोटा प्याज नहीं खरीदा जा रहा है। इसको लेकर भी किसानों में आक्रोश है। मंडी अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री प्याज कृषक समृद्धि योजना अन्तर्गत लहसुन-प्याज मंडी में पंजीकृत और अपंजीकृत किसानों से प्याज की खरीददारी की जा रही है, इस कारण यातायात हर दिन बाधित होने के कारण परेशानी आ रही है। अधिक आवक होने के कारण व्यापारियों का माल भी नहीं उठ पा रहा है।
किसानों का कहना है कि जिन किसानों ने प्याज की खेती की है वे मंडी में मिल रहे 8 से 10 रुपए प्रति किलो के भाव से संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि इस भाव ज्यादा कोई खराब नहीं है लेकिन इससे पहले 4 से 5 रुपए के भाव मिलते थे जिससे खेती की लागत तक नहीं निकाल पाती थी। जिससे लगातार और ज्यादा प्याज करने वाले किसानों की कम भाव से नैया डूबती नजर आ रही है। लेकिन इस बार के भाव से आगे प्याज का बढऩे की आशंका है।
गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश के किसानों को प्याज का उचित मूल्य दिलाने के लिए मुख्यमंत्री प्याज कृषक प्रोत्साहन योजना 2019-20 लागू की गई है। इस योजना के तहत किसान अपने पंजीयन करा रहे थे लेकिन किसानों को पंजीयन के लेट सूचना मिलने के बाद पंजीयन की अंतिम तिथि 31 मई को पंजीयन कराने के लिए जमकर भीड़ उमड़ी स्थिति यह बनी कि कई किसान पंजीयन से वंचित रह गए। किसान गणेश कुशवाह निवासी छार व कृष्णा सिंह निवासी अमरखोआ ने बताया है कि पंजीयन कराने के लिए लाइनों में लगना पड़ा इसके बाद भी कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने यह कहकर कई किसानों को लौटा दिया कि
आपके फार्म में आवश्यक दस्तावेजों की कमी है तो कई को सर्वर डाउन का बहाना बनाकर लौटा दिया गया है।
अभी हाल ही में भावांतर योजना के तहत प्याज खरीदी में दमोह में बड़ा खेल सामने आया है। यहां वह किसान प्याज बिक्री का रजिस्ट्रेशन कराते हुए मिले जो एक माह पहले ही अपनी प्याज व्यापारी को बेच चुके हैं। जबकि योजना के तहत प्याज की खरीदी रजिस्ट्रेशन के बाद होनी चाहिए थी। दरअसल भावांतर योजना का लाभ किसानों को तभी मिलता है जब प्याज की बिक्री रजिस्ट्रेशन होने के बाद की गई होगी। पथरिया तहसील के नंदरई गांव निवासी किसान नंदलाल का कहना है मैंने एक माह पहले व्यापारी को अपनी प्याज बेची थी, उस समय पंजीयन कराना है यह जानकारी नहीं थी, अब पंजीयन कराया है जिससे भावांतर योजना का लाभ मिल जाए, व्यापारी द्वारा ऐसा ही खरीदी के समय बता दिया गया था, मैंने 3 से 5 रुपए किलो प्याज बेची थी। यह इस बात का उदाहरण है कि भावांतर की इस खरीदी में मंडी प्रबंधन, व्यापारी और किसान मिलकर सेंधमारी कर रहे हैं। और इस पूरे गोलमाल का सबसे अधिक लाभ व्यापारियों को है। पहले व्यापारी ने 3 से 4 रुपए किलो किसान के खेत से प्याज खरीद ली और अब इसी प्याज को भावांतर के तहत दोबारा खरीदी किया जाना बता रहे हैं। ऐसे में सरकार की योजना का फायदा किसानों को कैसे मिलेगा।
-बृजेश साहू