अटकी जांच
19-Jun-2019 08:14 AM 1234810
विधानसभा चुनाव के प्रचार से लेकर लोकसभा के प्रचार तक व्यापमं घोटाले के मुद्दे पर पिछली भाजपा सरकार को घेरने और नए सिरे से जांच कराने का दावा करने वाली नाथ सरकार खुद सवालों के घेरे में आ गई हैै। अचानक से एसटीएफ जांच रोकने और मामले को ठंडे बस्ते में डालने के बाद मंत्रालय से लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। बता दें कि सीबीआई द्वारा संसाधन का अभाव होने की बात कहने के बाद नाथ सरकार ने पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी थी, लेकिन अब न तो जांच में तेजी दिख रही है और न ही सरकार के स्तर पर कोई सरगर्मी। मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद एसटीएफ ने जांच की दिशा में आगे कदम बढ़ाया था, लेकिन प्राइवेट मेडिकल कालेज लॉबी के दबाव में अपने कदम वापस खींच लिए हैं। व्यापमं घोटाले की नए सिरे से जांच का मामला राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से सुर्खियां बटोर रहा है। वजह साफ है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले बहुत सारे वचन जनता को दिए थे। उनमें से एक वचन व्यापमं घोटाले की जांच का भी था। मध्यप्रदेश में नई सरकार बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि मौजूद तथ्यों के आधार पर एसटीएफ शिकायतों की जांच शुरू करेगी। बताते हैं कि एसटीएफ ने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया था। इसकी शुरुआत व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर डा. आनंद राय की शिकायत के साथ हुई थी। राय की शिकायत के बाद एसटीएफ ने उन्हें बयान देने के लिए बुलाया था। इसके लिए एसटीएफ ने बकायदा राय को नोटिस जारी किया था। राय बयान देने के लिए आने को तैयार भी थे, लेकिन एसटीएफ के अफसर खुद पीछे हट गए। बताते हैं कि जांच सरकार के स्तर पर रुकवाई गई है। उसके पीछे प्राइवेट मेडिकल कालेज की लाबी का दबाव बताया जा रहा है, यों कि जांच का सबसे ज्यादा असर प्राइवेट मेडिकल कालेज की लॉबी पर पडऩे जा रहा है। व्यापमं की जांच अब एसटीएफ के पास थी तब जांच एजेंसी ने एक विज्ञापन जारी किया था। उसके जरिए व्हिसल ब्लोअर व अन्य लोगों से यह अपील की गई थी व्यापमं घोटाले से जुड़े दस्तावेज जिनके पास हैं वे एसटीएफ को अपनी शिकायत के साथ दे सकते हैं। उसके बाद एसटीएफ को 1200 से अधिक शिकायतें मिली थीं। उन शिकायतों की आज तक जांच नहीं की गई है क्योंकि सीबीआई ने शिकायतों को लेने से मना कर दिया और एसटीएफ ने जांच नहीं की। सरकार की दलील यह कि चूंकि सीबीआई व्यापमं घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कर रही है, इसलिए इस पर जल्दबाजी ठीक नहीं है। इस कारण एसटीएफ को जांच को आगे बढ़ाने में कोई बाधा नहीं है। सुप्रीमकोर्ट ने अपने आदेश में साफ लिखा है कि सीबीआई पंजीकृत प्रकरणों (शैल रजिस्टर्ड) की जांच करेगी। इसका मतलब यह है कि शिकायतों की जांच सीबीआई नहीं करेगी अथवा सुप्रीमकोर्ट ने शिकायतों की जांच के लिए निर्देशित नहीं किया है। इस मुद्दे पर सीबीआई का रुख भी साफ है। क्योंकि सीबीआई यह लिखकर दे चुकी है कि उसके पास शिकायतों की जांच के लिए संसाधन नहीं हैं। जाहिर है कि जब सीबीआई के पास संसाधन नहीं है, तो वह जांच नहीं करेगी। सुप्रीमकोर्ट और सीबीआई के रुख के बावजूद तत्कालीन सरकार के दबाव में एसटीएफ ने शिकायतों की जांच नहीं की थी। उधर सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने आठ पुराने मामलों की फाइलों को फिर से खोला है। इनमें से पांच मामले पीएमटी से संबंधित है- तीन मामले पुलिस आरक्षक, परिवहन आरक्षक और वनरक्षक भर्ती परीक्षाओं के है। अब देखना यह है कि सीबीआई की यह जांच कहां पर जाकर रुकती है। - विकास दुबे
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^